राजस्थान के उदयपुर में जिहादी मानसिकता से भरे दो मुसलमानों ने एक टेलर कन्हैया लाल (daipur Hindu Tailor Murder) का 'सिर तन से जुदा' कर दिया. इस नृशंस जिहादी हत्याकांड के बाद से ही अपराधियों और घटना की मजम्मत की जा रही है. तमाम सियासी दलों ने इस घटना को वीभत्स बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. लेकिन, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड पर हजारों तीखी टिप्पणियों के बीच सियासी दलों के 'सेकुलर नेताओं' ने पूरी तरह से खुद को सेलेक्टिव रखा है. ये वहीं नेता हैं, जो ऐसी ही अन्य घटनाओं पर खुलकर हिंदुओं और हिंदू धर्म को कठघरे में खड़ा कर देते हैं. लेकिन, मुस्लिमों की जिहादी सोच से जुड़े मामलों पर सिलेक्टिव प्रतिक्रिया अपनाते हुए लानत-मलानत और मजम्मत से काम चला लेते हैं.
कहना गलत नहीं होगा कि उदयपुर के जिहादी हत्याकांड जैसी घटनाओं को इन्ही सेलेक्टिव प्रतिक्रियाओं से ही खाद-पानी मिलता है. ये सेकुलर नेता ही नूपुर शर्मा के खिलाफ एक एडिटेड क्लिप के जरिये आग फैलाने वाले फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर इसे लोकतंत्र की हत्या घोषित कर देते हैं. लेकिन, मोहम्मद जुबैर की लगाई इस आग में भस्म हुए कन्हैया लाल की बेरहमी से हुई हत्या पर नफरत को हराने और गंगा-जमुनी तहजीब पर ज्ञान बांटने लगते हैं. इतना ही नहीं, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड पर इन प्रतिक्रियाओं में मुस्लिम या इस्लाम जैसे शब्दों का प्रयोग ही वर्जित नजर आने लगता है. जबकि, ऐसी ही किसी अन्य घटना पर ये सीधे हिंदू धर्म और हिंदुओं पर सवाल खड़ा करने से पहले एक पल का भी समय नहीं लेते हैं.
राजस्थान में पिछले कुछ महीनों से लगातार सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की घटनाएं होती रही हैं. लेकिन, करौली से लेकर उदयपुर तक हर सांप्रदायिक घटना में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अपने वोटबैंक को बचाए रखने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से इस पर प्रतिक्रिया देने की मांग करते हैं. और, ये तकरीबन पूरे देश के ही सियासी दलों के सेकुलर नेताओं के साथ होने वाली समस्या है. क्योंकि, ऐसी घटनाओं पर अन्य घटनाओं की तरह ही प्रतिक्रिया...
राजस्थान के उदयपुर में जिहादी मानसिकता से भरे दो मुसलमानों ने एक टेलर कन्हैया लाल (daipur Hindu Tailor Murder) का 'सिर तन से जुदा' कर दिया. इस नृशंस जिहादी हत्याकांड के बाद से ही अपराधियों और घटना की मजम्मत की जा रही है. तमाम सियासी दलों ने इस घटना को वीभत्स बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. लेकिन, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड पर हजारों तीखी टिप्पणियों के बीच सियासी दलों के 'सेकुलर नेताओं' ने पूरी तरह से खुद को सेलेक्टिव रखा है. ये वहीं नेता हैं, जो ऐसी ही अन्य घटनाओं पर खुलकर हिंदुओं और हिंदू धर्म को कठघरे में खड़ा कर देते हैं. लेकिन, मुस्लिमों की जिहादी सोच से जुड़े मामलों पर सिलेक्टिव प्रतिक्रिया अपनाते हुए लानत-मलानत और मजम्मत से काम चला लेते हैं.
कहना गलत नहीं होगा कि उदयपुर के जिहादी हत्याकांड जैसी घटनाओं को इन्ही सेलेक्टिव प्रतिक्रियाओं से ही खाद-पानी मिलता है. ये सेकुलर नेता ही नूपुर शर्मा के खिलाफ एक एडिटेड क्लिप के जरिये आग फैलाने वाले फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर इसे लोकतंत्र की हत्या घोषित कर देते हैं. लेकिन, मोहम्मद जुबैर की लगाई इस आग में भस्म हुए कन्हैया लाल की बेरहमी से हुई हत्या पर नफरत को हराने और गंगा-जमुनी तहजीब पर ज्ञान बांटने लगते हैं. इतना ही नहीं, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड पर इन प्रतिक्रियाओं में मुस्लिम या इस्लाम जैसे शब्दों का प्रयोग ही वर्जित नजर आने लगता है. जबकि, ऐसी ही किसी अन्य घटना पर ये सीधे हिंदू धर्म और हिंदुओं पर सवाल खड़ा करने से पहले एक पल का भी समय नहीं लेते हैं.
