किसान आंदोलन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट के बाद पिछले दिनों विदेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद बॉलीवुड और खेल से जुड़े कई सेलेब्स ने भारत की एकता को दर्शाते हुए #IndiaAgainstPropoganda और #IndiaTogether हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किए थे. इन सबके बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) की उद्धव सरकार (ddhav Government) ने 'भारत रत्नों' (Bharat Ratna Awardee) द्वारा 'भारत' के पक्ष में किये गये ट्वीट की जांच कराने के आदेश दिए हैं. सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी इन हैशटैग का प्रयोग करते हुए ट्वीट किए थे. इंटेलिजेंस विभाग इस मामले की जांच करेगा. साथ ही इस तरह के ट्वीट के पीछे भाजपा द्वारा बनाए गए दबाव को खोजेगा. इस जांच के लिए तर्क दिया गया है कि सभी खिलाड़ियो-अभिनेताओं व अन्य के ट्वीट्स एक ही पैटर्न में किए गए हैं. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य और मुंबई कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ये आरोप लगाए हैं. जिस पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इसके पीछे की सच्चाई पता लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता हैं कि उद्धव सरकार को इन सेलेब्स के देश की एकता का प्रदर्शन करने वाले ट्वीट्स में भाजपा का दबाव क्यों नजर आ रहा है? देश की एकता की बात करना जांच का विषय क्यों बन जाता है?
कांग्रेस नेता ने किया भाजपा की 'टूलकिट' की ओर इशारा
मुंबई कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत के आरोपों के अनुसार, इन सभी हस्तियों ने लगभग मिलते-जुलते ट्वीट किए थे. उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और अभिनेता अक्षय कुमार के एक जैसी भाषा वाले ट्वीट का हवाला भी दिया. उन्होंने बीसीसीआई में भी भाजपा की भूमिका को आधार बनाकर खिलाड़ियों के ट्वीट को दबाव में किया गया बताया था. सावंत के अनुसार, पॉप स्टार रिहाना के ट्वीट के बाद भाजपा की ओर से डैमेज कंट्रोल करने के लिए इन सभी सेलेब्स को एक स्क्रिप्ट भेजी गई थी. भाजपा के दबाव में इन सभी हस्तियों ने ट्वीट किए हैं. सीधे और साफ शब्दों...
किसान आंदोलन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट के बाद पिछले दिनों विदेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद बॉलीवुड और खेल से जुड़े कई सेलेब्स ने भारत की एकता को दर्शाते हुए #IndiaAgainstPropoganda और #IndiaTogether हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किए थे. इन सबके बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) की उद्धव सरकार (ddhav Government) ने 'भारत रत्नों' (Bharat Ratna Awardee) द्वारा 'भारत' के पक्ष में किये गये ट्वीट की जांच कराने के आदेश दिए हैं. सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी इन हैशटैग का प्रयोग करते हुए ट्वीट किए थे. इंटेलिजेंस विभाग इस मामले की जांच करेगा. साथ ही इस तरह के ट्वीट के पीछे भाजपा द्वारा बनाए गए दबाव को खोजेगा. इस जांच के लिए तर्क दिया गया है कि सभी खिलाड़ियो-अभिनेताओं व अन्य के ट्वीट्स एक ही पैटर्न में किए गए हैं. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य और मुंबई कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ये आरोप लगाए हैं. जिस पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इसके पीछे की सच्चाई पता लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता हैं कि उद्धव सरकार को इन सेलेब्स के देश की एकता का प्रदर्शन करने वाले ट्वीट्स में भाजपा का दबाव क्यों नजर आ रहा है? देश की एकता की बात करना जांच का विषय क्यों बन जाता है?
कांग्रेस नेता ने किया भाजपा की 'टूलकिट' की ओर इशारा
मुंबई कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत के आरोपों के अनुसार, इन सभी हस्तियों ने लगभग मिलते-जुलते ट्वीट किए थे. उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और अभिनेता अक्षय कुमार के एक जैसी भाषा वाले ट्वीट का हवाला भी दिया. उन्होंने बीसीसीआई में भी भाजपा की भूमिका को आधार बनाकर खिलाड़ियों के ट्वीट को दबाव में किया गया बताया था. सावंत के अनुसार, पॉप स्टार रिहाना के ट्वीट के बाद भाजपा की ओर से डैमेज कंट्रोल करने के लिए इन सभी सेलेब्स को एक स्क्रिप्ट भेजी गई थी. भाजपा के दबाव में इन सभी हस्तियों ने ट्वीट किए हैं. सीधे और साफ शब्दों में कहें, तो कांग्रेस नेता का इशारा 'टूलकिट' की ओर था.
