दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों
शेर मशहूर शायर बशीर बद्र का है. और कहीं फिट बैठे न बैठे राजनीति पर जरूर फिट बैठता है. विषय पॉलिटिक्स है. तो इतना जरूर समझ लीजिये कि राजनीति का अजीब दौर है. उससे भी ज्यादा विचलित करता है किसी दल या फिर नेता के समर्थकों का बर्ताव. जैसे हाल हैं, लोगों ने अपने को खेमों में बांट लिया है. जिक्र चूंकि राजनीतिक दलों का और समर्थन का हुआ है. तो बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो आज देश की एक बहुत बड़ी आबादी भाजपा के साथ है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों और तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों की भी कोई कमी नहीं है.
अब इसे विडंबना कहें या कुछ और अपने मनपसंद नेता के मोह में फंसा समर्थक दूसरे दल के नेता को न केवल ख़ारिज करता है. बल्कि भावों में बहकर तमाम ऐसी बातें कह देता है तो इस बात की तस्दीख कार देती हैं कि अमुक नेता, नेता न होकर ख़ुदा हो. सवाल होगा ये बातें क्यों? वजह है इंटरनेट पर वायरल एक तस्वीर. जो दल चाहे भाजपा हो या फिर कोई और समर्थकों को बड़ा सन्देश दे रही है.
वायरल तस्वीर में एक दूसरे के धुर विरोधी और अपने अपने मंचों से एक दूसरे पर जमकर छींटाकशी और आरोप प्रत्यारोप लगाने वाले दो नेता यानी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. ममता और योगी जिस अंदाज में एक दूसरे से मिल रहे हैं, साफ़ है कि दोनों अपनी अपनी पॉलिटिकल लाइफ में चाहे कैसे भी हों. लेकिन जब बात एक मंच पर साथ आने की आती है तो दोनों हंसते मुस्कुराते हैं एक दूसरे का हाल चाल लेते हैं. यानी दोनों के बीच संवाद की गुंजाइश रहती है.
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों
शेर मशहूर शायर बशीर बद्र का है. और कहीं फिट बैठे न बैठे राजनीति पर जरूर फिट बैठता है. विषय पॉलिटिक्स है. तो इतना जरूर समझ लीजिये कि राजनीति का अजीब दौर है. उससे भी ज्यादा विचलित करता है किसी दल या फिर नेता के समर्थकों का बर्ताव. जैसे हाल हैं, लोगों ने अपने को खेमों में बांट लिया है. जिक्र चूंकि राजनीतिक दलों का और समर्थन का हुआ है. तो बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो आज देश की एक बहुत बड़ी आबादी भाजपा के साथ है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों और तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों की भी कोई कमी नहीं है.
अब इसे विडंबना कहें या कुछ और अपने मनपसंद नेता के मोह में फंसा समर्थक दूसरे दल के नेता को न केवल ख़ारिज करता है. बल्कि भावों में बहकर तमाम ऐसी बातें कह देता है तो इस बात की तस्दीख कार देती हैं कि अमुक नेता, नेता न होकर ख़ुदा हो. सवाल होगा ये बातें क्यों? वजह है इंटरनेट पर वायरल एक तस्वीर. जो दल चाहे भाजपा हो या फिर कोई और समर्थकों को बड़ा सन्देश दे रही है.
वायरल तस्वीर में एक दूसरे के धुर विरोधी और अपने अपने मंचों से एक दूसरे पर जमकर छींटाकशी और आरोप प्रत्यारोप लगाने वाले दो नेता यानी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. ममता और योगी जिस अंदाज में एक दूसरे से मिल रहे हैं, साफ़ है कि दोनों अपनी अपनी पॉलिटिकल लाइफ में चाहे कैसे भी हों. लेकिन जब बात एक मंच पर साथ आने की आती है तो दोनों हंसते मुस्कुराते हैं एक दूसरे का हाल चाल लेते हैं. यानी दोनों के बीच संवाद की गुंजाइश रहती है.
तस्वीर पर ढेरों बात होगी. लेकिन जो भी कहा जाएगा उसका सार यही रहेगा कि अगर वाक़ई किसी को इस तस्वीर से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है तो वो पार्टी-पॉलिटिक्स की बहस में खून जलाने वाले लोग हैं. जिनकी आंखों का कांटा वो लोग हैं जिनके पॉलिटिकल विचार या बहुत साफ़ कहें तो विचारधारा उनसे अलग है.
जिक्र योगी और ममता की इस तस्वीर का हुआ है. तो कुछ और बात करने से पहले ये बता देना बहुत जरूरी है कि, अभी बीते दिन ही दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया था. इसी प्रोग्राम में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी.
पूरे इंटरनेट पर जंगल की आज की तरह फैल रही इस तस्वीर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ममता बनर्जी की कुर्सी के पास खड़े हैं. तस्वीर को ध्यान से देखें और उसका अवलोकन करें तो जो कहानी निकल कर सामने आई है वो उससे कहीं ज्यादा जुदा है. जो हमें उन राजनीतिक मंचों पर दिखती है जिसका इस्तेमाल वोटर्स को रिझाने के लिए किसी अखाड़े की तरह किया जाता है.
जैसा की तस्वीर में दिख रहा है योगी और ममता मुस्कुराते हुए एक दूसरे से बात कर रहे हैं. सवाल ये है कि वो लोग जो अपने को किसी दल या फिर नेता का समर्थक कहते हैं, आखिर इस तस्वीर से प्रेरणा कब लेंगे? लेंगे या फिर आंखों पर पट्टी बांधकर इसे सदा के लिए ख़ारिज कर अपनी सुचिता और सुविधा के हिसाब से तर्क देंगे.
विषय जितना सीधा है वायरल हुई ये तस्वीर भी उतनी ही स्पष्ट है. बतौर समर्थक हमें इस बात को समझना होगा कि नेता चाहे वो योगी आदित्यनाथ हों या फिर ममता बनर्जी या फिर कोई और वो मंच पर उग्र हो सकता है. लेकिन जब जब बात व्यक्तिगत जीवन की आती है तो वो वैसे ही बर्ताव करता है जैसे किसी कंपनी में काम करने वाला कोई मुलाजिम अपनी ही कंपनी में काम करने वाले किसी कलीग के साथ बर्ताव करता है.
नेता जानता है कि आरोप प्रत्यारोप राजनीति के युद्ध के अहम अस्त्र और शस्त्र हैं और यही ऐसे हथियार हैं जिनसे युद्ध जीता जा सकता है. यानी राजनीतिक परिदृश्य में भले ही यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का युद्ध चल रहा हो लेकिन जब समाज में वो मिलेंगे तो एक दूसरे से सलाम दुआ करते हुए उनका हाल चाल लेंगे. एक दूसरे के अच्छे और बुरे में खड़े होंगे.
अंत में हम दलों के समर्थकों से फिर एक बार यही अपील करेँगे कि योगी और ममता का एक मंच पर साथ आना और हंसना और मुस्कुराना ही दुनिया की सच्चाई है. इसके इतर जो है वो राजनीति है और यूं भी राजनीति की अपनी मजबूरियां होती हैं.
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