शिवसेना की रैली में उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) ने पहले ही साफ कर दिया था, 'मैं बहुत दिनों बाद मैदान में उतरा हूं... खुली सांस ले रहा हूं... मुझे बहुत सारे विषयों पर बोलना है...' - और एक बार शुरू हो गये तो खूब बोले. ऐसे आक्रामक अंदाज में जैसे शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे बोला करते थे. बीजेपी और संघ के खिलाफ तो वो दो कदम आगे ही नजर आये. बेहद आक्रामक.
उद्धव ठाकरे ने AIMIM सांसद अकबरूद्दीन ओवैसी के औरंगजेब की कब्र पर फूल चढ़ाने का भी खास तौर पर जिक्र किया. असल में रैली से पहले ही अमरावती सांसद नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को चैलेंज देते हुए कहा था कि अगर पूरा न कर पायें तो औरंगजेब की कब्र पर जाकर फूल चढ़ायें. उद्धव ठाकरे अपनी तरफ से समझाने की कोशिश की कि बीजेपी का यही चल रहा है. कहीं 'ए' टीम है तो कहीं 'बी' टीम - और किसी के हाथ में हनुमान चालीसा है तो किसी के हाथ मे लाउडस्पीकर और किसी के हाथ में नमाज. क्योंकि ये अगर फंसे तो इनका कुछ न होगा.
उद्धव ठाकरे ने छोड़ा किसी को भी नहीं. देवेंद्र फडणवीस से लेकर राज ठाकरे (Raj Thackeray) और नवनीत राणा (Navneet Rana) तक - और केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को भी. बिलकुल उसी अंदाज में जो करना है कर लो. एक सार्वजनिक चेतावनी तो सभी के लिए जारी कर दी गयी लगती है - न तो किसी को माफ किया जाएगा, न ही किसी को बख्शा जाएगा. अपने चचेरे भाई राज ठाकरे को तो 'मुन्नाभाई' ही बता डाले और बगैर नाम लिए साफ तौर पर इशारा किया कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आये तो सभी का हाल नवनीत राणा जैसा ही होने वाला है.
केंद्र की बीजेपी सरकार को लेकर उद्धव ठाकरे पहले भी कई बार आक्रामक रुख दिखा चुके हैं - सरकार गिराना चाहते हो, गिरा कर दिखाओ. अब उद्धव ठाकरे को आशंका है कि मुंबई को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग करने की कोशिश हो...
शिवसेना की रैली में उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) ने पहले ही साफ कर दिया था, 'मैं बहुत दिनों बाद मैदान में उतरा हूं... खुली सांस ले रहा हूं... मुझे बहुत सारे विषयों पर बोलना है...' - और एक बार शुरू हो गये तो खूब बोले. ऐसे आक्रामक अंदाज में जैसे शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे बोला करते थे. बीजेपी और संघ के खिलाफ तो वो दो कदम आगे ही नजर आये. बेहद आक्रामक.
उद्धव ठाकरे ने AIMIM सांसद अकबरूद्दीन ओवैसी के औरंगजेब की कब्र पर फूल चढ़ाने का भी खास तौर पर जिक्र किया. असल में रैली से पहले ही अमरावती सांसद नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को चैलेंज देते हुए कहा था कि अगर पूरा न कर पायें तो औरंगजेब की कब्र पर जाकर फूल चढ़ायें. उद्धव ठाकरे अपनी तरफ से समझाने की कोशिश की कि बीजेपी का यही चल रहा है. कहीं 'ए' टीम है तो कहीं 'बी' टीम - और किसी के हाथ में हनुमान चालीसा है तो किसी के हाथ मे लाउडस्पीकर और किसी के हाथ में नमाज. क्योंकि ये अगर फंसे तो इनका कुछ न होगा.
उद्धव ठाकरे ने छोड़ा किसी को भी नहीं. देवेंद्र फडणवीस से लेकर राज ठाकरे (Raj Thackeray) और नवनीत राणा (Navneet Rana) तक - और केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को भी. बिलकुल उसी अंदाज में जो करना है कर लो. एक सार्वजनिक चेतावनी तो सभी के लिए जारी कर दी गयी लगती है - न तो किसी को माफ किया जाएगा, न ही किसी को बख्शा जाएगा. अपने चचेरे भाई राज ठाकरे को तो 'मुन्नाभाई' ही बता डाले और बगैर नाम लिए साफ तौर पर इशारा किया कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आये तो सभी का हाल नवनीत राणा जैसा ही होने वाला है.
केंद्र की बीजेपी सरकार को लेकर उद्धव ठाकरे पहले भी कई बार आक्रामक रुख दिखा चुके हैं - सरकार गिराना चाहते हो, गिरा कर दिखाओ. अब उद्धव ठाकरे को आशंका है कि मुंबई को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग करने की कोशिश हो सकती है - और महा विकास अघाड़ी सरकार की परियोजनाओं को बंद कर दिये जाने की आशंका भी जताई है.
