वर्ष 2022 के समापन में अब कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में हमारे लिए इस वर्ष की उपलब्धियों, चुनौतियों और अपने भविष्य के संकल्पों का मूल्यांकन करना जरूरी हो जाता है. वैसे तो इस वर्ष के आरंभ में भारत के सामने कोरोना महामारी की तीसरी लहर का खतरा था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमने इस लड़ाई में जीत हासिल की और यह उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज जब पूरी दुनिया एक महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है, तो भारत ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प से एक सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक जैसे मानव जीवन के हर आयाम में संपूर्ण विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है. इस वर्ष रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने भारत समेत पूरी दुनिया के सामने एक नया संकट पैदा कर दिया. क्योंकि, इस युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और ईंधन संबंधित आपूर्ति - श्रृंखला बुरी तरह से बाधित हो गई, जिस वजह से महंगाई भी अपने चरम पर रही.
इस युद्ध में यूक्रेन में 15000 से भी अधिक भारतीय फंसे थे. लेकिन भारत ने उनकी सुरक्षित वापसी के माध्यम से अपनी अद्भुत राजनयिक क्षमता का परिचय दिया. वहीं, अब प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच अप्रत्यक्ष रूप से मध्यस्थ की भूमिका भी बखूबी निभायी और इसके लिए आज पूरी दुनिया उनकी सराहना कर रहा है. वहीं, कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहे भारत ने आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ी उपलब्धि हासिल की और ब्रिटेन को पछाड़ते हुए विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
इसके अलावा, हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े भी पूरी दुनिया से आगे रहे और पहली तिमाही में हमारा विकास दर 13.5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत...
वर्ष 2022 के समापन में अब कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में हमारे लिए इस वर्ष की उपलब्धियों, चुनौतियों और अपने भविष्य के संकल्पों का मूल्यांकन करना जरूरी हो जाता है. वैसे तो इस वर्ष के आरंभ में भारत के सामने कोरोना महामारी की तीसरी लहर का खतरा था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमने इस लड़ाई में जीत हासिल की और यह उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज जब पूरी दुनिया एक महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है, तो भारत ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प से एक सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक जैसे मानव जीवन के हर आयाम में संपूर्ण विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है. इस वर्ष रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने भारत समेत पूरी दुनिया के सामने एक नया संकट पैदा कर दिया. क्योंकि, इस युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और ईंधन संबंधित आपूर्ति - श्रृंखला बुरी तरह से बाधित हो गई, जिस वजह से महंगाई भी अपने चरम पर रही.
इस युद्ध में यूक्रेन में 15000 से भी अधिक भारतीय फंसे थे. लेकिन भारत ने उनकी सुरक्षित वापसी के माध्यम से अपनी अद्भुत राजनयिक क्षमता का परिचय दिया. वहीं, अब प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच अप्रत्यक्ष रूप से मध्यस्थ की भूमिका भी बखूबी निभायी और इसके लिए आज पूरी दुनिया उनकी सराहना कर रहा है. वहीं, कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहे भारत ने आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ी उपलब्धि हासिल की और ब्रिटेन को पछाड़ते हुए विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
इसके अलावा, हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े भी पूरी दुनिया से आगे रहे और पहली तिमाही में हमारा विकास दर 13.5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही. इस वर्ष हमने गरीबी सूचकांक में भी बड़ी उपलब्धि हासिल की और करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए. हमारे इस उपलब्धि को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी एक ऐतिहासिक परिवर्तन करार दिया.
वहीं, भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस वर्ष अक्टूबर में स्वदेशी 5जी लॉन्च किया गया और इसी के साथ भारत में अति तीव्र मोबाइल इंटरनेट युग की भी शुरुआत हो गई. इस प्रयास से देश के चिकित्साए शिक्षाए कृषि एवं विज्ञान के क्षेत्र में भी एक बड़ा बदलाव आएगा.
आज भारत रियल टाइम पेमेंट के मामले में भी चीन, अमेरिका, जापान जैसे देशों को पीछे छोड़कर शीर्ष पर काबिज है. आपको याद होगा कि वर्ष 2016 में जब डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत हुई थीए तो विरोधी दलों के नेताओं ने इसका कैसे मजाक उड़ाया था. लेकिन आज देश में हर दिन करीब 30 करोड़ डिजिटल लेन - देन होते हैं और यह उपलब्धि उन कथित बुद्धजीवियों को भी करारा जवाब है.
अनुमान है कि भारत की डिजिटल लेन - देन के मामले में 2025 के अंत तक 71.5 प्रतिशत की भागीदारी रहेगी. इतना ही नहीं, आज भारत अंतरिक्ष में भी पूरी तरह से छाने के लिए तैयार है. उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 13 बिलियन डॉलर की होगी और इस दिशा में तीव्र प्रगति के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने निजी क्षेत्रों का सहभागिता का भी उल्लेखनीय प्रयास किया है.
प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी नीतियों की वैश्विक स्वीकृति हमेशा ही रही है. इस वास्तविकता को ऐसे समझा जा सकता है कि वर्ष 2019 में जी-7 का सदस्य नहीं होने के बाद भी, उन्हें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया और अब भारत ने वर्ष 2023 के लिए शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन और जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता को हासिल किया. वहीं भारत को दिसबंर में एक महीने के लिए दोबारा से संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्षता का भार मिला है.
ध्यातव्य है कि भारत ने गत वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र संघ की अध्यक्षता संभाली थी और इस वर्ष हिन्दी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृति दिलाते हुए, वैश्विक पटल पर अपनी बढ़ती ताकत का परिचय दिया है. आज हमने वर्ष 2047 तक, खुद को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए ‘पंच प्रण’ का संकल्प लिया है. हमारे ये प्रण गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, एकजुटता, विरासत पर गर्व और अपने कर्तव्यों का निर्वहन हैं.
ये वास्तव में ऐसे प्रण हैं, जिसे आत्मसात कर कोई भी राष्ट्र या व्यक्ति अपनी श्रेष्ठता को हासिल कर सकता है. हमारे ये प्रण भारतीय चिंतन के सार हैं. ऐसे चिंतनए जिनमें युद्ध से लेकर जलवायु संकट जैसे तमाम जटिलतम वैश्विक समस्याओं के समाधान निहित हैं. अब हमारे लिए बस इतना जरूरी है कि इस ऐतिहासिक वर्ष में हमने ‘अमृत काल’ के लिए जो संकल्प लिया है, उन संकल्पों को हर दिन सिद्ध करना है. संपूर्ण जीवन प्रतिबद्ध रहना है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.