उन्नाव तो अब महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में यूपी की राजधानी जैसा लगने लगा है - और ये हाल भी पिछले पांच साल में ही हुआ लगता है. पहले के रिकॉर्ड अभी अलग हैं, जिन पर अलग से विमर्श की गुंजाइश हो सकती है.
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने पूरे कार्यकाल में अगर सबसे ज्यादा टेंशन देने वाले इलाकों की कोई सूची बनायी होगी, तो सबसे ऊपर उन्नाव का ही नाम दर्ज होगा. कम से कम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में तो ऐसा ही लगता है.
उन्नाव 2017 से ही चर्चा में है. पहला मामले में भी राजनीतिक कनेक्शन सामने आया था - और अब जो दो महीने से गायब एक युवती की लाश मिलने से सनसनी मची हुई है, उसमें भी राजनीतिक कनेक्शन ही निकल कर आ रहा है.
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और तीन महीने के भीतर ही उन्नाव गैंगरेप का मामला सामने आया था. अब जबकि कार्यकाल पूरा कर योगी आदित्यनाथ नयी पारी के लिए जी जान से जुटे हुए हैं, नयी मुसीबत भी सामने आ खड़ी हुई है उन्नाव से ही. उन्नाव में दो महीने से गायब एक युवती का शव मिला है - और उसके बाद से समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी निशाने पर आ गये हैं.
सत्ता पक्ष अपराध की घटना को चाहे किसी भी राजनीतिक चश्मे से क्यों न देखे, सभी मामलों में यूपी पुलिस का रवैया एक जैसा ही लगता है. मौका-ए-वारदात का नाम चाहे उन्नाव हो या फिर हाथरस.
4 जून, 2017 को उन्नाव गैंग रेप केस की पीड़िता ने बताया था कि उसके साथ बांगरमऊ से बीजेपी के तत्कालीन विधायक के घर पर बलात्कार हुआ है. ये अपराध तब हुआ जब 17 साल की वो लड़की कुलदीप सिंह सेंगर के पास नौकरी मांगने गयी थी. दिसंबर, 2019 में दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी - और अपराधी फिलहाल जेल में सजा काट रहा है.
हैरानी की बात ये है कि उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज (Sakshi Maharaj) की कुलदीप सेंगर के प्रति सहानुभूति में कभी कमी नहीं देखी गयी - और खास बात ये है कि उन्नाव...
उन्नाव तो अब महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में यूपी की राजधानी जैसा लगने लगा है - और ये हाल भी पिछले पांच साल में ही हुआ लगता है. पहले के रिकॉर्ड अभी अलग हैं, जिन पर अलग से विमर्श की गुंजाइश हो सकती है.
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने पूरे कार्यकाल में अगर सबसे ज्यादा टेंशन देने वाले इलाकों की कोई सूची बनायी होगी, तो सबसे ऊपर उन्नाव का ही नाम दर्ज होगा. कम से कम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में तो ऐसा ही लगता है.
उन्नाव 2017 से ही चर्चा में है. पहला मामले में भी राजनीतिक कनेक्शन सामने आया था - और अब जो दो महीने से गायब एक युवती की लाश मिलने से सनसनी मची हुई है, उसमें भी राजनीतिक कनेक्शन ही निकल कर आ रहा है.
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और तीन महीने के भीतर ही उन्नाव गैंगरेप का मामला सामने आया था. अब जबकि कार्यकाल पूरा कर योगी आदित्यनाथ नयी पारी के लिए जी जान से जुटे हुए हैं, नयी मुसीबत भी सामने आ खड़ी हुई है उन्नाव से ही. उन्नाव में दो महीने से गायब एक युवती का शव मिला है - और उसके बाद से समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी निशाने पर आ गये हैं.
सत्ता पक्ष अपराध की घटना को चाहे किसी भी राजनीतिक चश्मे से क्यों न देखे, सभी मामलों में यूपी पुलिस का रवैया एक जैसा ही लगता है. मौका-ए-वारदात का नाम चाहे उन्नाव हो या फिर हाथरस.
4 जून, 2017 को उन्नाव गैंग रेप केस की पीड़िता ने बताया था कि उसके साथ बांगरमऊ से बीजेपी के तत्कालीन विधायक के घर पर बलात्कार हुआ है. ये अपराध तब हुआ जब 17 साल की वो लड़की कुलदीप सिंह सेंगर के पास नौकरी मांगने गयी थी. दिसंबर, 2019 में दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी - और अपराधी फिलहाल जेल में सजा काट रहा है.