शिवसेना ने रैली का नाम 'शिव सम्पर्क अभियान' रखा गया है. ऐसा लगता है ये अभियान आगे भी और लंबा चलने वाला है - और ये भी लग रहा है राज ठाकरे के आक्रामक तेवर को काउंटर करने के लिए उद्धव ठाकरे ज्यादा आक्रामक अंदाज अपनाये रखने वाले हैं.
बिलकुल नवनीत राणा की तरह तो नहीं लेकिन मिलते जुलते अंदाज में मराठी एक्टर केतकी चितले को भी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया है - केतकी चितले को एनसीपी नेता शरद पवार को लेकर एक 'अपमानजनक' फेसबुक पोस्ट के लिए पुलिस एक्शन हुआ है.
अगर नहीं माने तो राज भी बख्शे नहीं जाएंगे
मराठी अभिनेत्री केतकी चितले की फेसबुक पोस्ट में एनसीपी नेता शरद पवार पर करीब करीब वैसे ही आरोल लगाये गये हैं, जैसे एमएनएस नेता राज ठाकरे भी लगा चुके हैं - जातिवाद की राजनीति करने का. फिर भी केतकी चितले के पोस्ट लिखने को राज ठाकरे ने शैतानी हरकत करार दिया है.
सिर्फ राज ठाकरे ही नहीं बल्कि देवेंद्र फडणवीस सहित पार्टीलाइन से इतर जाकर सभी नेताओं ने शरद पवार के खिलाफ भद्दे कमेंट की निंदा की है. कॉमन कड़ियों को जोड़ें तो ऐसे लगता है जैसे राज ठाकरे का एक मुद्दा नवनीत राणा ने उठाया था - और दूसरा मुद्दा अलग तरीके से केतकी चितले ने लपकने की कोशिश की.
और केतकी चितले को जिस बात के लिए गिरफ्तार किया गया है, वो पोस्ट उनकी लिखी भी नहीं है. ये मराठी में लिखी किसी और की कविता है जिसे केतकी चितले ने शेयर किया है. कविता में न तो किसी नेता का नाम है, न किसी राजनीतिक दल का. हां, कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे इशारे साफ समझ में आते हैं - मसलन, पवार, 80 साल, बारामती. वैसे शरद पवार 81 साल के हैं.
केतकी चितले की तरफ से शेयर पोस्ट में लिखा है - 'आप ब्राह्मणों से नफरत करते हैं' और 'नरक इंतजार कर रहा है'. एक लाइन और इससे आगे बढ़ कर है - 'बारामती के गांधी के लिए बारामती का नाथूराम गोडसे बनाने का समय आ गया है'. दरअसल, बारामती शरद पवार का इलाका है, संयोग से महात्मा गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे भी बारामती से ही आता है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो रैली के दौरान ही केतकी चितले से पूछ लिया, 'एनसीपी प्रमुख की आलोचना करने वाले तुम होते कौन हो? ऐसा लगता है वो भी फर्जी हिंदुत्व कैंप से ही है.'
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केतकी चितले का सपोर्ट तो नहीं किया है, लेकिन उनका लहजा न तो राज ठाकरे जैसा ही है, न उद्धव ठाकरे जैसा ही. बल्कि सिर्फ नसीहत दी है, हमें ध्यान रखना चाहिये कि बोलते वक्त सीनियर नेताओं के लिए किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
राज ठाकरे का लहजा बेहद सख्त जरूर है. शरद पवार को लेकर राज ठाकरे कहते हैं, 'हमारे उनसे मतभेद हैं और वे रहेंगे, लेकिन इस तरह के घृणित स्तर पर आना बिल्कुल गलत है... ये महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है... ऐसा लेखन... एक प्रवृत्ति नहीं, बल्कि शैतानी है और इसे फौरन कंट्रोल करने की जरूरत है.'
'राज के दिमाग में केमिकल लोचा!' पहले राज ठाकरे को अलग अलग छोर से सलाहियत और नसीहतें मिलती रहीं, लेकिन अब उद्धव ठाकरे भी खुल कर सामने आ गये हैं. उद्धव ठाकरे ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि गंदी राजनीति किसी ने भी की तो वो छोड़ने वाले नहीं हैं - भले ही वो बीजेपी की तरफ से हो या फिर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की तरफ से.
हाल के दिनों में देखा गया है कि राज ठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे की तरह सज-संवर कर बिलकुल वैसा ही दिखने का प्रयास कर रहे हैं. रैली में उद्धव ठाकरे ने ये तो समझाया ही कि राज ठाकरे उनके पिता बाल ठाकरे की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका दिमाग केमिकल लोचा का शिकार हो चुका है.
रैली में आये शिवसैनिकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उद्धव ठाकरे कह रहे थे, बालासाहेब ठाकरे की तरह शॉल पहनकर और उनकी आत्मा को देखने का दावा करने का एक मामला घूम रहा है... जैसा फिल्म में है... वो किसी रासायनिक लोचा से पीड़ित है - और उसे इलाज की जरूरत है.
आगे कहते हैं, वो मुन्नाभाई जैसा व्यवहार कर रहे हैं. महाराष्ट्र आगे जा रहा है, इनसे देखा नहीं जा रहा है. लगता है उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के मुंह से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ को गंभीरता से ले लिया है - और 'योगी' के मुकाबले 'भोगी' वाली तुलना को भी.
