मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अधिकांश मंत्री अपना पदभार ग्रहण करके काम में लग गए. दरअसल, नए मंत्रियों में एक संदेश अच्छे से गया है कि जब धुरंधर किस्म के मंत्री खराब परफॉर्मेंस पर निपटा दिए जाते हैं, तो उनकी क्या बिसात? स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार की अगुवाई करने वाले सभी मंत्रियों को एक ही झटके में बाहर कर दिए गए. उनके सिवाए दूसरे दर्जन भर मंत्रियों को भी उनके औसत परफॉर्मेंस पर छुट्टी दे दी.
फिलहाल नई कैबिनेट में कई पूर्व चिकित्सक, आईएएस, इंजीनियर व उच्च शिक्षा प्राप्त मंत्री बनाए गए हैं. मकसद कुछ खास है जिसका असर अगले कुछ माह बाद दिखाई पडे़गा. इतना तय है, जो मंत्री काम में कोताही दिखाएगा, उसका रामनाम सत्य कभी भी हो सकता है. मोदी को काम चाहिए, वह सिर्फ काम में विस्वास रखते हैं, नेतागिरी में नहीं, इतना अब सब समझ गए हैं. काम का ही कमाल है जिससे चलते केंद्र सरकार में मोदी मॉडल की चर्चांए हो रही हैं. क्योंकि सरकार के दोनों कार्यकालों की परस्पर संरचनाए अबतक के सभी प्रधानमंत्रियों से अलहदा हैं. क्योंकि उनके काम करने के अंदाज से तो सभी भली भांति परिचित हैं. अनुराग ठाकुर, किरेन रिजिजू जैसे युवा मंत्रियों को प्रमोट करने का मतलब काम में गुणवत्ता लाना है.
विभागों के बंटवारें में भी एक बात खास देखने को मिली, महत्वपूर्ण मंत्रालय युवाओं को दिए गए हैं. वहीं, मोदी के सबसे करीबी अमित शाह के गृह विभाग में सहयोग के लिए एक नहीं तीन मंत्रियों को लगाया है. निशिथ प्रमाणिक, अजय मिश्र टेनी व नित्यानंद राय को गृह राज्यमंत्री का जिम्मा सौंपा है. अमित शाह ने तीनों मंत्रियों को अलग-अलग काम सौंपा है. जैसे अजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर नजर बनाए रखने को कहा...
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अधिकांश मंत्री अपना पदभार ग्रहण करके काम में लग गए. दरअसल, नए मंत्रियों में एक संदेश अच्छे से गया है कि जब धुरंधर किस्म के मंत्री खराब परफॉर्मेंस पर निपटा दिए जाते हैं, तो उनकी क्या बिसात? स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार की अगुवाई करने वाले सभी मंत्रियों को एक ही झटके में बाहर कर दिए गए. उनके सिवाए दूसरे दर्जन भर मंत्रियों को भी उनके औसत परफॉर्मेंस पर छुट्टी दे दी.
फिलहाल नई कैबिनेट में कई पूर्व चिकित्सक, आईएएस, इंजीनियर व उच्च शिक्षा प्राप्त मंत्री बनाए गए हैं. मकसद कुछ खास है जिसका असर अगले कुछ माह बाद दिखाई पडे़गा. इतना तय है, जो मंत्री काम में कोताही दिखाएगा, उसका रामनाम सत्य कभी भी हो सकता है. मोदी को काम चाहिए, वह सिर्फ काम में विस्वास रखते हैं, नेतागिरी में नहीं, इतना अब सब समझ गए हैं. काम का ही कमाल है जिससे चलते केंद्र सरकार में मोदी मॉडल की चर्चांए हो रही हैं. क्योंकि सरकार के दोनों कार्यकालों की परस्पर संरचनाए अबतक के सभी प्रधानमंत्रियों से अलहदा हैं. क्योंकि उनके काम करने के अंदाज से तो सभी भली भांति परिचित हैं. अनुराग ठाकुर, किरेन रिजिजू जैसे युवा मंत्रियों को प्रमोट करने का मतलब काम में गुणवत्ता लाना है.
विभागों के बंटवारें में भी एक बात खास देखने को मिली, महत्वपूर्ण मंत्रालय युवाओं को दिए गए हैं. वहीं, मोदी के सबसे करीबी अमित शाह के गृह विभाग में सहयोग के लिए एक नहीं तीन मंत्रियों को लगाया है. निशिथ प्रमाणिक, अजय मिश्र टेनी व नित्यानंद राय को गृह राज्यमंत्री का जिम्मा सौंपा है. अमित शाह ने तीनों मंत्रियों को अलग-अलग काम सौंपा है. जैसे अजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर नजर बनाए रखने को कहा है.
बड़ा राज्य है और अगले वर्ष चुनाव भी है. बाकि दोनों मंत्रियों को अभी ऐसा ही टॉस्क दिया है. ये बात सही है पिछले मंत्री अगर उचित ढंग से काम करते तो शायद विस्तार के नाम पर मंत्रिमंडल का इतना सुधार नहीं करना पड़ता. क्योंकि मोदी मंत्रिमंडल विस्तार पर ज्यादा विश्वास नहीं करते. पहला कार्यकाल भी उनका ऐसे ही बीता. उन्होंने हमेशा मंत्रियों के अपने पदों पर बने रहने का उपयुक्त और भरपूर वक्त दिया.
