यूपी चुनाव 2022 के पांचवें चरण में 12 जिलों की 61 सीटों पर हो रहे मतदान से अब चुनाव पूर्वांचल में प्रवेश कर चुका है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पांचवें चरण की शुरुआत में ही सियासी दलों की राजनीतिक किस्मत का फैसला हो जाएगा. यूपी चुनाव 2022 का पांचवां चरण भाजपा, समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम है. क्योंकि, भाजपा के सामने यहां अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. तो, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस के सामने बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है. यूपी चुनाव 2022 में अब तक के चुनावी ट्रेंड को देखते हुए मुख्य प्रतिद्वंदियों के तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी ही नजर आते हैं. हालांकि, चुनावी नतीजों को लेकर अभी भी कोई आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है. दरअसल, इस बार के चुनाव में मतदाताओं का मूड भांपना आसान नहीं रहा है. न समाजवादी पार्टी के लिए एकतरफा रुझान दिखाई पड़ रहा है. और, न ही भाजपा के पक्ष में कोई लहर सी चलती नजर आ रही है. वहीं, बसपा और कांग्रेस भी इस चुनाव में पूरा जोर लगा रही हैं.
पांचवें चरण में भाजपा जहां हिंदुत्व, कल्याणकारी योजनाओं और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों के सहारे सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है. वहीं, विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी, आवारा पशुओं जैसे मुद्दों के साथ जीत का सपना सजा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें, तो 12 जिलों की इन 61 सीटों में से 47 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. और, तीन सीटें भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को मिली थीं. वहीं, 2012 में 41 सीटें पाने वाली समाजवादी पार्टी को इन 61 सीटों पर बड़ा झटका लगा था. और, सपा केवल पांच सीटों पर सिमट गई थी. इन 61 सीटों में से बसपा के खाते में केवल तीन सीटें ही गई थीं. वहीं, दो सीटों पर निर्दलीय जीते थे. जिनमें से एक प्रतापगढ़ कुंडा के बाहुबली कहे जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और एक उनके ही करीबी विनोद सोनकर थे. एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
वैसे, पांचवें चरण से समाजवादी पार्टी के छोटे दलों...
यूपी चुनाव 2022 के पांचवें चरण में 12 जिलों की 61 सीटों पर हो रहे मतदान से अब चुनाव पूर्वांचल में प्रवेश कर चुका है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पांचवें चरण की शुरुआत में ही सियासी दलों की राजनीतिक किस्मत का फैसला हो जाएगा. यूपी चुनाव 2022 का पांचवां चरण भाजपा, समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम है. क्योंकि, भाजपा के सामने यहां अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. तो, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस के सामने बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है. यूपी चुनाव 2022 में अब तक के चुनावी ट्रेंड को देखते हुए मुख्य प्रतिद्वंदियों के तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी ही नजर आते हैं. हालांकि, चुनावी नतीजों को लेकर अभी भी कोई आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है. दरअसल, इस बार के चुनाव में मतदाताओं का मूड भांपना आसान नहीं रहा है. न समाजवादी पार्टी के लिए एकतरफा रुझान दिखाई पड़ रहा है. और, न ही भाजपा के पक्ष में कोई लहर सी चलती नजर आ रही है. वहीं, बसपा और कांग्रेस भी इस चुनाव में पूरा जोर लगा रही हैं.
पांचवें चरण में भाजपा जहां हिंदुत्व, कल्याणकारी योजनाओं और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों के सहारे सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है. वहीं, विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी, आवारा पशुओं जैसे मुद्दों के साथ जीत का सपना सजा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें, तो 12 जिलों की इन 61 सीटों में से 47 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. और, तीन सीटें भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को मिली थीं. वहीं, 2012 में 41 सीटें पाने वाली समाजवादी पार्टी को इन 61 सीटों पर बड़ा झटका लगा था. और, सपा केवल पांच सीटों पर सिमट गई थी. इन 61 सीटों में से बसपा के खाते में केवल तीन सीटें ही गई थीं. वहीं, दो सीटों पर निर्दलीय जीते थे. जिनमें से एक प्रतापगढ़ कुंडा के बाहुबली कहे जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और एक उनके ही करीबी विनोद सोनकर थे. एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
वैसे, पांचवें चरण से समाजवादी पार्टी के छोटे दलों (सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल कमेरावादी) से गठबंधन के दावों की असली परीक्षा भी होगी. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरों के दम पर ताल ठोंक रही भाजपा को अपनी ताकत का अहसास होगा. यूपी चुनाव 2022 का पांचवां चरण भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि, पांचवें चरण में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं और योगी सरकार के मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है. आइए पांचवें चरण की इन हॉट सीट्स पर डालते हैं नजर...
सिराथू में तय होगा कौन है मौर्य मतदाताओं का 'किंग'?