फिर बीजेपी को भी लपेट लेते हैं. स्वाभाविक भी है. जब मालूम है कि सबका रिमोट कंट्रोल बीजेपी के पास ही है. ताना मारते हुए कुछ कुछ स्वीकार भी करते हैं, बीजेपी कहती है कि शिवसेना बालासाहेब वाली शिवसेना नहीं रही - बीजेपी अटलजी वाली बीजेपी रही क्या?
संघ को भी नहीं छोड़ा: अभी तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शिवसेना नेतृत्व एक दूसरे पर टिप्पणी करने से बचते आये हैं. दोनों तरफ से हिन्दुत्व पर बयान जरूर आये हैं, लेकिन सीधे हमले से परहेज करते हुए.
उद्धव ठाकरे ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण का हवाला भी दिया है तो बीजेपी नेतृत्व को नसीहत देने के लिए. बीजेपी के शिवसेना से गठबंधन टूट जाने के बाद भी मोहन भागवत कभी इस बात के पक्षधर नहीं दिखे कि शिवसेना में तोड़फोड़ किया जाये. उद्धव ठाकरे को लगने लगा है कि चीजें बर्दाश्त के बाहर होती जा रही हैं. हो सकता है, उद्धव को लगता हो कि बीजेपी जो भी वाया बायपास कर रही है, उसे संघ का समर्थन भी हासिल हो.
बाल ठाकरे की कौन कहे, उद्धव ठाकरे ने तो बीजेपी और संघ पर वैसे ही हमला बोला है जैसे अभी तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी के मुंह से सुनने को मिलता रहा है. यहां तक कि राजस्थान के उदयपुर की नव संकल्प चिंतन शिविर में भी सोनिया गांधी के अध्यक्षीय भाषण में वही सारी बातें रहीं.
उद्धव ठाकरे भी अब कांग्रेस और अन्य बीजेपी विरोधियों की तरह संघ को कठघरे में खड़ा करने लगे हैं. कहते हैं, 'संघ का आजादी में कोई योगदान नहीं था... तुम्हें आजादी से क्या लेना-देना है? आजादी की लड़ाई में तुम्हारा कोई योगदान नहीं है...'
और ऐन उसी वक्त उद्धव ठाकरे अपने परिवार की पुरानी पीढ़ियों के योगदान को सामने रख कर पेश करते हैं, 'संघ उस समय कुछ नहीं कर रहा था, लेकिन जनसंघ कर रहा था. उस समय शिवसेना नहीं थी, लेकिन बालासाहेब ठाकरे और मेरे काका श्रीकांत ठाकरे - और मेरे परिवार ने आजादी की लड़ाई में साथ दिया.' राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में महाराष्ट्र के नागपुर में ही हुई थी.
अब सवाल ये उठता है कि उद्धव ठाकरे के संघ पर ऐसे अटैक को सोनिया गांधी के भाषण से प्रेरित समझा जाये - या फिर संघ और बीजेपी के बल पर आक्रामक होने के साथ ही बेकाबू होते जा रहे राज ठाकरे को काउंटर करने के लिए?
राणा के सवाल का अलग से जवाब
उद्धव ठाकरे की रैली से ठीक पहले नवनीत राणा ने दिल्ली के हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा पढ़ कर विरोध प्रकट किया था. नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को चैलेंज किया था कि वो अपनी रैली की शुरुआत हनुमान चालीसा से कर के दिखायें तो जानें.
राज ठाकरे और बाकी विरोधियों की तरह ही उद्धव ठाकरे ने नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को जवाब तो दिया ही है, हनुमान चालीसा पढ़ कर रैली शुरू करने से भी बड़ी चुनौती दे डाली है.
उद्धव ठाकरे ने नवनीत राणा के बहाने बीजेपी नेतृत्व को भी निशाना बनाया है - और एक कश्मीरी पंडित की हत्या के लिए दोनों को एक साथ घेरा है, आप एक कश्मीरी पंडित की रक्षा नहीं कर सकते... जो बड़गाम से जम्मू ट्रांसफर करने के लिए कह रहे थे. आतंकवादी उनके सरकारी कार्यालय में घुस गये और गोली मार दी. असल में धारा 370 खत्म किये जाने के बाद से जम्म-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये हैं और वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा का शासन है जो केंद्र की मोदी सरकार को रिपोर्ट करते हैं.
नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को रैली से पहले चुनौती दी थी, 'हिम्मत है तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हनुमान चालीसा के साथ अपनी रैली शुरू करें...' - और '...नहीं तो औरंगजेब की कब्र पर जाकर फूल चढ़ायें.'
अब नवनीत राणा से उद्धव ठाकरे पलट कर सवाल कर रहे हैं, 'क्या आपके पास वहां जाकर हनुमान चालीसा का जाप करने की हिम्मत है?'
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शरद पवार को नवनीत राणा केस में उद्धव सरकार का रुख कंगना रनौत जैसा क्यों लगता है?
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