बीजेपी के 'संपर्क फॉर समर्थन' अभियान की तर्ज पर कांग्रेस में भी एक मुहिम शुरू की गयी है. कांग्रेस की इस मुहिम से सीधे राहुल गांधी जुड़े हुए हैं. बीजेपी के कैंपेन की तरह कांग्रेस के इस अभियान की कोई तस्वीर तो सामने नहीं आयी है, लेकिन लोगों को चिट्ठियां जरूर मिलने लगी हैं.
अब तक यूपी के तीन लोगों को राहुल गांधी द्वारा लिखी चिट्ठी मिल चुकी है. राहुल गांधी की ये पहल बीजेपी की मुहिम से मिलती जुलती लगती जरूर है लेकिन दोनों में बुनियादी तौर पर बड़ा फर्क है.
ये भी समर्थन वाली चिट्ठियां हैं
अक्सर राजनीति में समर्थन की चिट्ठी सरकार बनाने या गिराने के वक्त देखने को मिलती है. राहुल गांधी द्वारा लिखी गयी ऐसी तीन चिट्ठियों मीडिया में छायी हुई हैं. खास बात ये है कि ये तीनों ही चिट्ठियां यूपी के लोगों को लिखी गयी हैं और निशाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी है.
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राहुल गांधी की ओर से लिखी गयी चिट्ठियां पाने वाले लोग हैं - गोरखपुर के डॉ. कफील खान, किसान नेता वीएम सिंह और गाजीपुर के सुनील.
1. डॉक्टर कफील को खत : डॉ. कफील खान को लिखी राहुल गांधी की चिट्ठी में उनके भाई कासिफ जमील पर हुए हमले का जिक्र है. ये वही डॉ. कफील खान हैं जो गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के वक्त चर्चा में आये थे. पहले खबर आयी कि किस तरह उन्होंने बच्चों की जान बचाने के लिए निजी तौर पर दोस्तों से ऑक्सीजन सिलिंडर मांग कर अस्पताल लाया. बाद में सरकारी कार्रवाई में ड्यूटी में लापरवाही के इल्जाम में उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल से छूट कर आने के बाद डॉ. कफील खान ने निपाह वायरस की चपेट में आये मरीजों के इलाज के लिए अपनी सेवाएं ऑफर की थीं.
डॉक्टर कफील को भी मिला है राहुल गांधी के समर्थन का खत
राहुल ने अपनी चिट्ठी में डॉ. कफील खान की तारीफ करते हुए लिखा है - 'धैर्यपूर्ण व्यवहार से आम आदमी को दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई करने और हतोत्साहित करने वाले शासन-प्रशासन के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलती है.'
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चिट्ठी के जरिये राहुल गांधी ने यूपी की कानून व्यवस्था को निशाना बनाया है - 'ये हमला जहां हुआ वो हाई सिक्योरिटी वाला इलाका है जो कानून व्यवस्था के नाकाम होने का सबूत है. इस हमले में अधिकारियों के सहभागिता की जांच होनी चाहिए.'
चिट्ठी में लिखा है - 'कोई भी व्यक्ति जो मौजूदा यूपी सरकार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा हो, निर्दयतापूर्ण हमला होना ठीक नहीं है.'
2. वीएम सिंह को मिली चिट्ठी : इस चिट्ठी में किसानों की समस्याओं पर फोकस किया गया है. किसानों में भी गन्ना किसानों की मुश्किलों और सरकारी मदद को नाकाफी बताया गया है. चिट्ठी के जरिये राहुल गांधी ने सरकार से किसानों को जल्द से जल्द पर्याप्त मदद करने की गुजारिश भी की है. वीएम सिंह ने 2012 के विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़ दी थी और किसानों के संगठन से जुड़ गये और तब से बतौर किसान नेता काम कर रहे हैं.
गन्ना किसानों का मामला कैराना उपचुनाव के दौरान जोरशोर से उठा था. दरअसल, आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने बीजेपी के जिन्ना विवाद की काट के रूप में गन्ना किसानों का मुद्दा उठाया था - और फिर लड़ाई भी गन्ना बनाम जिन्ना में बदल गयी. नतीजा बीजेपी के खिलाफ गया और आरएलडी के टिकट पर समाजवादी पार्टी की नेता तबस्सुम हसन चुनाव जीत गयीं.
3. गाजीपुर के सुनील को भी पत्र : चिट्ठियों के क्रम में एक पत्र गाजीपुर के सुनील को भी मिला है. बताते हैं सुनील वाराणसी-गोरखपुर हाईवे के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं.
वैसे भी किसान राहुल गांधी का फेवरेट कीवर्ड रहा है. किसानों की समस्याओं पर राहुल गांधी भट्टा परसौल से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में खाट सभा और विदर्भ में भी किसान यात्रा कर चुके हैं. यहां तक कि कर्नाटक चुनाव में भी राहुल गांधी ने जोर शोर से किसानों का मुद्दा उठाया था.
ये तो समर्थन भरा संपर्क है
गुजरात चुनाव के दौरान जब से राहुल गांधी का बदला रूप देखने को मिला है अक्सर कभी वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कॉपी करते लगते हैं. राहुल गांधी की ताजा मुहिम पूरी तरह मौलिक न सही, लेकिन बीजेपी के संपर्क फॉर समर्थन की कॉपी पेस्ट तो कतई नहीं ही है.
जिस तरह बीजेपी और दूसरे दल 2019 की तैयारियों में जुटे हैं कांग्रेस और राहुल गांधी भी अपने तरीके से तैयारी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी की ओर से चिट्ठियां व्यक्तिगत तौर पर भेजी जा रही हैं. ये पूरे देश में भेजी जानी है या सिर्फ यूपी में अभी साफ नहीं हो पाया है. बीजेपी ने तो संपर्क फॉर समर्थन के तहत एक लाख लोगों से संपर्क का लक्ष्य रखा है और उसके लिए चार हजार नेताओं को जिम्मेवारी दी गयी है. राहुल की ओर से अभी सिर्फ तीन चिट्ठियां लोगों को मिली हैं - और वो भी सिर्फ यूपी में.
'संपर्क फॉर समर्थन' जारी है...
बीजेपी अपने संपर्क फॉर समर्थन अभियान में लोगों से समर्थन मांग रही है. बीजेपी ऐसे लोगों को टारगेट कर रही है जिनका लोगों के बीच किसी न किसी वजह से असर है. जो अपनी राय से दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं. लगे हाथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एनडीए के नाराज सहयोगी नेताओं से भी इसी अभियान में मुलाकात कर ले रहे हैं.
राहुल गांधी का अभियान बीजेपी से बिलकुल अलग नजर आता है. बीजेपी समर्थन मांग रही है जबकि राहुल गांधी सपोर्ट दे रहे हैं. राहुल गांधी खुद चिट्ठी लिख कर व्यवस्था से प्रभावित या दुर्व्यवस्था के शिकार लोगों के संघर्ष को सपोर्ट कर रहे हैं. राहुल गांधी पत्र भेज कर मुसीबत में फंसे लोगों का सपोर्ट कर रहे हैं - या फिर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे लोगों को समर्थन दे रहे हैं. इस बात से कौन इंकार कर रहा है कि इसमें राजनीति नहीं है. बेशक राजनीति है, लेकिन सोच अच्छी है और ये बीजेपी के संपर्क फॉर समर्थन की कॉपी-पेस्ट तो बिलकुल नहीं है.
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