चीन (China) को औक़ात दिखाने के लिए भारत एकजुट है. देश की सफल कूटनीतिक रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए आम नागरिकों के बीच से एक सलाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को जा रही है. ये कूटनीति मशवरा एक तीर से कई शिकार करने वाला है. चीन में पीड़ित उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों (China ighur Muslim persecuted Minorities) को यदि भारत नागरिकता (Indian Citizenship) देने की दावत दे दे तो पहले से ही दुनिया की आलोचना सह रहे चाइना की ख़ूब किरकिरी और भारत की ख़ूब वाहवाही होगी. कोरोना (Coronavirus) से पहले के परिदृश्य में जाइये तो तब खबरें आ रही थीं कि चाइना सरकार अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ जुल्म कर रही थी. और इधर भारत में पड़ोसी देशों में अत्याचार का शिकार अल्पसंख्यकों (Minorities) को भारत में नागरिकता देना का कानून (सीएए) पास किया था. ये कानून पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान इत्यादि के पीड़ित हिन्दुओं को भारत में नागरिकता देने के लिए है.
सत्तारूढ़ भाजपा के कई बड़े नेताओं ने ये भी कहा था कि पड़ोसी देशों में यदि मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने के प्रमाण मिलते है तो भी इस कानून के तहत भारत में नागरिकता देने पर विचार किया जा सकता है.इन तमाम बातों के मद्देनजर यदि भारत चीन के पीड़ित मुसलमानों को नागरिकता या शरण देने की दावत देकर कूटनीति चाल चल ले तो चीन के मुंह पर ज़ोर का तमाचा पड़ सकता है.
गौरतलब हो कि भारत की अखंडता से घबरायी कुछ शक्तियों ने भाजपा सरकार को बदनाम करते हुए दुनिया में कुछ अफवाहें फैलाने की कोशिशे की थीं. खासकर सीएए और एनआरसी को लेकर दुष्प्रचार करके की नाकाम कोशिश की गयी थी कि यहां मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ...
चीन (China) को औक़ात दिखाने के लिए भारत एकजुट है. देश की सफल कूटनीतिक रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए आम नागरिकों के बीच से एक सलाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को जा रही है. ये कूटनीति मशवरा एक तीर से कई शिकार करने वाला है. चीन में पीड़ित उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों (China ighur Muslim persecuted Minorities) को यदि भारत नागरिकता (Indian Citizenship) देने की दावत दे दे तो पहले से ही दुनिया की आलोचना सह रहे चाइना की ख़ूब किरकिरी और भारत की ख़ूब वाहवाही होगी. कोरोना (Coronavirus) से पहले के परिदृश्य में जाइये तो तब खबरें आ रही थीं कि चाइना सरकार अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ जुल्म कर रही थी. और इधर भारत में पड़ोसी देशों में अत्याचार का शिकार अल्पसंख्यकों (Minorities) को भारत में नागरिकता देना का कानून (सीएए) पास किया था. ये कानून पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान इत्यादि के पीड़ित हिन्दुओं को भारत में नागरिकता देने के लिए है.
सत्तारूढ़ भाजपा के कई बड़े नेताओं ने ये भी कहा था कि पड़ोसी देशों में यदि मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने के प्रमाण मिलते है तो भी इस कानून के तहत भारत में नागरिकता देने पर विचार किया जा सकता है.इन तमाम बातों के मद्देनजर यदि भारत चीन के पीड़ित मुसलमानों को नागरिकता या शरण देने की दावत देकर कूटनीति चाल चल ले तो चीन के मुंह पर ज़ोर का तमाचा पड़ सकता है.
गौरतलब हो कि भारत की अखंडता से घबरायी कुछ शक्तियों ने भाजपा सरकार को बदनाम करते हुए दुनिया में कुछ अफवाहें फैलाने की कोशिशे की थीं. खासकर सीएए और एनआरसी को लेकर दुष्प्रचार करके की नाकाम कोशिश की गयी थी कि यहां मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय हो रहा है. इनकी नागरिका छीनने और देश से निकालने की साजिशें चल रही हैं.
