यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे आ चुके हैं. पिछले 5 सालों में इस बार के नतीजे सबसे कम रहे हैं. नतीजे कम होने का बहुत बड़ा कारण है परीक्षा में की गई सख्ती. इसी सख्ती का नजीता है कि करीब 11 लाख बच्चों ने परीक्षा ही नहीं दी. 2018 के नतीजों में दसवीं में 75 फीसदी और 12वीं में 72 फीसदी बच्चे पास हुए हैं. जहां एक ओर 12वीं के नतीजों में 2014 से लेकर लगातार गिरावट देखने को मिली है वहीं दसवीं के नतीजों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. हालांकि, दसवीं में 2016 में एक बार नतीजों में बढ़ देखी गई थी, लेकिन फिर से गिरावट का दौर शुरू हो गया. आंकड़े बताते हैं कि इस बार के नतीजे सिर्फ 40 फीसदी रहे हैं. यानी करीब 60 फीसदी बच्चे फेल हो गए हैं. हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने उन सभी को बधाई दी है जो पास हुए हैं. साथ ही कहा है कि वह बहुत खुश हैं कि इतना अच्छा रिजल्ट आया है.
11 लाख बच्चों ने नहीं दी परीक्षा
इस बार कुल 56,32,860 बच्चों ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी थी, जिसमें से 30,28,767 बच्चे दसवीं के थे और 26,04,093 बच्चे 12वीं के थे. वहीं दूसरी ओर, परीक्षा में सख्ती को देखते हुए करीब 11,27,800 बच्चों ने परीक्षा ही छोड़ दी थी. अब रिजल्ट के बाद ये साफ हो गया है कि दसवीं में कुल 22,76,445 (75.16%) बच्चे पास हुए हैं, जबकि 12वीं में 18,86,050 (72.43%) बच्चे पास हुए हैं.
इन बच्चों के परीक्षा छोड़ने का कारण यह है कि इस बार परीक्षा में बहुत सख्ती बरती गई थी. ऐसा पिछले करीब 90 सालों के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतनी अधिक संख्या में बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी. परीक्षा हॉल में सीसीटीवी कैमरे तक लगाए गए, ताकि नकल पर लगाम लगाई जा सके. सख्ती का ही नतीजा है कि बहुत से बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी. खैर, जिन्होंने सख्ती के डर से परीक्षा छोड़ी उनका परीक्षा न देना ही सही है. जो नकल करके पास होने की...
यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे आ चुके हैं. पिछले 5 सालों में इस बार के नतीजे सबसे कम रहे हैं. नतीजे कम होने का बहुत बड़ा कारण है परीक्षा में की गई सख्ती. इसी सख्ती का नजीता है कि करीब 11 लाख बच्चों ने परीक्षा ही नहीं दी. 2018 के नतीजों में दसवीं में 75 फीसदी और 12वीं में 72 फीसदी बच्चे पास हुए हैं. जहां एक ओर 12वीं के नतीजों में 2014 से लेकर लगातार गिरावट देखने को मिली है वहीं दसवीं के नतीजों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. हालांकि, दसवीं में 2016 में एक बार नतीजों में बढ़ देखी गई थी, लेकिन फिर से गिरावट का दौर शुरू हो गया. आंकड़े बताते हैं कि इस बार के नतीजे सिर्फ 40 फीसदी रहे हैं. यानी करीब 60 फीसदी बच्चे फेल हो गए हैं. हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने उन सभी को बधाई दी है जो पास हुए हैं. साथ ही कहा है कि वह बहुत खुश हैं कि इतना अच्छा रिजल्ट आया है.
11 लाख बच्चों ने नहीं दी परीक्षा
इस बार कुल 56,32,860 बच्चों ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी थी, जिसमें से 30,28,767 बच्चे दसवीं के थे और 26,04,093 बच्चे 12वीं के थे. वहीं दूसरी ओर, परीक्षा में सख्ती को देखते हुए करीब 11,27,800 बच्चों ने परीक्षा ही छोड़ दी थी. अब रिजल्ट के बाद ये साफ हो गया है कि दसवीं में कुल 22,76,445 (75.16%) बच्चे पास हुए हैं, जबकि 12वीं में 18,86,050 (72.43%) बच्चे पास हुए हैं.
इन बच्चों के परीक्षा छोड़ने का कारण यह है कि इस बार परीक्षा में बहुत सख्ती बरती गई थी. ऐसा पिछले करीब 90 सालों के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतनी अधिक संख्या में बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी. परीक्षा हॉल में सीसीटीवी कैमरे तक लगाए गए, ताकि नकल पर लगाम लगाई जा सके. सख्ती का ही नतीजा है कि बहुत से बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी. खैर, जिन्होंने सख्ती के डर से परीक्षा छोड़ी उनका परीक्षा न देना ही सही है. जो नकल करके पास होने की सोचते हैं, उनका 'फेल' होना ही बेहतर है.
73 नहीं, महज 40 फीसदी रहा है यूपी बोर्ड का रिजल्ट
दसवीं के लिए कुल 36,55,691 बच्चे और 12वीं में 29,81,327 बच्चे परीक्षा देने वाले थे. यानी कुल 66,37,018 बच्चे परीक्षा देने वाले थे. इनमें से 11,27,800 बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी और कुल 14,70,365 बच्चे (दसवीं में 752322+ 12वीं में 718043) फेल हो गए. इसका मतलब है कि कुल 66,37,018 बच्चों में से 25,98,165 बच्चे (परीक्षा छोड़ने वाले 11,27,800+ फेल होने वाले 14,70,365) फेल हो गए. दरअसल, जिन लोगों ने परीक्षा छोड़ दी वह अनुपस्थित होने की वजह से फेल ही माने जाएंगे. इस तरह आपको पता चलेगा कि इस बार यूपी का रिजल्ट सिर्फ 39.14 फीसदी रहा है, ना कि 73.79 फीसदी (10वीं और 12वीं के रिजल्ट का औसत).
आंकड़ों से समझिए पिछले 5 साल का हाल
साल | हाई स्कूल | इंटरमीडिएट |
2014 | 86.71% | 92.21% |
2015 | 83.74% | 88.83% |
2016 | 87.66% | 87.99% |
2017 | 81.18% | 82.62% |
2018 | 75.16% | 72.43% |
फिर से लड़कियों ने मारी बाजी
दसवीं के नतीजों की बात की जाए या फिर 12वीं के, दोनों में ही लड़कियों ने बाजी मारी है. 10वीं में पास होने वालों की बात करें तो 78.81 फीसदी लड़कियां पास हुई हैं, जबकि लड़कों का प्रतिशत सिर्फ 72.27 रहा है. 2017 में भी लड़कियां ही आगे थीं. तब 86.50 फीसदी लड़कियां पास हुई थीं, जबकि 76.75 फीसदी लड़के पास हुए थे. 10वीं की तो टॉपर भी एक लड़की ही है. लड़की ने कुल 96.35 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं.
12वीं में इस बार 78.44 फीसदी लड़कियां पास हुई हैं, जबकि सिर्फ 67.36 फीसदी लड़के पास हुए हैं. 2017 में 88.80 लड़कियां पास हुई थीं, जबकि 77.16 फीसदी लड़के पास हुए थे.
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