यूपी चुनाव 2022 (P Election 2022) के तीन चरणों की 172 सीटों पर मतदान हो चुका है. अब चौथे चरण में 9 जिलों की 59 सीटों के लिए 23 फरवरी को मतदान होना है. 2017 के चुनावी नतीजों की बात करें, तो 59 में से 50 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. वहीं, एक सीट पर भाजपा गठबंधन की अपना दल (सोनेलाल) के खाते में गई थी. दो-दो सीटों पर कांग्रेस और बसपा और चार पर समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई थी. वैसे, 2012 में समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया, जो भाजपा के लिए परेशानी बढ़ाने वाला कहा जा सकता है. इस बार किसी बड़े राजनीतिक दल में गठबंधन नही है. तो, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा के बीच भी सियासी घमासान देखने को मिलेगा. वहीं, 9 में से कई जिले किसी जमाने में कांग्रेस के गढ़ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र और सियासी दुर्ग रायबरेली को बचाने की चुनौती भी कांग्रेस के सामने है.
वैसे, यूपी चुनाव 2022 का चौथा चरण भाजपा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. क्योंकि, जिन 9 जिलों में मतदान होना है, उनमें से एक लखीमपुर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का संसदीय क्षेत्र है. लखीमपुर खीरी में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था. लेकिन, इस बार अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को कुचलने के आरोपों को देखते हुए भाजपा के सामने समस्या खड़ी हो सकती है. और, हाल ही में आशीष मिश्रा को मिली जमानत से यहां के समीकरण गड़बड़ाने की संभावना जताई जा रही है. अगर मतदान में लखीमपुर खीरी हिंसा का मामले के असर देखने को मिलता है, तो भाजपा के लिए अपना ये गढ़ बचाना बड़ी चुनौती साबित होगा. चौथा चरण सभी पारमें कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. आइए जानते हैं चौथे चरण की उन हॉट सीट्स के बारे में जिन पर होगी सबकी नजर...
यूपी चुनाव 2022 का चौथा चरण भाजपा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.
क्या रायबरेली में बागी अदिति सिंह दे पाएंगी कांग्रेस को झटका?
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भाजपा ने इस बार सेंध लगाने की ठान ली है. कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह को भाजपा में शामिल कर पार्टी ने रायबरेली सीट से ही प्रत्याशी बनाया है. अदिति सिंह के सामने पिता अखिलेश सिंह की राजनीतिक विरासत को बचाने की चुनौती है. अखिलेश सिंह इस सीट से पांच बार विधायक रहे थे. 2017 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की उम्मीदवार अदिति सिंह ने करीब 90 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. अखिलेश सिंह के निधन और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से अदिति सिंह के लिए समीकरण थोड़े बदले नजर आते हैं. रायबरेली सीट पर 2017 में भाजपा को केवल 14 फीसदी वोट ही मिले थे. इस सीट पर कांग्रेस ने मनीष चौहान को टिकट दिया है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने राम प्रताप यादव और बसपा ने मोहम्मद अशरफ को प्रत्याशी बनाया है.
लखनऊ की तीन हाई प्रोफाइल सीटों पर भाजपा की साख दांव पर
राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट भाजपा का मजबूत किला मानी जाती है. लखनऊ कैंट सीट लंबे समय से चर्चा में रही. इस सीट पर भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही थीं. वहीं, यूपी चुनाव 2022 से पहले समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाली मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव के भी लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी. हालांकि, भाजपा ने यहां से योगी सरकार के मंत्री ब्रजेश पाठक को टिकट दिया है. इससे पहले ब्रजेश पाठक लखनऊ मध्य सीट से विधायक थे. भाजपा ने उनकी सीट में बदलाव किया है. ब्रजेश पाठक के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गांधी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने अनिल पांडेय और कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह को टिकट दिया है. भाजपा ने विधायक सुरेश तिवारी का टिकट काट दिया है. भाजपा ने ब्राह्मण मतदाताओं को संदेश देने के लिए ब्रजेश पाठक को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. क्योंकि, लखनऊ मध्य से ब्रजेश पाठक करीब 6 हजार वोटों से ही जीत दर्ज कर सके थे.
