महाराष्ट्र के सियासी संकट पर ब्रेक लग गया है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है. उद्धव ने ये फैसला उस वक़्त लिया है जब सुप्रीम कोर्ट ने महाविकास आघाडी गठबंधन की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की बात हुई थी. उद्धव ने सिर्फ मुख्यमंत्री पद से ही इस्तीफ़ा नहीं दिया है बल्कि उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद को भी अलविदा कह दिया है. भले ही महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट होने में अभी कुछ वक़्त बचा हो लेकिन जिस तरह उद्धव फेसबुक पर लाइव आए और अपने मन की बात की. साफ़ था कि अपनों से लूटे जाने के बाद उद्धव बहुत ही लाचार, बहुत ही बेबस महसूस कर रहे हैं. उद्धव ने फेसबुक लाइव में कहा कि मुझे फ्लोर टेस्ट से कोई मतलब नहीं है. मैं CM पद छोड़ रहा हूं. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि मेरे पास शिवसेना है और कोई मुझसे इसे छीन नहीं सकता. वहीं अपने लाइव में उद्धव ने इस बात पर भी बल दिया कि जिसको मैंने बड़ा किया वो मेरा पाप है और मैं उस पाप को आज भोग रहा हूं. बाला साहब के लड़के ने जिसे बड़ा बनाया उसे कुछ लोगों ने नीचे कर दिया. मुझे धोखा दिया.
अब इसे बागी हुये शिवसेना विधायकों से प्राप्त छल कहें या वक़्त की मार जो हाल उद्धव का हुआ है कहीं न कहीं उसने उन्हें तोड़ कर रख दिया है. वर्तमान राजनितिक परिदृश्य में जो कुछ भी उनके साथ हुआ है वो शिवसेना के अलावा उनकी खुद की पॉलिटिक्स को कितना प्रभावित करेगा इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन उद्धव द्वारा इस्तीफ़ा का फैसला लेने के बाद जैसी प्रतिक्रियाएं उनके शुभचिंतकों की आ रही हैं साफ़ है कि भले ही उद्धव के लिए वक़्त मुश्किल हो लेकिन जो उनके अपने हैं वो उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े...
महाराष्ट्र के सियासी संकट पर ब्रेक लग गया है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है. उद्धव ने ये फैसला उस वक़्त लिया है जब सुप्रीम कोर्ट ने महाविकास आघाडी गठबंधन की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की बात हुई थी. उद्धव ने सिर्फ मुख्यमंत्री पद से ही इस्तीफ़ा नहीं दिया है बल्कि उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद को भी अलविदा कह दिया है. भले ही महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट होने में अभी कुछ वक़्त बचा हो लेकिन जिस तरह उद्धव फेसबुक पर लाइव आए और अपने मन की बात की. साफ़ था कि अपनों से लूटे जाने के बाद उद्धव बहुत ही लाचार, बहुत ही बेबस महसूस कर रहे हैं. उद्धव ने फेसबुक लाइव में कहा कि मुझे फ्लोर टेस्ट से कोई मतलब नहीं है. मैं CM पद छोड़ रहा हूं. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि मेरे पास शिवसेना है और कोई मुझसे इसे छीन नहीं सकता. वहीं अपने लाइव में उद्धव ने इस बात पर भी बल दिया कि जिसको मैंने बड़ा किया वो मेरा पाप है और मैं उस पाप को आज भोग रहा हूं. बाला साहब के लड़के ने जिसे बड़ा बनाया उसे कुछ लोगों ने नीचे कर दिया. मुझे धोखा दिया.
अब इसे बागी हुये शिवसेना विधायकों से प्राप्त छल कहें या वक़्त की मार जो हाल उद्धव का हुआ है कहीं न कहीं उसने उन्हें तोड़ कर रख दिया है. वर्तमान राजनितिक परिदृश्य में जो कुछ भी उनके साथ हुआ है वो शिवसेना के अलावा उनकी खुद की पॉलिटिक्स को कितना प्रभावित करेगा इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन उद्धव द्वारा इस्तीफ़ा का फैसला लेने के बाद जैसी प्रतिक्रियाएं उनके शुभचिंतकों की आ रही हैं साफ़ है कि भले ही उद्धव के लिए वक़्त मुश्किल हो लेकिन जो उनके अपने हैं वो उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े हैं.
