एक तरफ चुनाव चल रहे थे और दूसरी तरफ TIME मैगजीन ने एक ऐसा आर्टिकल छाप दिया, जिसे लेकर पूरे दुनिया में चर्चा होने लगी. देखते ही देखते टाइम मैगजीन के कवर को लेकर बवाल मच गया. सबसे बड़ी दिक्कत इस बात की थी कि टाइम मैगजीन की तरफ से ये सब लोकसभा चुनाव के दौरान किया गया. जहां एक ओर मोदी विरोधियों ने मैगजीन के कवर की आड़ में नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, वहीं दूसरी ओर मोदी समर्थकों ने टाइम की तरफ से ऐसा किए जाने पर मैगजीन की खूब आलोचना की. टाइम मैगजीन की जितनी तारीफ नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा तो उसे आलोचनाएं झेलनी पड़ीं.
यहां आपको बता दें कि टाइम मैगजीन ने चुनावों के दौरान अपनी मैगजीन जो निकाली थी, उसमें पीएम मोदी को ‘डिवाइडर-इन-चीफ’ कहा गया था. पीएम मोदी को देश तोड़ने वाला कहने की वजह से उसे आलचनाएं भी झेलनी पड़ीं. अब चुनावी नतीजे आने के 6 दिन बाद यूं लग रहा है कि टाइम को भी इस बात का अहसास हो गया है कि उसने गलत लिखा. अब उसने अपनी वेबसाइट पर एक ओपिनियन आर्टिकल छापा है, जिसमें मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए हैं. ये तक कह दिया है कि जो कोई पीएम नहीं कर सका, वो नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया. लेख में मोदी को जनता को एकजुट करने वाला पीएम कहा गया है. यानी चंद दिनों पहले जिस टाइम को पीएम मोदी देश को तोड़ने वाले लग रहे थे, अब वही पीएम मोदी देश को एकजुट करने वाले लगने लगे.
क्या लिखा है टाइम ने?
टाइम ने अपनी वेबसाइट पर लिखे आर्टिकल को हेडिंग दी है- ‘Modi has united India like no Prime Minister in...
एक तरफ चुनाव चल रहे थे और दूसरी तरफ TIME मैगजीन ने एक ऐसा आर्टिकल छाप दिया, जिसे लेकर पूरे दुनिया में चर्चा होने लगी. देखते ही देखते टाइम मैगजीन के कवर को लेकर बवाल मच गया. सबसे बड़ी दिक्कत इस बात की थी कि टाइम मैगजीन की तरफ से ये सब लोकसभा चुनाव के दौरान किया गया. जहां एक ओर मोदी विरोधियों ने मैगजीन के कवर की आड़ में नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, वहीं दूसरी ओर मोदी समर्थकों ने टाइम की तरफ से ऐसा किए जाने पर मैगजीन की खूब आलोचना की. टाइम मैगजीन की जितनी तारीफ नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा तो उसे आलोचनाएं झेलनी पड़ीं.
यहां आपको बता दें कि टाइम मैगजीन ने चुनावों के दौरान अपनी मैगजीन जो निकाली थी, उसमें पीएम मोदी को ‘डिवाइडर-इन-चीफ’ कहा गया था. पीएम मोदी को देश तोड़ने वाला कहने की वजह से उसे आलचनाएं भी झेलनी पड़ीं. अब चुनावी नतीजे आने के 6 दिन बाद यूं लग रहा है कि टाइम को भी इस बात का अहसास हो गया है कि उसने गलत लिखा. अब उसने अपनी वेबसाइट पर एक ओपिनियन आर्टिकल छापा है, जिसमें मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए हैं. ये तक कह दिया है कि जो कोई पीएम नहीं कर सका, वो नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया. लेख में मोदी को जनता को एकजुट करने वाला पीएम कहा गया है. यानी चंद दिनों पहले जिस टाइम को पीएम मोदी देश को तोड़ने वाले लग रहे थे, अब वही पीएम मोदी देश को एकजुट करने वाले लगने लगे.
क्या लिखा है टाइम ने?
टाइम ने अपनी वेबसाइट पर लिखे आर्टिकल को हेडिंग दी है- ‘Modi has united India like no Prime Minister in decades’. यानी दशकों में जो कोई अन्य प्रधानमंत्री नहीं कर सका, उस तरह नरेंद्र मोदी ने भारत को एकजुट कर दिखाया. यहां आपको बता दें कि ये आर्टिकल मनोज लाडवा ने लिखा है, जिन्होंने 2014 में Narendra Modi For PM का कैंपेन चलाया था. उन्होंने लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने देश में काफी समय से चल रहे जातिवाद को खत्म किया और एकजुट लोगों का वोट हासिल किया. उन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों को अपने हक में लाने में कामयाबी पाई, लेकिन विदेशी (पश्चिमी) मीडिया अभी भी नरेंद्र मोदी को अगड़ी जाति के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करता है.
लेख में उनके निजी जीवन को लेकर भी उनकी तारीफों के पुल बांधे गए हैं. इसमें बताया गया है कि किस तरह वह एक गरीब परिवार के थे और बावजूद उसके देश के सबसे बड़े पद पर जगह बनाई और गांधी परिवार से राजनीतिक लड़ाई लड़ी. 5 सालों में तमाम आलोचनाओं के बावजूद जिस तरह नरेंद्र मोदी ने देश को एक सूत्र में पिरोया है, वैसा पिछले 5 दशकों में कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका. उन्होंने देश के सबसे गरीब नागरिक तक खुद को इस तरह सामने रखा, जैसे नेहरू-गांधी को भी 72 सालों में नहीं कर सका.
पहले कहा था देश तोड़ने वाला !
10 मई को टाइम ने जो मैगजीन प्रकाशित की थी, उसमें ‘Divider in Chief’ हेडिंग के साथ एक आर्टिकल छापा गया था. यानी इस मैगजीन ने सीधे-सीधे ये कहा कि नरेंद्र मोदी देश को बांटने वाले लोगों में से हैं. बल्कि टाइम की हेडिंग का मतलब तो ये भी निकलता है कि नरेंद्र मोदी देश के बांटने वालों के मुखिया हैं. इसे लेकर टाइम की खूब आलोचना हुई. ये आर्टिकल एक पाकिस्तानी लेखक ने लिखी थी तो भाजपा ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और कर भी क्या सकता है. 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए, जिसमें भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई. एनडीए को कुल 353 सीटें मिलीं. यहां तक कि सिर्फ भाजपा को अकेले ही 303 सीटें मिलीं. ऐसा काफी लंबे समय बात मुमकिन हो सका है कि एक ही दल की सरकार लगातार दो बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई.
जितनी तेजी से TIME ने पल्टी मारी है, उसने दिखा दिया है कि टाइम को अपनी गलती का अहसास हो गया है. अगर ऐसा नहीं होता तो कल तक जिस पीएम मोदी को टाइम की ओर से देश तोड़ने वाला कहा जाता था, उनकी तारीफों के पुल टाइम के प्लेटफॉर्म पर नहीं छपते. 1971 इंदिरा गांधी की जीत की बात करते हुए भी टाइम में छपे इस आर्टिकल में पीएम मोदी की तारीफ की गई है. खैर, भले ही चुनावों तक टाइम को इस बात का अंदाजा ना रहा हो कि भारत की राजनीति में क्या हो सकता है, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद टाइम ने भी पीएम मोदी का लोहा मान लिया है.
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