किसान आंदोलन के समर्थन में पॉप स्टार रिहाना, पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग और तमाम अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट के बाद एक 'टूलकिट' सामने आई थी. इस टूलकिट को गलती से ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट कर दिया था. हालांकि, उन्होंने बाद में इसे डिलीट कर दिया था. ग्रेटा द्वारा शेयर की गई इस गूगल डॉक्युमेंट फाइल में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्य योजना साझा की गई थी. इसमें किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल बताया गया था. इस फाइल में भारत की वर्तमान भाजपा सरकार को फासीवादी करार दिया गया था. इस 'टूलकिट' की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने मामला भी दर्ज किया है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि ये टूलकिट खालिस्तानी संगठनों से जुड़ी हो सकती है.
'कहानी' पूरी राजनीतिक है
हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बिना नाम लिए (सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर) इन ट्वीट्स पर किसी अलग विषय पर बोलने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. इसे सीधे तौर पर सचिन के लिए एक नसीहत माना जा रहा था. वहीं, अब मुंबई 'कांग्रेस' प्रवक्ता के आरोपों पर उद्धव सरकार के गृह मंत्री और 'एनसीपी' नेता अनिल देशमुख ने इस जांच के आदेश दिए हैं. इस आदेश के आने के बाद कहा जा सकता है कि कांग्रेस और एनसीपी अपनी पार्टी लाइन पर काम कर रहे हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चुप्पी भी इशारा कर रही है कि भाजपा के इस दबाव की जांच करने की मंशा केवल कांग्रेस और एनसीपी की नहीं है. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला था. राज ठाकरे ने कहा था कि केंद्र सरकार को सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर को अपने समर्थन में ट्वीट करने के लिए नहीं कहना चाहिए था. साथ ही उन्होंने सलाह दी थी कि ऐसे अभियान के लिए अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं का इस्तेमाल ही करना चाहिए.
महा विकास आघाडी (MVA) सरकार की ओर से किया गया ये फैसला शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की अपनी राजनीति को बचाने की कवायद नजर आता है. ये तीनों ही दल महाराष्ट्र में भाजपा को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं. उसमें भी खासतौर से शिवसेना के लिए भाजपा एक सबसे बड़ा खतरा है. दोनों ही पार्टियों की राजनीति हिंदुत्व के आसपास घूमती है. हालांकि, शिवसेना के इस हिंदुत्व में 'मराठी मानुष' भी अहम भूमिका में है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार लंबे समय से किसान राजनीति का हिस्सा रहे हैं. कांग्रेस भी किसानों को लेकर लगातार बयान जारी कर रही है. ऐसे में अपनी राजनीति को बचाने के लिए इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, ये कहना गलत नहीं होगा.
इन सेलेब्स ने सोनू और कंगना से नहीं लिया सबक
आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में उद्धव सरकार के सामने अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राजनीतिक विरोध में इन सेलेब्स के ट्वीट ना चाहते हुए भी जांच के घेरे में आ जाते हैं. भले ही भारत रत्न से सम्मानित 'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर और 'सुर साम्राज्ञी' लता मंगेशकर के ट्वीट देश के खिलाफ चलाए जा रहे 'प्रोपेगेंडा' के विरोध में थे. लेकिन, महाराष्ट्र और किसान राजनीति के लिए कतई मुफीद नहीं थे. बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और अभिनेता सोनू सूद जैसे उदाहरण सामने होने के बाद भी इन हस्तियों ने देश की एकता को दर्शाते हुए ट्वीट कैसे कर दिया, इस पर सवाल तो खड़े होंगे ही. मामले में भाजपा को घसीटना है, तो भाजपा का दबाव होना बहुत जरूरी है. गौर करने लायक बात है कि इन ट्वीट में किसान आंदोलन का विरोध और भाजपा का समर्थन केवल विपक्षी दलों को ही दिखा है. खैर, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ये पहले भी साबित कर चुकी है कि भाजपा के लिए बैटिंग करते दिखोगे, तो अगली सारी गेंदें बाउंसर ही मिलेंगी. पांच दिनों के टेस्ट मैच की तरह यहां पांच साल की सरकार है. आने वाले समय में और बाउंसर झेलने के लिए तैयार रहें.
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