आम बजट 2020 (nion Budget 2020) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने किसानों पर खुले दिल से मेहरबानी दिखायी है. बजट में किसानों को लेकर दिया गया प्रस्ताव सुनने में तो बड़ा ही खूबसूरत है, मन को खूब खुश करने वाला है, लेकिन हकीकत में किस हद तक तब्दील हो पाता है - बड़ा सवाल यही है.
nion Budget 2020 पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने को लेकर प्रतिबद्ध है - और उसके लिए जरूरी उपायों की एक सूची भी पेश की है. वित्त मंत्री ने किसानों के लिए 16-सूत्री एक्शन प्लान (16-point Action Plan for Farmers) प्रस्तुत किया है जिसमें किसानों के लिए नये बाजार को खोलने और उनका दायरा अन्नदाता तक सीमित न रखते हुए ऊर्जादाता के रूप में स्थापित किये जाने की सरकारी पेशकश की है.
किसान एक्शन प्लान कितना व्यावहारिक है
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय 2022 तक डबल करने का प्रस्ताव दिया है और उसके लिए तमाम उपाय भी सुझाये हैं. वैसे ये बीजेपी का पुराना वादा रहा है जो 2019 के आम चुनाव से पहले ही जोर पकड़ चुका था - जब जब किसानों के नाम पर विपक्ष सरकार को घेरता रहा प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथी ये बात जरूर दोहराते रहे.
राहुल गांधी की किसान यात्राओं से कांग्रेस को आम चुनाव में भले ही कोई खास फायदा न मिला हो लेकिन बीजेपी को उस दिशा में सोचने पर मजबूर तो किया ही है. यूपी चुनाव से पहले राहुल गांधी की किसान यात्रा का दबाव ही रहा कि कर्जमाफी की घोषणा करनी पड़ी - और 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने ऐसा दबाव बनाया कि 2019 के अंतरिम बजट में किसान सम्मान निधि की घोषणा करनी पड़ी और बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने इसे गोरखपुर पहुंच कर लांच किया. वही गोरखपुर जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इलाका माना जाता है और जहां बीजेपी एक बार उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ वाली ही सीट गंवा चुकी है.
निर्मला सीतारमण के बजट में जो 16 सूत्री स्कीम...
आम बजट 2020 (nion Budget 2020) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने किसानों पर खुले दिल से मेहरबानी दिखायी है. बजट में किसानों को लेकर दिया गया प्रस्ताव सुनने में तो बड़ा ही खूबसूरत है, मन को खूब खुश करने वाला है, लेकिन हकीकत में किस हद तक तब्दील हो पाता है - बड़ा सवाल यही है.
nion Budget 2020 पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने को लेकर प्रतिबद्ध है - और उसके लिए जरूरी उपायों की एक सूची भी पेश की है. वित्त मंत्री ने किसानों के लिए 16-सूत्री एक्शन प्लान (16-point Action Plan for Farmers) प्रस्तुत किया है जिसमें किसानों के लिए नये बाजार को खोलने और उनका दायरा अन्नदाता तक सीमित न रखते हुए ऊर्जादाता के रूप में स्थापित किये जाने की सरकारी पेशकश की है.
किसान एक्शन प्लान कितना व्यावहारिक है
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय 2022 तक डबल करने का प्रस्ताव दिया है और उसके लिए तमाम उपाय भी सुझाये हैं. वैसे ये बीजेपी का पुराना वादा रहा है जो 2019 के आम चुनाव से पहले ही जोर पकड़ चुका था - जब जब किसानों के नाम पर विपक्ष सरकार को घेरता रहा प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथी ये बात जरूर दोहराते रहे.
राहुल गांधी की किसान यात्राओं से कांग्रेस को आम चुनाव में भले ही कोई खास फायदा न मिला हो लेकिन बीजेपी को उस दिशा में सोचने पर मजबूर तो किया ही है. यूपी चुनाव से पहले राहुल गांधी की किसान यात्रा का दबाव ही रहा कि कर्जमाफी की घोषणा करनी पड़ी - और 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने ऐसा दबाव बनाया कि 2019 के अंतरिम बजट में किसान सम्मान निधि की घोषणा करनी पड़ी और बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने इसे गोरखपुर पहुंच कर लांच किया. वही गोरखपुर जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इलाका माना जाता है और जहां बीजेपी एक बार उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ वाली ही सीट गंवा चुकी है.