इसका एक कारण यह भी रहा, मंत्रियों को ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्रता मिली और उनके कार्य की गुणवत्ता में निखार भी देखने को मिला. इस फॉर्मूले से कई मंत्रियों ने बेहतरीन काम भी करके दिखाया. यही वजह है कुछ विभाग ऐसे हैं जो पिछले कार्यकाल में जिन मंत्रियों के पास थे, वह मौजूदा कार्यकाल में भी यथावत हैं. जबकि, पिछली निवर्तमान हुकूमतों में मंत्रियों के विभाग साल के भीतर ही बदल दिए जाते रहे हैं.
काबिलेगौर है इतने अल्प अवधि में कोई भी मंत्री अपना परफॉर्मेंस नहीं दे पाएगा और ना दिखा पाएगा. समय और स्वतंत्रता देने के मामले में सभी मंत्री मोदी की तारीफ भी करते हैं. नए मंत्रीमंडल शामिल मंत्रियों को मोदी का सीधा संदेश है कि जिन नए मंत्रियों को जगह दी गई है, वह अपने पदों को रेवड़ियां ना समझें, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी समझकर अपने दायित्वों का निर्वाह करें और जनता की सेवा में पहले दिन से ही तनमन से जुटें.
विस्तार के रूप में युवाओं से सजाई गई मोदी टीम में भूपेंद्र यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हिना गावित, अजय भट्ट, सर्वानंद सोनोवाल, अनुप्रिया पटेल, अश्विनी वैष्णवी, अजय मिश्रा जैसे उर्जावान मंत्रियों से खुद प्रधानमंत्री बड़ी उम्मीदें हैं. उन्हें उम्मीद ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि नए मंत्रियों की जिम्मेदारियां कुछ ही समय में परिणामोन्मुख के रूप में दिखाई देंगी.
साथ ही शासन व्यवस्था में बदलाव लाने में लक्षित भी होंगी. इस बात से सभी वाकिफ हैं कि प्रधानमंत्री की टीम का हिस्सा बनने का मतलब काम करना होगा, न कि मंत्री बनकर रौब दिखाना और जलबा काटना. कुछ मंत्रियों के अतिरिक्त प्रभारों को भी कम किया गया है. जैसे स्मृति ईरानी से टैक्सटाइल ले लिया गया है.
अब उनके पास सिर्फ महिला एंव बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है. उनके साथ एक राज्य मंत्री को भी लगाया गया है. ताकि काम में और गुणवत्ता आ सके. वहीं, शासन व्यवस्था में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री ने एक और नए मंत्रालय को बनाया है, मिनिस्ट्री ऑफ को-ऑपरेशन जिसकी जिम्मेदारी अमित शाह को दी गई है.
मंत्रालय को बनाने का खास उद्देश्य सहकार से समृद्वि् के विजन को साकार करना होगा. मंत्रिमंडल विस्तार को ज्यादातर लोग आगामी चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं. पर एक वर्ग इसे बदलाव का बड़ा कदम मानकर देख रहा है. नवीनतम मंत्रालय के जरिए प्रत्येक विभागों में निगरानी के तौर पर प्रशासनिक, कानूनी, और नीतिगत ढांचे का प्रसार किया जाना बताया जा रहा है. हालांकि नफा-नुकसान एकाध वर्ष बीत जाने के बाद ही पता चलेगा.
मोदी कार्यकाल के सात सालों में पहली मर्तबा मोदी कैबिनेट अबतक की सबसे युवा टीम है, जिसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी ठीक-ठाक बढ़ाया गया है. विस्तार से पहले तक मंत्रियों की संख्या 53 मात्र थी, अब 73 हो गई है. कई विभाग बिना मंत्रियों के रिक्त थे, उन्हें भी भरा गया है. अतिरिक्त विभागों को नारायण राणे और पशुपति कुमार पारस के अधीन किया गया है.
पुरूषतम रूपाला, आरके सिंह, वीरेंद्र सिंह मनसुख मंडाविया, जी किशन रेड्डी जैसे मंत्रियों को अच्छे विभाग दिए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय पर मोदी की भी पैनी नजर बनीं रहती है जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने अपने खासम खास मंत्री मनसुख मंडाविया को दी हैं. क्योंकि कोरोना संकट से हेल्थ विभाग लोगों के निशाने पर है.
बहरहाल,मंत्रीमंडल में फेरबदल का मतलब सियासी जरूरतों का पूरा करना और चुनावों में फायदा उठना ही होता है. लेकिन इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं पड़ता. कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनके हालात कोरोना संकट में खराब हुए हैं. मोदी टीम में विस्तार करने का मुख्य मकसद यही है कि उन क्षेत्रों में टीमवर्क के जरिए कठिन समस्याओं से उभारा जाए.
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