जबकि सच ये है कि सभी धर्म जातियों के भारतीय समाज का सौहार्द ही अखंड भारत की ताकत और सौंदर्य है. हमारी जिन खूबी को दुनिया सलाम करती रही है उससे जलन से ही विरोधियों ने दुष्प्रचार शुरू किया था. जबकि सब जानते हैं कि भारत के मुसलमान अपने धार्मिक अधिकारों को लेकर जितना स्वतंत्र है दुनिया के इस्लामी देशों के मुसलमान भी इतने मुतमईन(संतुष्ट) नहीं है.
इस सच के बावजूद चीन और उसके पिछलग्गू पाकिस्तान ने भारत के प्रति द्वेष भावना की कुंठा में भारतीय मुसलमानों को असुरक्षित साबित करने का खूब पहाड़ा पढ़ा. अब जब कोविड को जन्म देकर उसे दुनिया में फैलाने की साजिश करने वाले चीन से दुनिया ख़फा और परेशान है, ऐसे में भी चाइना ने भारत के खिलाफ गुस्ताखियों को बल देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है. आश्चर्य है कि उसे शायद आज के भारत की ताकत और कूटनीति शक्तियों का अंदाजा नहीं.
साफ जाहिर है कि सारी दुनिया कोरोना को फैलाने वाले इस मुल्क से काफी नाराज हैं और वैश्विक स्तर पर तमाम विकास-विकासशील देशों से भारत के मधुर रिश्ते हैं. ऐसे में विश्व स्तर के शक्तिशाली नेता और देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन को घेरने की क्या कूटनीतिक चाल चलेंगे ये तो वक्त बतायेगा, पर देश की आम जानता के खेमे से मोदी की दिया गया मशवरा बहुत दिलचस्प है.
सबको याद होगा कि कोरोना से कुछ समय पहले यानी अक्टूबर-नवम्बर 2019 में खबरे़ आ रही थीं कि चीन में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को लेकर वहां की सरकार सख्त हो गयी है. वहां मुस्लिम महिलाओं के पर्दे पर पाबंदी लग गयी है. कुरआन में संशोधन करने की बात हो रही है. एक से अधिक बच्चा पैदा करना मना हो गया है.
इन खबरों के बाद ये सवाल भी उठे थे कि इतना सब कुछ होने के बाद भी बात-बात पर प्रदर्शन करने वाले भारतीय मुसलमान खामोश क्यों हैं. इस जुल्म से आहत होकर वो चाइना का किसी भी किस्म का विरोध क्यों नहीं कर रहे है. ये सवाल जायज भी थी। इस मुसलमानों पर ज्यादती की खबरें आने के बाद मुस्लिम समाज के किसी इदारे, उलमा, धार्मिक नेता या सोशल मीडिया पर भी आम मुझे सलमानों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी.
वो बात अलग है कि ऐसी खबरों के बाद जब चीन में कोरोना आया और वहां के सभी नागरिकों को तस्वीरों में मास्क और पीपीई किट में देखा गया तो भारतीय मुस्लिम समाज में एक जुमला टेंड बनकर वायरल हुआ. वो ये था- चीन मुस्लिम महिलाओं की नकाब/बुर्का उतारना चाहता था, पर अल्लाह ने अब हर चीनी को नकाब/बुरका ( मास्क और पीपी किट) पहनने पर मजबूर कर दिया.
खैर अब जल्दी जल्दी वक्त करवटें लेता जा रहा है. इस वक्त हमें चीन की पैदाइश कोरोना को हराना है और साथ ही चाइना की गुस्ताखियों का जवाब भी देना है. ऐसे में चीन में मुसलमानों पर जुल्म जैसा मुद्दा उठाकर वहां के मुसललमानों को शरण या नागरिता देने जैसा कोई शुगुफा ही छोड़ दे तो दिलचस्प होगा.
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