निर्मला सीतारमण के बजट में जो 16 सूत्री स्कीम बतायी गयी है, उसे हम यहां 5 कैटेगरी में बांट कर समझने की कोशिश करते हैं कि ये कितना व्यावहारिक हो सकता है?
1. अन्नदाता अब ऊर्जादाता भी बनेगा: अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का आइडिया बहुत अच्छा है. बड़ी ही सकारात्मक सोच है. ठीक वैसे ही जैसे गिलास में पानी वाले मुहावरे को 2014 से पहले दिल्ली में मोदी ने समझाया था - न गिलास आधा भरा है, न आधा खाली है, बल्कि गिलास में आधा हवा आधा पानी है.
बजट में 20 लाख किसानों को सोलर पंप देने का प्रस्ताव दिया गया है. 15 लाख किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट से जोड़े जाने की भी योजना है.
वित्त मंत्री ने कहा, 'अगर बंजर जमीन है तो सोलर पावर जेनरेशन यूनिट लगा सकते हैं... उसे ग्रिड को बेच भी सकते हैं.'
जब किसान अन्नदाता की भूमिका निभाने में ही परेशान हो, फिर सरकार कौन सी जादू की छड़ी लेकर आ रही है कि वो ऊर्जादाता बन कर अचानक से समृद्ध हो जाएगा - ऐसा तो नहीं कि नयी उम्मीद में फंस कर वो अपनी मौजूदा मुश्किलें भूल जाये और ऊर्जादाता बनने में अपनी सारी एनर्जी झोंक दे - और फिर अच्छे दिनों का इंतजार करता रहे.
2. खाद के समुचित इस्तेमाल पर जोर: बजट भाषण के अनुसार सरकार ने 'इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम' लागू करने का फैसला किया है. निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में उम्मीद जतायी है कि ये सिस्टम लागू होने पर जो सबसे बड़ा फायदा होगा, वो है - 'अधिक केमिकल फर्टिलाइजर यूज करने की प्रवृत्ति घटेगी.'
निश्चित तौर पर ये कुदरती खेती को बढ़ावा देने की कोशिश है जो इन दिनों जैविक खेती के रूप में लोकप्रिय हो रही है. जैविक खेती की अपनी चुनौतियां हैं. पहले तो खेतों को केमिकल मुक्त होने में काफी वक्त लग जाता है. कई बरस बाद जब खेत जैविक खेती लायक हो भी जाते हैं तो अलग तरह की चुनौतियां हैं.
जैविक खाद तो उपज बढ़ाने में सक्षम हैं लेकिन जैविक कीटनाशक उतने प्रभावी नहीं हैं. केमिकल के छिड़काव से कीटों से बचाव आसान होता है, बनिस्बत जैविक उपायों के मुकाबले. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में कुछ लोग जैविक खेती करके भी अच्छी कमाई कर रहे हैं, लेकिन उनकी तादाद बेहद कम है.
केमिकल के इस्तेमाल से जैविक उपायों की ओर बढ़ना संभव तो है, लेकिन 2022 तक तो बेहद मुश्किल है.
3. किसान रेल और उड़ान: वित्त मंत्री ने कृषि ट्रांसपोर्ट के लिए योजना तो क्रांतिकारी सुझायी है, लेकिन उसका व्यावहारिक स्वरूप काफी मुश्किल लगता है. हवाई चप्पल पहनकर हवाई यात्रा का फॉर्मूला कितना चल पाया इस मामले में सबसे बड़ी मिसाल है.
किसानों के सामान सुरक्षित और जल्दी से बाजार और फिर खरीदार तक पहुंच सकें इसके लिए सरकार ने रेल और हवाई सेवा के इस्तेमाल की व्यवस्था के बारे में सोचा है - किसान रेल और किसान उड़ान.