हैरानी की बात ये है कि उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज (Sakshi Maharaj) की कुलदीप सेंगर के प्रति सहानुभूति में कभी कमी नहीं देखी गयी - और खास बात ये है कि उन्नाव की ताजा आपराधिक घटना से बेफिक्र साक्षी महाराज लखनऊ में '4 बीवी और 40 बच्चों' वाली थ्योरी पर जोर देकर चुनाव प्रचार कर रहे थे.
निशाने पर अखिलेश यादव, पल्ला भी झाड़ लिया
उन्नाव में जिस लड़की का शव बरामद किया गया है, वो 8 दिसंबर, 2021 से लापता थी. लड़की की मां ने पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन पुलिस बिलकुल वैसे ही पेश आयी जैसे उन्नाव गैंगरेप केस में. लापरवाही बरतने के मामले में कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है.
क्योंकि युवती का शव सपा नेता की जमीन से बरामद हुई है: अखिलेश यादव निशाने पर इसलिए हैं क्योंकि जहां से शव बरामद हुआ है वो समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह की जमीन है - और उनका बेटा राजोल सिंह गिरफ्तार हुआ है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा, 'जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे सपा में है, उनका देहांत चार साल पहले हो गया... '
अखिलेश यादव ने ये तो माना है कि फतेह बहादुर सिंह समाजवादी पार्टी के नेता थे, लेकिन उनके बेटे से कोई वास्ता न होने का दावा किया है. अखिलेश यादव का कहना है, 'फतेह बहादुर समाजवादी पार्टी में थे, जिनका निधन हो चुका है... अभियुक्त से समाजवादी पार्टी का कोई नाता नहीं है - न ही वो पार्टी के सदस्य हैं.'
फिर भी अखिलेश यादव के लिए पीछा छुड़ा पाना मुश्किल हो रहा है, जिसकी खास वजह भी लगती है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 25 जनवरी को लखनऊ में अखिलेश यादव की गाड़ी के सामने युवती की मां ने आत्मदाह करने का प्रयास किया था.
निशाने पर समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव: बीएसपी नेता मायावती के ट्वीट में 'सपा नेता' का जिक्र तो है ही, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने तो चुनावी रैलियों की तरह ही समाजवादी पार्टी पर हमला बोल दिया है.
फिर भी अखिलेश यादव यूपी पुलिस के एक्शन पर सवाल उठा रहे हैं, 'पुलिस किस बात का इंतजार कर रही थी. क्या पुलिस सो रही थी? यूपी की पुलिस कानून व्यवस्था को बेहतर करेगी या नहीं?'
और मीडिया से बातचीत में उन्नाव के अपर पुलिस अधीक्षक शशि शेखर सिंह ने माना है कि मामले में पुलिस ने लापरवाही बरती है, 'युवती पिछले साल आठ दिसंबर को गायब हो गयी थी... गुमशुदगी की रिपोर्ट कोतवाली में तुरंत ही लिख ली गयी थी, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी उसमें जो एफआईआर पंजीकृत होना था, वो नहीं हुआ था - प्रभारी को सस्पेंड कर दिया गया है.'
साक्षी महाराज को कोई फर्क नहीं पड़ता
उन्नाव लोक सभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व बीजेपी के साक्षी महाराज करते हैं. कहने को तो साक्षी महाराज भी संन्यासी ही हैं और मोह माया से मुक्त होकर राजनीति करते हैं, जैसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ - लेकिन दोनों में बड़ा फर्क भी है.
यूं तो कुलदीप सेंगर पर बलात्कार के आरोप होने के बाद भी योगी सरकार की तरफ से कार्रवाई में काफी हीलाहवाली देखी गयी थी, लेकिन साक्षी महाराज का मोहभंग तो बलात्कारी पूर्व विधायक से अब तक नहीं हुआ है, जबकि कुलदीप सेंगर को अदालत से उम्रकैद की सजा मिली हुई है.
साक्षी महाराज न सिर्फ कुलदीप सेंगर को बर्थडे विश करने जेल पहुंचे थे, बल्कि चुनाव जीत कर सांसद बन जाने पर भी जेल जाकर शुक्रिया अदा किया था. ये वही साक्षी महाराज हैं जिन्होंने डेरा सच्चा सौदा वाले गुरमीत राम रहीम इंसान के बलात्कार का दोषी पाये जाने पर भी बचाव किया था - और अपने हिसाब से बेकसूर साबित करने की कोशिश की थी.