लखनऊ की ही सरोजनी नगर भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है. भाजपा ने सरोजनी नगर सीट की विधायक और योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काटा है. उनकी जगह ईडी के जॉइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने सपा सरकार में मंत्री रहे अभिषेक मिश्र को प्रत्याशी बनाया है. लेकिन, बसपा छोड़कर सपा में शामिल होने वाले शिव शंकर सिंह संकरी और पुराने सपा नेता शारदा प्रताप शुक्ल ने टिकट न मिलने से भाजपा में शामिल हो गए हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने भी भाजपा के एक पार्षद को अपने खेमे में लाने में सफलता पाई है. राजेश्वर सिंह के खिलाफ बसपा ने मोहम्मद जलीस खान और कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को टिकट दिया है. कांग्रेस के रुद्र दमन सिंह पहले भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं, तो उलटफेर की संभावनाएं बनी हुई हैं.
लखनऊ पूर्व पर भाजपा 1991 से लेकर 2017 तक लगातार जीत हासिल करती रही है. लखनऊ पूर्व सीट से योगी सरकार के कद्दावर मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रहे लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन सियासी अखाड़े में उतारा है. आशुतोष टंडन के खिलाफ सपा ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने आशीष कुमार सिन्हा और कांग्रेस ने मनोज तिवारी को टिकट दिया है. इस सीट पर सवर्ण मतदाताओं का निर्णायक वोट है.
ऊंचाहार सीट पर मनोज बनाम अमरपाल
यूपी चुनाव 2022 से पहले भाजपा का साथ छोड़ समाजवादी पार्टी के खेमे में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ऊंचाहार सीट से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे. हालांकि, समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बावजूद उनके बेटे की टिकट फाइनल नहीं हो सकी. और, अखिलेश यादव ने हैट्रिक लगाने के लिए मनोज कुमार पांडेय पर ही भरोसा जताया है. हालांकि, पिछली बार मनोज पांडेय अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार उत्कृष्ट मौर्य को करीब 2 हजार वोटों से ही शिकस्त दे पाए थे. ऊंचाहार विधानसभा सीट से भाजपा ने इस बार अमरपाल मौर्य पर दांव खेला है. बसपा ने अंजलि मौर्य को टिकट दिया है. वहीं, कांग्रेस ने भाजपा के बागी नेता अतुल सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. ऊंचाहार में आजतक कमल नहीं खिल पाया है, तो भाजपा यहां पूरी ताकत झोंक रही है. वहीं, सपा के सामने यहां अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है.
हरदोई में नरेश अग्रवाल की साख दांव पर
कई राजनीतिक दलों में रह चुके नरेश अग्रवाल फिलहाल भाजपा में हैं. और, हरदोई सदर विधानसभा सीट से भाजपा ने नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को टिकट दी है. 2017 में मोदी लहर के बावजूद नितिन अग्रवाल समाजवादी पार्टी के टिकट से लगातार तीसरी बार हरदोई सदर सीट से चुनाव जीते थे. इस बार समाजवादी पार्टी ने इस सामान्य सीट पर अनिल वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने शोभित पाठक और कांग्रेस ने आशीष कुमार सिंह को टिकट दिया है. यहां नरेश अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या नितिन अग्रवाल चौथी बार भी यहां से करिश्मा कर पाएंगे?
तिंदवारी में भाजपा के बागी नेता के सहारे सपा
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी के खेमे में शामिल होने वाले बृजेश राजपूत को सपा ने बांदा की तिंदवारी सीट से प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने तिंदवारी सीट से रामकेश निषाद पर दांव खेला है. बसपा ने जयराम सिंह और कांग्रेस ने आदिशक्ति को प्रत्याशी बनाया है.
योगी सरकार के मंत्री की साख दांव पर
फतेहपुर की ही जहानाबाद सीट से विधायक और योगी सरकार में मंत्री रहे जय कुमार सिंह जैकी की सीट में बदलाव करते हुए भाजपा ने बिंदकी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. इस बार बिंदकी विधानसभा सीट भाजपानीत एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) के खाते में आई है. और, जय कुमार सिंह जैकी अपना दल के टिकट पर किस्मत आजमाने उतरे हैं. जैकी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने रामेश्वर गुप्ता, बसपा ने सुशील कुमार और कांग्रेस ने अभिमन्यु सिंह को टिकट दिया है. 2017 में बिंदकी विधानसभा सीट भाजपा के खाते में थी और यहां से करण सिंह पटेल विधायक बने थे.
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