पांचवें चरण की सबसे बड़ी हॉट सीट कौशांबी जिले की सिराथू कही जा सकती है, दरअसल, सिराथू विधानसभा सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता और योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. क्योंकि, केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के बड़े ओबीसी चेहरों में से एक हैं. यूपी चुनाव 2022 में मौर्य मतदाताओं को लेकर चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है. स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई भाजपा विधायकों के समाजवादी पार्टी में शामिल हो जाने के बाद यूपी चुनाव 2022 केशव प्रसाद मौर्य के लिए अपनी सियासी ताकत दिखाने के मौके में बदल गया है. वहीं, केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू से जीत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे नेताओं ने अपना पूरा दम लगाते हुए यहां प्रचार किया है. समाजवादी पार्टी ने सिराथू से गठबंधन के सहयोगी अपना दल (कमेरावादी) और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने मुस्लिम मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए मुनसब अली को टिकट दिया है. और, कांग्रेस ने सीमा देवी को प्रत्याशी बनाया है.
प्रयागराज में होगा योगी सरकार के दो मंत्रियों का 'इम्तिहान'
यूपी चुनाव 2022 के पांचवें चरण में प्रयागराज जिले की 12 में से दो सीटों पर योगी आदित्यनाथ सरकार के दो मंत्रियों की साख दांव पर लगी है. प्रयागराज पश्चिम सीट पर योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह चुनावी मैदान में हैं. सिद्धार्थ नाथ सिंह के सामने चुनावी मैदान में समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षा ऋचा सिंह को उतारा है. इस सीट से बसपा ने गुलाम कादिर और कांग्रेस ने तसलीमुद्दीन सिद्दीकी को टिकट दिया है. चुनावी ट्रेंड को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ही सियासी लड़ाई के आसार हैं. क्योंकि, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों से शायद ही मुस्लिम मतदाताओं का वोट बंटेगा.
वहीं, प्रयागराज दक्षिण सीट से योगी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी के सामने भी इस सीट से दोबारा जीत हासिल करने की चुनौती है. नंद गोपाल गुप्ता के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए रईस चंद शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने देवेंद्र मिश्र नगरहा और कांग्रेस ने अल्पना निषाद को टिकट दिया है. प्रयागराज दक्षिण सीट पर भाजपा के वर्चस्व को पहली बार 2007 में बसपा से चुनाव लड़ने वाले नंद गोपाल गुप्ता ने ही तोड़ा था. 2012 में वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी परवेज अहमट टंकी से केवल 379 वोटों से हार गए थे. वहीं, 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने पर नंदी ने करीब 28 हजार वोटों से जीत हासिल की थी.
रामनगरी अयोध्या में क्या चलेगा भाजपा का 'जादू'?
यूपी चुनाव 2022 में राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के एजेंडे में सबसे अहम रहा है. इस बार भी अयोध्या में राम मंदिर के इर्द-गिर्द ही सियासत का रुख दिखाई पड़ रहा है. अयोध्या विधानसभा सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की भी खूब चर्चा हुई थी. हालांकि, भाजपा ने 2017 में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी वेदप्रकाश गुप्ता ही दोबारा से चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि, सपा ने 2012 में अयोध्या सीट पर भाजपा का 21 सालों का वर्चस्व तोड़ने वाले तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाया है. यूपी चुनाव 2022 से पहले अयोध्या में राम मंदिर के लिए जमीन खरीद में हुए कथित घोटाले को लेकर भी तेज नारायण पांडेय ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. बसपा ने इस सीय से रवि प्रकाश और कांग्रेस ने रीता को प्रत्याशी बनाया है. अयोध्या जिले की पांचों विधानसभा सीटें भाजपा के प्रतिष्ठा का विषय हैं. क्योंकि, राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ ही भाजपा ने इस मुद्दे को खूब उछाला था.
क्या कुंडा में राजा भैया की बादशाहत पर लगेगी 'कुंडी'?
प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट पर बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया 1993 से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं. प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह का काफी प्रभाव माना जाता है. बीते दिनों समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां एक चुनावी रैली में रघुराज प्रताप सिंह पर हमला करते हुए लोगों से कुंडा में कुंडी लगाने की अपील की थी. जिस पर रघुराज प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए सीधे अखिलेश यादव की हैसियत को ही चुनौती दे दी थी. वैसे, इस बार कुंडा और बाबागंज की सीटों पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के जनसत्ता दल की राह आसान नही है. कुंडा में समाजवादी पार्टी ने डेढ़ दशक बाद राजा भैया के ही करीबी रहे गुलशन यादव को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सिंधुजा मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने मुस्लिम चेहरे के तौर पर मोहम्मद फहीम और कांग्रेस ने योगेश कुमार को टिकट दिया है. वहीं, बाबागंज में राजा भैया के करीबी निर्दलीय विधायक विनोद सोनकर सरोज की साख भी दांव पर है.