किसान रेल के जरिये कोशिश ये है कि दूध, मीट और मछली को प्रिजर्व करते हुए उसे सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाया जाये. किसान रेल में रेफ्रिजरेटर जैसी सुविधायें भी होंगी. किसान उड़ान के तहत कृषि कल्याण मंत्रालय ही विमान की व्यवस्था करेगा और नागरिक उड्डयन मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्टीय रूटों पर 'कृषि उड़ान' सेवा शुरू की जा सके. वित्त मंत्री ने उम्मीद जतायी है कि इससे उत्तर-पूर्वी और जनजातीय क्षेत्रों को भरपूर लाभ मिलेगा.
तटवर्ती इलाकों के युवाओं के लिए सागर मित्र बनाये जाएंगे और समुद्री इलाकों के किसानों के लिए मछली उत्पादन का लक्ष्य 208 मिलियन टन रखा गया है.
4. हर जिले का एक उत्पाद: वित्त मंत्री ने बताया कि 311 मिलियन टन के साथ हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में अन्न उत्पादन के काफी आगे निकल चुका है और केंद्र सरकार अब राज्यों की मदद करने की सोच रही है. ऐसे ही उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए एक स्कीम लायी जा रही है - 'वन प्रॉडक्ट , वन डिस्ट्रिक्ट'.
इस स्कीम में जो चीज आड़े आएगी वो राजनीति ही है. केंद्र की सत्ता में होने के कारण बीजेपी सरकारों वाले राज्य तो इसे लागू कर सकते हैं, लेकिन उन राज्यों में क्या होगा जहां आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं भी अटकी पड़ी हैं?
5. विलेज स्टोरेज स्कीम: कृषि उत्पातों के भंडारण के लिए स्थानीय स्तर पर ये योजना लाने का प्रस्ताव है और इसमें 'सेल्फ हेल्प ग्रुप' के जरिये महिलाओं को अहम भूमिका दी जानी है. निर्मला सीतारमण ने बताया कि देश में ऐसे 162 मिलियन टन के भंडारण की क्षमता है और इसके लिए ब्लॉक स्तर पर राज्य सरकार जमीन दे सकती है. NABARD इसे जियो-टैग करेगा और FCI भी इसे अपनी जमीन पर बना सकता है - फिर वही चक्कर यहां भी केंद्र और राज्य का झगड़ा चालू रहेगा!
किसानों की कर्जमाफी के नाम पर विपक्ष विशेष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी अरसे से केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व को चैलेंज करते रहे हैं. कर्जमाफी के काउंटर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीते आम चुनावों के दौरान किसान सम्मान निधि योजना शुरू की जिसके तहत किसानों के 6 हजार रुपये सालाना उनके खाते में डाले जाने के प्रावधान किये गये. शहरी तबके की पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी के लिए गांवों के मतदाताओं में घुसपैठ मुश्किल टास्क रहा है.
हाल के दो विधानसभा चुनावों महाराष्ट्र और हरियाणा में भी गैर-बीजेपी दलों को बढ़त मिलने की वजह स्थानीय खासकर ग्रामीण आबादी से उसका ठीक से कनेक्ट न हो पाना बड़ी वजह रहा. महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों ही राज्यों की अर्थ व्यवस्था में खेती की महती भूमिका है - और बीजेपी नेतृत्व को शिद्दत से ये जरूरत महसूस हुई होगी. खासकर चुनाव नतीजों पर गौर फरमाने के बाद. महाराष्ट्र में तो बीजेपी के साथ शिवसेना के गठबंधन टूटने और एनसीपी-कांग्रेस के साथ बनने तक सबसे ज्यादा चलनेवाला कीवर्ड किसान ही रहा.
देश में किसान और कृषि मंत्रालय की अहमियत एक ही चर्चा से समझा जा सकता है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एनसीपी नेता शरद पवार ने मुलाकात की थी तो सुप्रिया सुले के लिए किसान कल्याण मंत्रालय की ही मांग की थी - और ये भी उतनी ही अहम बात है कि बीजेपी नेतृत्व ने इस मामले में समझौता करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी.