राजस्थान में पिछले कुछ महीनों से लगातार सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की घटनाएं होती रही हैं. लेकिन, करौली से लेकर उदयपुर तक हर सांप्रदायिक घटना में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अपने वोटबैंक को बचाए रखने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से इस पर प्रतिक्रिया देने की मांग करते हैं. और, ये तकरीबन पूरे देश के ही सियासी दलों के सेकुलर नेताओं के साथ होने वाली समस्या है. क्योंकि, ऐसी घटनाओं पर अन्य घटनाओं की तरह ही प्रतिक्रिया देने से इनके मुस्लिम वोटबैंक के छिटकने का डर बना रहता है. जिसकी वजह से हिंदुओं के खिलाफ खुलकर आरोप लगाने ये सेकुलर नेता सेलेक्टिव प्रतिक्रियाओं के सहारे ही अपनी राजनीति बचाने की कोशिश में जुट जाते हैं. आइए नजर डालते हैं उदयपुर के जिहादी हत्याकांड पर 'सेकुलर नेताओं' की ऐसी ही कुछ सेलेक्टिव प्रतिक्रियाओं पर...
उदयपुर की घटना पर राहुल गांधी को सिर्फ बर्बरता याद आई
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने त्रिपुरा में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों और मस्जिद तोड़े जाने की फर्जी खबर पर बाकायदा ट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी थी. क्योंकि, यहां कांग्रेस के लिए वोटबैंक की राजनीति जरूरी थी. और, इस ट्वीट में राहुल गांधी मुस्लिम भाइयों के साथ क्रूरता, हिंदुओं के नाम पर नफरत, हिंसा फैलाने वाले हिंदू नहीं ढोंगी जैसे शब्दों के सहारे अपना भरपूर गुस्सा जताया था. लेकिन, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड (daipur Tailor Death) पर राहुल गांधी की शब्दावली कमजोर पड़ गई. शायद यहां राहुल गांधी अपराधियों का धर्म लिखना जल्दबाजी में भूल गए होंगे. वैसे, हिंदुओं और हिंदू धर्म जैसे शब्दों का खुलकर इस्तेमाल करने वाले राहुल गांधी को मुस्लिम या इस्लाम जैसे शब्दों से परहेज क्यों है? इसकी जानकारी वो ही दे सकते हैं.
केजरीवाल ने अब नहीं पूछा- किस किताब में लिखा है हत्या करो
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भाजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. हरियाणा में क्रिकेट को लेकर हुए एक विवाद पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए पूछा था कि हमारे (हिंदू) किस ग्रंथ में लिखा है मुसलमानों को मारो? गीता में? रामायण में? हनुमान चालीसा में?. केजरीवाल ने इस घटना में शामिल लोगों के लिए हिंदुओं के वेश में गुंडे, लुच्चे, लफंगे जैसे शब्दों का प्रयोग किया था. लेकिन, उदयपुर के जिहादी हत्याकांड (daipur Tailor Murder) पर अरविंद केजरीवाल कड़े शब्दों में निंदा कर ही अपनी सियासत बचाने की जुगत लगाते दिखे. यहां केजरीवाल ने नहीं पूछा कि केवल समर्थन करने भर के लिए किसी का सिर तन से जुदा करने की बात किस किताब में लिखी है. और, कन्हैया लाल को मारने वालों का धर्म क्या था?
ओवैसी के हिसाब से ईशनिंदा के दोषियों के लिए दुनिया चूहे का बिल
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड (daipur shopkeeper murder) में अपनी सियासत के हिसाब से ही मुस्लिमों और इस्लाम के नाम को बीच में नहीं आने दिया. असदुद्दीन ओवैसी ने हत्याकांड की पुरजोर निंदा की. और, इसके लिए देश में बढ़ रही कट्टरता को जिम्मेदार ठहराया. इतना ही नहीं, ओवैसी ने ये भी इशारा किया कि नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी हो जाती, तो शायद ये हत्या नहीं होती. लेकिन, ये वही असदुद्दीन ओवैसी हैं, जो पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले कमलेश तिवारी के लिए दुनिया को चूहे का बिल बता गए थे. बता दें कि कमलेश तिवारी की भी कन्हैया लाल की तरह ही मुस्लिम कट्टरपंथियों ने गला रेतकर हत्या कर दी थी.
'दीदी' कर रहीं बंगाल में जिहाद छेड़ने और उदयपुर में छोड़ने की अपील
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी सेलेक्टिव प्रतिक्रिया देने के मामले में किसी से कमजोर नही हैं. 21 जून को ही ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में भाजपा के खिलाफ पश्चिम बंगाल में जिहाद छेड़ने की अपील की थी. एक मुख्यमंत्री होकर ममता बनर्जी को भाजपा के खिलाफ जिहाद छेड़ने जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने में परहेज नहीं है. जबकि, इस्लाम में जिहाद का मतलब सभी को पता है. जिहाद का सीधा सा अर्थ है कि इस्लाम अपनाने से इनकार करने वालों के खिलाफ जंग छेड़ दो. तो, ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा के खिलाफ जिहाद चाहती हैं. लेकिन, उदयपुर की घटना (daipur Murder Case video) में 'दीदी' को जिहाद नजर नहीं आता है. यहां ममता बनर्जी को हिंसा और कट्टरता ही दिखाई पड़ती है. जबकि, साफ है कि कन्हैया लाल को गुस्ताख-ए-रसूल होने की ही सजा दी गई है.
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