कुछ महीने पहले तक तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस फ्रंट बनाने की बात कर रहे थे और इसके लिए उनकी कई क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से बात भी हुई थी. बता दें कि उनकी इस मुहीम का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोरदार समर्थन किया था. हालांकि, धीरे-धीरे उनकी यह कोशिश कमजोर पड़ती दिख रही थी. विपक्ष को लग रहा है कि बिना कांग्रेस के इस तरह का फ्रंट कामयाब नहीं हो पायेगा और हाल के दिनों में बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ने से ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नहीं तो बाद में ही सही वो बीजेपी के नेतृत्व वाले एडीए में शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो इससे सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होगा क्योंकि टीआरएस प्रमुख के सम्बन्ध दूसरे क्षेत्रीय दलों से ठीक हैं और बीजेपी ऐसी कोशिश में लगी है कि ज्यादा से ज्यादा दल एनडीए में शामिल हों जिससे वो एनडीए छोड़ गए दलों की भरपाई कर सके.
2019 लोकसभा चुनाव में अब रणनीति के लिहाज से ज्यादा वक़्त नहीं बचा है यही वजह है कि एनडीए और यूपीए दोनों ही खेमों से समय-समय पर बैठकों और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है. एनडीए खेमे के लिए सबसे बड़ी मुश्किल सहयोगियों को साथ रखने की है क्योंकि कुछ दल इसे छोढ़कर जा चुके हैं तो वहीं इसके सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी है. वहीं यूपीए के लिए मुश्किल और बड़ी है क्योंकि उसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को मात देने के लिए सम्पूर्ण विपक्ष को एक साथ लाना होगा. इस बीच टीआरएस और बीजेपी के बीच चुनाव से पहले नहीं तो बाद में गठबंधन की संभावना दिख रही है. बता दें कि चंद्रशेखर राव ने शनिवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात की और राज्य से जुड़ी कुछ मांगों को उनके सामने रखा. इससे पहले 15 जून को भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी.
कुछ महीने पहले तक तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस फ्रंट बनाने की बात कर रहे थे और इसके लिए उनकी कई क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से बात भी हुई थी. बता दें कि उनकी इस मुहीम का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोरदार समर्थन किया था. हालांकि, धीरे-धीरे उनकी यह कोशिश कमजोर पड़ती दिख रही थी. विपक्ष को लग रहा है कि बिना कांग्रेस के इस तरह का फ्रंट कामयाब नहीं हो पायेगा और हाल के दिनों में बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ने से ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नहीं तो बाद में ही सही वो बीजेपी के नेतृत्व वाले एडीए में शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो इससे सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होगा क्योंकि टीआरएस प्रमुख के सम्बन्ध दूसरे क्षेत्रीय दलों से ठीक हैं और बीजेपी ऐसी कोशिश में लगी है कि ज्यादा से ज्यादा दल एनडीए में शामिल हों जिससे वो एनडीए छोड़ गए दलों की भरपाई कर सके.
2019 लोकसभा चुनाव में अब रणनीति के लिहाज से ज्यादा वक़्त नहीं बचा है यही वजह है कि एनडीए और यूपीए दोनों ही खेमों से समय-समय पर बैठकों और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है. एनडीए खेमे के लिए सबसे बड़ी मुश्किल सहयोगियों को साथ रखने की है क्योंकि कुछ दल इसे छोढ़कर जा चुके हैं तो वहीं इसके सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी है. वहीं यूपीए के लिए मुश्किल और बड़ी है क्योंकि उसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को मात देने के लिए सम्पूर्ण विपक्ष को एक साथ लाना होगा. इस बीच टीआरएस और बीजेपी के बीच चुनाव से पहले नहीं तो बाद में गठबंधन की संभावना दिख रही है. बता दें कि चंद्रशेखर राव ने शनिवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात की और राज्य से जुड़ी कुछ मांगों को उनके सामने रखा. इससे पहले 15 जून को भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी.
तेलंगाना की तरफ से कई मांगें अभी केंद्र में लंबित हैं, लेकिन इतने कम समय में दोनों के बीच हुई दूसरी बातचीत से इस तरह की अटकलें और तेज हो गयी हैं कि दोनों दल साथ आ सकते हैं. यही नहीं पिछले दिनों लोकसभा में एनडीए सरकार के खिलाफ टीडीपी की तरफ से लोकसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में भी दोनों दलों के साथ आने के संकेत मिल चुके हैं. हमने देखा था कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर जहां टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की आलोचना की तो वहीं टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव की तारीफ करते दिखे थे.
उधर, टीडीपी और कांग्रेस के बीच संबंधों पर हाल ही में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सर्वे सत्यनारायण ने कहा था कि लगता है कि अगले चुनाव में कांग्रेस और टीडीपी मिल जाएंगे. उनकी माने तो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की स्थिति बन रही है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दिन राहुल गांधी के साथ चंद्रबाबू नायडू का व्यवहार और संसद में टीडीपी-कांग्रेस को लगभग एक ही एजेंडे पर काम करते देख इस तरह की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता है.
हाल ही में तेलंगना यूनिट के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने भी तेलंगना के मुखयमंत्री पर हमला बोला था. उन्होंने चंद्रशेखर राव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एजेंट बताया था. उन्होंने कहा था कि राव ने राष्ट्रपति चुनाव और जीएसटी पर बीजेपी का साथ दिया था लेकिन केंद्र ने राज्य के विभाजन के समय किये गए वादे को पूरा नहीं किया है. उन्होंने ये भी कहा कि राव की पार्टी को वोट देने का मतलब है मोदी को वोट देना. इन सब घटनाओं से यही संकेत मिलते हैं कि एक ओर जहाँ टीडीपी कांग्रेस वाले गठबंधन की ओर जा सकती है तो वहीं टीआरएस, बीजेपी वाले गठबंधन में.
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