Budget 2020: 16 point action plan
आइए अब एक नजर किसानों के लिए बजट में पेश 16-सूत्री योजना पर डालते हैं - निर्मला सीतारमण के भाषण के दौरान इनमें से कई घोषणाओं पर प्रधानमंत्री सहित सत्ता पक्ष के नेता मेज थपथपा कर सपोर्ट करते भी देखे गये.
1. एग्रीकल्चरल लैंड लीजिंग एक्ट 2016, प्रोड्यूस लाइवस्टॉक एक्ट 2017, सर्विसेज फैसिलिटेशन एक्ट 2018 को राज्य सरकारों द्वारा लागू करवाना.
2. 100 जिलों में पानी की व्यवस्था के लिए बड़ी योजना चलाई जाएगी ताकि किसानों को पानी की दिक्कत न रहे.
3. PM कुसुम स्कीम के जरिये किसानों के पंप को सोलर पंप से 20 लाख किसानों को योजना से जोड़ा जाएगा. इसके अलावा 15 लाख किसानों के ग्रिड पंप को भी सोलर से जोड़ा जाएगा.
4. उर्वरता बढ़ाने पर फोकस रखा जाएगा और इसके लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम किया जाएगा.
5. देश में मौजूद वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज को नाबार्ड (NABARD) के जरिये नये तरीके से विकसित किया जाएगा. देश में और भी वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे और उसमें PPP मॉडल अपनाया जाएगा.
6. महिला किसानों के लिए 'धन्य लक्ष्मी योजना' का ऐलान किया गया है जिसके तहत बीज से जुड़ी योजनाओं में मुख्य तौर पर महिलाओं को जोड़ा जाएगा.
7. दूध, मांस, मछली सहित जल्द खराब होने वाली चीजों को सुरक्षित पहुंचाने के लिए वातानुकुलित 'किसान रेल' कोच चलाए जाएंगे.
8. कृषि उड़ान योजना को नेशनल और इंटरनेशनल रूटों पर शुरू किया जाएगा.
9. बागवानी क्षेत्र में 311 मिलियन मीट्रिक टन की वर्तमान में पैदावार है और अब बागवानी के किसानों के लिए जिला स्तर पर योजना लाई जाएगी. साथ ही, उसकी बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिए 'एक उत्पाद एक जिले' वाली व्यवस्था लागू होगी.
10. एकीकृत कृषि प्रणाली विकसित की जाएगी और उसमें मधुमक्खी पालन जैसी चीजों पर खास जोर होगा.
11. किसान क्रेडिट कार्ड योजना को 2021 तक के लिए बढ़ाया जाएगा.
12. दूध के उत्पादन को दोगुना करने के लिए सरकार की ओर से योजना चलाई जाएगी और 2025 तक दुग्ध उत्पादन दोगुना (108 मिलियन मैट्रिक टन) करने का लक्ष्य रखा गया है.
13. मनरेगा के तहत चारागार को जोड़ दिया जाएगा.
14. ब्लू इकॉनोमी के जरिये मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा. फिश प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा.
15. युवा और मत्स्य विस्तार पर भी काम किया जाएगा और साथ साथ सागर मित्र योजना के तहत 500 मछली किसान उत्पादकों का संगठन बनाया जाएगा.
16. किसानों को दी जाने वाली मदद को दीन दयाल योजना के तहत बढ़ाया जाएगा और जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग को भी मजबूत कर किसानों को प्रोत्साहित करने की कोशिश होगी.
इन्हें भी पढ़ें :
Budget 2020: आखिरी मिनट की उम्मीदें, ना-उम्मीदें
Budget 2020 का हलवा कुछ प्रेरणादायी अफसरों की मेहनत से ही मीठा होता है...
सुस्त अर्थव्यवस्था के बीच घर खरीदने वालों के लिए SBI की मस्त स्कीम
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.