उद्धव के इस्तीफे और उनकी स्पीच की चर्चा ट्विटर पर जोर शोर से है और मामले के मद्देनजर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू शो गया है. आइये एक नजर डालते हैं ट्विटर पर और देखते हैं कि उद्धव द्वारा लिए गए फैसले के बाद लोग क्या कह रहे हैं.
उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है कि ये अग्नि परीक्षा का समय है. राउत के ट्वीट के अनुसार हमने एक बेहद शालीनता वाला और संवेदनशील मुख्यमंत्री खो दिया. इतिहास बताता है कि धोखे का अंत अच्छा नहीं होता. ये ठाकरे की जीत है. जनता की जीत है. यह शिवसेना की शानदार जीत की शुरुआत है.
वहीं राउत ने एक ट्वीट और किया है जिसमें वो शरद परिवार का धन्यवाद करते हुए नजर आ रहे हैं.
उद्धव ठाकरे को समर्थन देते हुए शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया कि उद्धव ठाकरे आपके नेतृत्व के लिए धन्यवाद. आपने एक नए गठबंधन का नेतृत्व करने का कठिन काम संभाला, राज्य को महामारी से उबरने में मदद की, यह सुनिश्चित किया कि सांप्रदायिक नफरत की आग हमारे राज्य में न जले, राज्य और उसके लोगों के हितों कोबिना किसी पूर्वाग्रह के सबसे ऊपर रखा.
भाजपा नेता सीटी रवि ने भी उद्धव के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और लिखा है कि मैं श्री उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के फैसले का स्वागत करता हूं. रवि के अनुसार उद्धव जानते थे कि जिस दिन शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे ने हिंदुत्व को धोखा देने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया, उस दिन उन्होंने बहुमत खो दिया था. अपने ट्वीट में सीटी रवि ने इस बात पर भी बल दिया कि उद्धव केकार्यकाल ने साबित कर दिया है कि 'अवसरवादी गठबंधन' ज्यादा दिनों तक टिकते नहीं हैं.
क्योंकि अपने इस्तीफे के बाद उद्धव ने इमोशनल कर देने वाली स्पीच दी है तो सोशल मीडिया पर लोगों ने उसका भी अवलोकन करना शुरू कर दिया है और बात बाला साहेब ठाकरे तक आ गयी है.
मामले पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है किबालासाहेब ठाकरे एक ऐसे व्यक्ति थे जो सत्ता में न होते हुए भी सरकारों को नियंत्रित कर सकते थे. वहीं उनके बेटे सत्ता में रहते हुए भी अपनी पार्टी को नियंत्रित नहीं कर पाए.
जैसी उद्धव की स्पीच है माना जा रहा है कि आने वाले वक़्त में हम महाराष्ट्र की सियासत में कुछ बेहद बड़ा और तूफानी होते देख सकते हैं.
सोशल मीडिया पर लोगों का ये भी मत है कि उद्धव के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ है. उन्होंने जो पूर्व में किया आज उन्हें उसी का सिला मिला है.
बाकी जिस तरह का फैसला उद्धव ने लिया है उससे हर वो इंसान दुखी है जो उन्हें सपोर्ट करता था.
बहरहाल चर्चा में क्यों कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद भी है तो जिस तरह उद्धव ने दोनों ही स्थानों के नाम बदले कहीं न कहीं उन्होंने अपना हिंदुत्व वाला चेहरा भी दिखाने का प्रयास किया लेकिन चूंकि अब कारवां लुट चुका है इसलिए इससे भी उध्दव को कोई बड़ा फायदा मिले कहना मुश्किल है.
ये भी पढ़ें -
Maharashtra Political Crisis: इन विवादों के लिए याद रखी जाएगी उद्धव ठाकरे सरकार!
ddhav Thackeray resigned, लेकिन उससे पहलेऔरंगाबाद-उस्मानाबाद का बदलकर किरकिरी क्यों कराई?
Sangrur bypoll: पंजाब में अपने पहले ही टेस्ट में क्यों फेल हो गयी आम आदमी पार्टी?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.