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घर के बिगड़े और शरारती बच्चे को बचाने पर क्यों अड़े हुए हैं अमित शाह?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 मई, 2018 11:35 AM
  • 12 मई, 2018 11:35 AM
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अपने बयानों के लिए मशहूर बिप्लब देब ने फिर एक अनोखा बयान दिया है. इस बार अपने बयान के लिए उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर को चुना और हंसी का पात्र बने. ऐसा करके उन्होंने कहीं न कहीं पीएम मोदी से मिली नसीहत को दरकिनार भी किया है.

अक्सर बच्चे शरारत करते हैं और बड़े उन्हें फटकार लगाते हैं. अब उस पल की कल्पना कीजिये जब बच्चा लगातार शरारत करे या फिर बिगड़ा हुआ हो और घरवाले उसकी हरकतों पर पर्दा डालते हुए उसकी तारीफ करें. यदि इस बात को समझना हो तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रुख करिए. इंडिया टुडे ने बिप्लब देब के महाभारतकाल में इंटरनेट होने के बयान का हवाला देते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से प्रश्न किये. शाह का उत्तर हैरत में डालने वाला था. प्रश्नों का उत्तर देते हुए शाह ने कहा कि- 'बिप्लब अभी नए हैं, समझ जाएंगे.' इसके अलावा शाह ने त्रिपुरा के सीएम के कामकाज की जमकर तारीफ की.

ये कहना गलत नहीं है कि त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब के बयानों से पीएम मोदी तक की नींद उड़ी हुई है

शाह की बात सुनकर लग रहा है कि राजनीति के मद्देनजर वो इस बात से परिचित हैं कि, राजनीति में जो दिखाता है वही बिकता है. मगर बिप्लब देब के लगातार आ रहे बयानों और उनकी नादानी पर हम शाह को यही कहेंगे कि हर पीली चीज सोना नहीं होती. अब वो वक़्त आ गया है जब उन्हें बिप्लब देब द्वारा कही जा रही बातों का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और उसपर कार्यवाई करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि न सिर्फ विपक्ष बल्कि देश की जनता तक के सामने बिप्लब देब के इन बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल हो रही है. साथ ही पार्टी भी लोगों के सम्मुख लगातार हंसी का पात्र बन रही है. ज्ञात हो कि जिस दिन से बिप्लब देब ने गद्दी संभाली है वो ऐसा बहुत कुछ कह रहे हैं जिससे लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रश्नचिह्न लग रहे है.

बात अगर बिप्लब देब के बयानों की हो तो बीते कुछ समय से अपने बयानों के चलते विवादों में रहने वाले मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने...

अक्सर बच्चे शरारत करते हैं और बड़े उन्हें फटकार लगाते हैं. अब उस पल की कल्पना कीजिये जब बच्चा लगातार शरारत करे या फिर बिगड़ा हुआ हो और घरवाले उसकी हरकतों पर पर्दा डालते हुए उसकी तारीफ करें. यदि इस बात को समझना हो तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रुख करिए. इंडिया टुडे ने बिप्लब देब के महाभारतकाल में इंटरनेट होने के बयान का हवाला देते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से प्रश्न किये. शाह का उत्तर हैरत में डालने वाला था. प्रश्नों का उत्तर देते हुए शाह ने कहा कि- 'बिप्लब अभी नए हैं, समझ जाएंगे.' इसके अलावा शाह ने त्रिपुरा के सीएम के कामकाज की जमकर तारीफ की.

ये कहना गलत नहीं है कि त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब के बयानों से पीएम मोदी तक की नींद उड़ी हुई है

शाह की बात सुनकर लग रहा है कि राजनीति के मद्देनजर वो इस बात से परिचित हैं कि, राजनीति में जो दिखाता है वही बिकता है. मगर बिप्लब देब के लगातार आ रहे बयानों और उनकी नादानी पर हम शाह को यही कहेंगे कि हर पीली चीज सोना नहीं होती. अब वो वक़्त आ गया है जब उन्हें बिप्लब देब द्वारा कही जा रही बातों का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और उसपर कार्यवाई करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि न सिर्फ विपक्ष बल्कि देश की जनता तक के सामने बिप्लब देब के इन बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल हो रही है. साथ ही पार्टी भी लोगों के सम्मुख लगातार हंसी का पात्र बन रही है. ज्ञात हो कि जिस दिन से बिप्लब देब ने गद्दी संभाली है वो ऐसा बहुत कुछ कह रहे हैं जिससे लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रश्नचिह्न लग रहे है.

बात अगर बिप्लब देब के बयानों की हो तो बीते कुछ समय से अपने बयानों के चलते विवादों में रहने वाले मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने एक बार फिर एक ऐसा बयान दिया है जिसको सुनकर कोई भी व्यक्ति आश्चर्य में आ जाएगा. ज्ञात हो कि इस बार अपने बयान के लिए मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने रवींद्रनाथ टैगोर को चुना है. आपको बताते चलें कि रवींद्रनाथ टैगोर की 157वीं जयंती पर बिप्लब देब ने कहा था कि टैगोर ने अंग्रेजों के विरोध में अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था.

यदि बिप्लब देब की इस बात को इतिहास के सांचे में डालकर देखें तो मिलता है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को नाइटहुड का खिताब वापस किया था. यहां त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को समझना होगा कि, नाइटहुड के खिताब और नोबेल पुरस्कार में एक बड़ा अंतर होता है. जिसको समझने के लिए वो अभी अपरिपक्व हैं.

बिप्लब देब के बारे में मशहूर है कि इन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पसंद किया जाता है

गौरतलब है कि चाहे महाभारत में इंटरनेट की बात हो या फिर डायना हेडेन, सिविल सर्विस और सरकारी नौकरी के बदले पान की दुकान का सुझाव बिप्लब देब लगातार प्रधानमंत्री की आंख में पड़ा बाल बनते नजर आ रहे हैं. ध्यन रहे कि बिप्लब देब के बयानों से परेशान होकर पीएम मोदी और अमित शाह ने उन्हें मुलाकात के लिए 2 मई को राजधानी दिल्ली बुलाया था.

अब बिप्लब देब की प्रधानमंत्री और अमित शाह से हुई मुलाकात कितनी कारगर साबित हुई इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. मगर जिस तरह मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने मुलाकात के बाद भी अपने बेतुके बयानों का सिलसिला जारी रखा है उसको देखकर यही लग रहा है कि बिप्लब देब ने एक कान से पीएम मोदी और अमित शाह की बातें सुनी और दूसरे ही कान से उसे तत्काल निकल दिया.

बहरहाल जिस तरह से एक के बाद एक बिप्लब देब के बयान आ रहे हैं, वो ये बताने के लिए काफी हैं कि, शायद बिप्लब को किसी ने ये बता दिया है कि यदि वो बयान देंगे तो ही उनकी राजनीति चलेगी. जिस दिन वो बयान देना बंद कर देंगे लोगों के बीच उन्हें भूलने की शुरुआत हो जाएगी और परिणाम स्वरुप वो अपने ही हाथों से अपनी राजनीतिक हत्या कर लेंगे.'

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