अब जहां का सांसद अपराधियों के प्रति इतना उदार दिलवाला हो - महिलाओं के खिलाफ हर अपराध में जिसे कोर्ट के ट्रायल में गवाहों और सबूतों के आधार पर मिली सजा पर भी यकीन न हो - उस उन्नाव में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ेंगे नहीं तो क्या होगा.
क्या सांसद को खबर तक नहीं है: बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को उन्नाव की घटना की फिक्र की कौन कहे, खबर भी है या नहीं, नहीं मालूम. जिस घटना पर यूपी में कोहराम मचा हुआ है, उन्नाव के सांसद का एक ट्वीट तक नहीं आया है. ऐसा भी नहीं कि साक्षी महाराज की ट्विटर टाइमलाइन खाली पड़ी हो. 9 फरवरी को बाबा आम्टे और उसके बाद दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर याद करते हुए ट्वीट किये गये हैं - और फिलहाल आखिरी ट्वीट तिलका मांझी की जयंती पर है.
एजेंडा तो नहीं भूलते: 11 फरवरी, 2022 को साक्षी महाराज लखनऊ की सरोजनी नगर विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार राजेश्वर सिंह को समर्थन देने पहुंचे थे. साक्षी महाराज जनसंख्या बढ़ने पर पुरानी चिंता तो जतायी ही, सरेआम फिर से धमका डाला कि हिंदुस्तान में चार बीवी और 40 बच्चे तो नहीं चलेंगे.
उन्नाव में चुनावी राजनीति
उन्नाव में सामने आया ये तीसरा बड़ा मामला है. जिस केस में कुलदीप सेंगर को सजा हुई है, उसके अलावा भी गैंगरेप के एक मामले में पीड़ित को हमलावरों ने ही पेट्रोल छिड़क कर जला दिया था. 95 फीसदी जली हालत में पीड़ित को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी मौत हो गयी थी. हालांकि, वो मामला थोड़ा अलग था क्योंकि उसमें पहले दोस्ती, फिर शादी और बलात्कार के बाद जलाकर मार डालने की कहानी सामने आयी थी.
तब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उन्नाव में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था. दिसंबर, 2019 में पीड़िता के परिवारवालों से मिलने के बाद प्रियंका गांधी ने कहा था, 'सरकार का कर्तव्य होता है कि वह कानून-व्यवस्था को कायम रखे... उन्नाव में पिछले 11 महीनों में 90 बलात्कार हुए हैं. सरकार को फैसला करना पड़ेगा कि वह महिलाओं के पक्ष में है या फिर अपराधियों के पक्ष में?'
1. उन्नाव सदर सीट पर कांग्रेस ने आशा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. प्रियंका गांधी का कहना है कि ऐसा वो आशा देवी के संघर्ष को मजबूती देने के लिए कर रही हैं.
आशा सिंह उस रेप सरवाइवर की मां हैं जिस केस में कुलदीप सिंह सेंगर को सजा हुई है. कांग्रेस की तरफ से आशा सिंह का ट्विटर अकाउंट तो बनाया गया है, लेकिन उनकी टीम की तरफ से उन्नाव की घटना पर कोई ट्वीट नहीं है.
2. समाजवादी पार्टी ने उन्नाव सदर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आशा सिंह के खिलाफ अपना उम्मीदवार न खड़ा करने का फैसला किया था - और एक तरीके से ये कांग्रेस उम्मीदवार का सपोर्ट कर रही है.
ताजा घटना में पीड़ित युवती की मां ने शक जताया है कि उसकी बेटी की हत्या से पहले रेप भी हुआ हो सकता है. आज तक से बातचीत में पीड़ित युवती की मां ने कहा कि उसे पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं हो रहा है - और वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगी.
भले ही कुलदीप सेंगर वाले केस और इस मामले में साफ साफ फर्क नजर आ रहा हो, लेकिन एक बात तो तय है कि बीजेपी और मायावती दोनों मिल कर अखिलेश यादव को चुनाव में घेरने वाले हैं - और प्रियंका गांधी वाड्रा का स्टैंड देखना भी दिलचस्प होगा.
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