प्रतापगढ़ की इन सीटों पर भी सियासी वर्चस्व की जंग
प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा सीट पर 42 सालों से कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. इस सीट पर एक बार भी कमल नहीं खिल सका है. कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' यहां से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा के खिलाफ भाजपा ने नागेश प्रताप सिंह उर्फ छोटे सरकार को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने बांकेलाल पटेल को टिकट दिया है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया है. लेकिन, कई सीटों की तरह इस सीट पर भी उम्मीदवार नहीं उतारा है.
प्रतापगढ़ जिले की सदर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल चुनावी मैदान में हैं. कृष्णा पटेल केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां हैं. इस चुनाव में अनुप्रिया पटेल के अपना दल (सोनेलाल) ने गठबंधन के चलते हिस्से में आई प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट भाजपा को वापस लौटा दी थी. भाजपा ने इस सीट से राजेन्द्र मौर्य को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट पर नीरज त्रिपाठी और बसपा ने आशुतोष त्रिपाठी को टिकट दिया है. 2017 में इस सीट पर भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने जीत हासिल की थी.
प्रतापगढ़ की पट्टी विधानसभा पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह की साख दांव पर है. 2017 में करीब 1400 वोटों से जीतने वालों राजेंद्र प्रताप सिंह को भाजपा ने एक बार फिर से सियासी मैदान में उतारा है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने 2012 में 157 वोटों से पट्टी विधानसभा सीट डीतने वाले कुख्यात डकैत ददुआ के भतीजे राम सिंह पटेल पर फिर से भरोसा जताया है. पिछले कुछ चुनावों में इस सीट पर हार-जीत का मुकाबला बहुत कड़ा रहा है. तो, इस बार भी माना जा रहा है कि यहा सियासी मुकाबला बहुत करीबी हो सकता है.
अमेठी में क्या वापसी कर पाएगी कांग्रेस?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अमेठी के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सांसद स्मृति ईरानी से हारने के बाद सूबे से मुंह मोड़ लिया था. लेकिन, यूपी चुनाव 2022 के चार चरणों का चुनाव हो जाने के बाद पांचवें चरण में राहुल गांधी अमेठी में प्रचार करने उतरे थे. इससे पहले राहुल गांधी ने दिसंबर 2021 में कांग्रेस की प्रतिज्ञा रैली में अमेठी की जनता का हाल लिया था. गौरीगंज, तिलोई, जगदीशपुर और अमेठी विधानसभा सीटों वाली अमेठी में किसी जमाने में कांग्रेस का वर्चस्व हुआ करता था. लेकिन, अब कांग्रेस के सामने अपना पुराना गढ़ बचाने की चुनौती है. वैसे, इनमें से अमेठी विधानसभा सीट हॉट सीट मानी जा रही है. दरअसल, इस सीट पर पुराने दिग्गज कांग्रेसी नेता डॉ. संजय सिंह अब भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. वहीं, उनके सामने समाजवादी पार्टी ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे सपा सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को टिकट दिया है. बसपा ने रागिनी तिवारी और कांग्रेस ने आशीष शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, अमेठी की जगदीशपुर (सुरक्षित) सीट पर योगी सरकार में मंत्री सुरेश पासी भाजपा प्रत्याशी हैं. इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने विमलेश कुमारी, बसपा ने जितेंद्र कुमार और कांग्रेस ने विजय कुमार को प्रत्याशी बनाया है.
बहराइच सदर, मनकापुर और चित्रकूट में भी मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
गोंडा जिले की मनकापुर (सुरक्षित) सीट पर योगी सरकार में मंत्री रमापति शास्त्री फिर से भाजपा के प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. समाजवादी पार्टी ने यहां से रमेश चंद्र को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने श्याम नारायण और कांग्रेस ने संतोष कुमारी को टिकट दिया है. वहीं, चित्रकूट सीट पर भाजपा ने योगी सरकार के मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय पर फिर से भरोसा जताया है. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अनिल प्रधान को प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने पुष्पेंद्र सिंह और कांग्रेस ने निर्मला भारती को प्रत्याशी बनाया है. समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट कही जाने वाली बहराइच सदर विधानसभा सीट पर सपा का वर्चस्व तोड़ने वाली योगी सरकार में मंत्री रही अनुपमा जायसवाल को भाजपा ने दोबारा प्रत्याशी बनाया है. वहीं, इस सीट पर दोबारा काबिज होने के लिए समाजवादी पार्टी ने अखिलेश सरकार में मंत्री रहे यासिर शाह को प्रत्याशी बनाया है. यासिर शाह बहराइच मटेरा विधानसभा से सीट से विधायक थे. लेकिन, इस बार समाजवादी पार्टी ने मटेरा से यासिर शाह की पत्नी मारिया अली शाह को चुनावी मैदान में उतारा है.
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