पहले आशुतोष और अब आशीष खेतान. पिछले कुछ ही दिनों में आम आदमी पार्टी से दो बड़े नामों ने अपना नाता तोड़ा. 15 अगस्त को ही खेतान ने ईमेल भेजकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अब इसके लिए अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है. ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के पुराने सदस्य भी अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और विपक्षी पार्टियां भी केजरीवाल को आड़े हाथों ले रही हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल का यही रवैया रहा तो दिल्ली के अगले चुनाव तक पार्टी में वही अकेले बचेंगे. चलिए एक नजर डालते हैं कुछ बड़े नामों पर और जानते हैं वो आशीष खेतान के इस्तीफे पर क्या कह रहे हैं.
शुरुआत करते हैं कुमार विश्वास की प्रतिक्रिया से, जो आम आदमी पार्टी बनने के दौरान हर वक्त अरविंद केजरीवाल के साथ दिखते थे. पार्टी के गुप्त चंदे वाले मामले को ध्यान में रखकर अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कुमार विश्वास ने ट्वीट किया है- 'हम तो "चंद्र गुप्त" बनाने निकले थे हमें क्या था "चंदा गुप्ता" बन जाएगा.'
उन्होंने एक अन्य ट्वीट कर के जरिए ये कहा है कि सबने मिलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन उन्होंने किसी की भी कद्र नहीं की और पार्टी का नाम डुबो दिया.
वहीं दूसरी ओर, कपिल मिश्रा ने तो अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए एक वीडियो ही बना डाला है. उन्होंने कहा है कि 15 अगस्त पर...
पहले आशुतोष और अब आशीष खेतान. पिछले कुछ ही दिनों में आम आदमी पार्टी से दो बड़े नामों ने अपना नाता तोड़ा. 15 अगस्त को ही खेतान ने ईमेल भेजकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अब इसके लिए अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है. ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के पुराने सदस्य भी अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और विपक्षी पार्टियां भी केजरीवाल को आड़े हाथों ले रही हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल का यही रवैया रहा तो दिल्ली के अगले चुनाव तक पार्टी में वही अकेले बचेंगे. चलिए एक नजर डालते हैं कुछ बड़े नामों पर और जानते हैं वो आशीष खेतान के इस्तीफे पर क्या कह रहे हैं.
शुरुआत करते हैं कुमार विश्वास की प्रतिक्रिया से, जो आम आदमी पार्टी बनने के दौरान हर वक्त अरविंद केजरीवाल के साथ दिखते थे. पार्टी के गुप्त चंदे वाले मामले को ध्यान में रखकर अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कुमार विश्वास ने ट्वीट किया है- 'हम तो "चंद्र गुप्त" बनाने निकले थे हमें क्या था "चंदा गुप्ता" बन जाएगा.'
उन्होंने एक अन्य ट्वीट कर के जरिए ये कहा है कि सबने मिलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन उन्होंने किसी की भी कद्र नहीं की और पार्टी का नाम डुबो दिया.
वहीं दूसरी ओर, कपिल मिश्रा ने तो अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए एक वीडियो ही बना डाला है. उन्होंने कहा है कि 15 अगस्त पर आशुतोष के जाने की ख़बर आई, ईद पर आशीष खेतान के जाने की ख़बर. अभी रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, पूरी नवरात्रि और रावण दहन होना बाक़ी हैं.
'आप' के पुराने साथी और देश के मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने भी केजरीवाल पर निशाना साधते हुए ट्वीट करते हुए लिखा है- 'जिन लोगों ने महान आदर्शवाद के लिए आप की शुरुआत की या उससे जुड़े, लंबी कड़वाहटों की वजह से उनकी लिस्ट अब छोटी होती जा रही है. आप की शुरुआत को तो एक बड़ी उम्मीद की किरण माना गया था, लेकिन एक व्यक्ति की बेईमान महत्वाकांक्षा और दूरदृष्टिता (विजन) की कमी के चलते सब बर्बाद हो गया.'
आशीष खेतान के इस्तीफे पर आईपीएस संजीव भट्ट ने लिखा है- 'आप- एक रोमांटिक आइडिया, जो अब एक आदमी की जागीर बन गया है.'
भाजपा के दिल्ली के प्रवक्ता अशोक गोयल ने लिखा है कि पहले आशुतोष अब आशीष खेतान ने आम आदमी पार्टी से किनारा किया. एक-एक कर सभी विश्वास खो रहे हैं, अरविंद केजरीवाल जी आत्म मंथन की जरूरत है. अपने झूठे सर्वे के माध्यम से कल बीजेपी के खात्मे की बात करने वाली आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे खुद ही ख़त्म होती जा रही है.
यह भी कहा जा रहा है कि आशीष खेतान के पार्टी छोड़ने का कारण ये नहीं है कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें नई दिल्ली से टिकट नहीं दिया, बल्कि एक अन्य फेवरेट चीज को लेकर लड़ाई के चलते खेतान ने इस्तीफा दिया है.
वहीं दूसरी ओर, फिल्म मेकर और सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पंडित कहते हैं कि जब अन्ना हजारे जैसे नेता को नहीं बख्शा, तो आशीष खेतान क्या चीज हैं?
आशीष खेतान के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी की मुश्किलें अब और अधिक बढ़ गई हैं. एक तो अरविंद केजरीवाल को चौतरफा आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर इसका आने वाले चुनाव पर बुरा असर पड़ना भी लगभग तय माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी के अहम लोग एक-एक कर के पार्टी को छोड़ते जा रहे हैं. आखिर पार्टी में कुछ तो गलत जरूर हो रहा होगा, जिसके चलते सभी किनारा करते जा रहे हैं. अगर कुछ गलत नहीं हो रहा तो ये तो सभी को दिख ही रहा है कि सब कुछ अच्छा नहीं है. अरविंद केजरीवाल को भी इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है कि अगर इस तरह अपने रूठते रहे तो आने वाले चुनावों में वह किस मुंह से जनता के बीच जाकर कहेंगे कि उन्होंन एक अलग तरह की राजनीति की है.
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