आएंगे तो योगी या बाईस में बाइसिकल... बस कुछ घंटो की बात और है फैसला हो जाएगा कि भाजपा और सपा के बीच बिछी चुनावी चौपड़ में किसका डंका बजेगा. एग्जिट पोल के इतर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या रहते हैं? इसपर सिर्फ यूपी की ही नहीं पूरे देश की नजर है. अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ में से वो कौन होगा जो सत्ता की चाशनी में डूबी मलाई खाएगा इसपर जहां एक तरफ यूपी की राजनीति को समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स और सट्टा बाजार के अपने मत हैं तो वहीं गांव - शहरों में बैठा आम आदमी भी यूपी चुनावों के नतीजों पर अपनी समझ के लिहाज से कयास लगा रहा है. ये कयास कितने और किस हद तक मजेदार हैं अगर इसे समझना हो तो यूपी के बदायूं का रुख कर सकते हैं और शेर अली शाह और विजय सिंह का रुख कर सकते हैं.
यूपी में नतीजे क्या होंगे? फिक्रमंद दोनों हैं और ये उत्तर प्रदेश और उसके चुनाव नतीजों के प्रति फ़िक्र ही है कि एक बेहद दिलचस्प शर्त दोनों के बीच लगी है जिसने पूरे इंटरनेट को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. कुछ लोग जहां विजय सिंह के साथ हैं तो वहीं ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जो शेर अली शाह के हौसलों को सलाम कर रहे हैं.
Exit Polls के चौंकाने वाले आंकड़ों के मद्देनजर जारी बहस अभी थमी भी नहीं थी कि ऐसे में जो यूपी के बदायूं में हुआ है वो आश्चर्य में डालने वाला है. परिणाम अखिलेश के पक्ष में होंगे या योगी आदित्यनाथ को फायदा पहुंचाएंगे इसे लेकर चार बीघे जमीन की जोत दांव पर लग गई है. बदायूं के विजय सिंह जहां भाजपा के समर्थन में हैं तो वहीं सपा का झंडा शेर अली शाह नाम के शख्स ने बुलंद किया हुआ है.
दोनों...
आएंगे तो योगी या बाईस में बाइसिकल... बस कुछ घंटो की बात और है फैसला हो जाएगा कि भाजपा और सपा के बीच बिछी चुनावी चौपड़ में किसका डंका बजेगा. एग्जिट पोल के इतर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या रहते हैं? इसपर सिर्फ यूपी की ही नहीं पूरे देश की नजर है. अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ में से वो कौन होगा जो सत्ता की चाशनी में डूबी मलाई खाएगा इसपर जहां एक तरफ यूपी की राजनीति को समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स और सट्टा बाजार के अपने मत हैं तो वहीं गांव - शहरों में बैठा आम आदमी भी यूपी चुनावों के नतीजों पर अपनी समझ के लिहाज से कयास लगा रहा है. ये कयास कितने और किस हद तक मजेदार हैं अगर इसे समझना हो तो यूपी के बदायूं का रुख कर सकते हैं और शेर अली शाह और विजय सिंह का रुख कर सकते हैं.
यूपी में नतीजे क्या होंगे? फिक्रमंद दोनों हैं और ये उत्तर प्रदेश और उसके चुनाव नतीजों के प्रति फ़िक्र ही है कि एक बेहद दिलचस्प शर्त दोनों के बीच लगी है जिसने पूरे इंटरनेट को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. कुछ लोग जहां विजय सिंह के साथ हैं तो वहीं ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जो शेर अली शाह के हौसलों को सलाम कर रहे हैं.
Exit Polls के चौंकाने वाले आंकड़ों के मद्देनजर जारी बहस अभी थमी भी नहीं थी कि ऐसे में जो यूपी के बदायूं में हुआ है वो आश्चर्य में डालने वाला है. परिणाम अखिलेश के पक्ष में होंगे या योगी आदित्यनाथ को फायदा पहुंचाएंगे इसे लेकर चार बीघे जमीन की जोत दांव पर लग गई है. बदायूं के विजय सिंह जहां भाजपा के समर्थन में हैं तो वहीं सपा का झंडा शेर अली शाह नाम के शख्स ने बुलंद किया हुआ है.
दोनों ने पूरे गांव के सामने न केवल शर्त लगाई है बल्कि एक करारनामा भी तैयार कराया है जिसमें अंगूठे के निशान के साथ साथ गवाहों के भी नाम लिखे हुए हैं. चूंकि शेर अली और विजय सिंह का ये दिलचस्प करारनामा सोशल मीडिया पर वायरल है. ऐसे में हमारे लिए भी ये बहुत जरूरी है कि हम न केवल इसका अवलोकन करें बल्कि ये भी बताएं कि इस करारनामे में लिखा क्या है.
यूपी में भाजपा आएगी या अखिलेश यादव को यूपी अपने अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखेगा ? शेर अली और विजय सिंह का ये सवाल पंचायत की नजर में आ चुका था इसलिए जो करारनामा तैयार हुआ है उसमें साफ़ साफ़ लिखा है कि यदि बीजेपी की सरकार बनी तो शेर अली शाह अपनी चार बीघा जमीन विजय सिंह को एक साल तक खेती के लिए देंगे. वहीं, यदि सपा की सरकार बनी तो विजय सिंह को 4 बीघा जमीन एक साल के लिए शेर अली के हवाले करनी होगी.
बाद में कोई अपने बात से न पलटे इसके लिए गांव के प्रमुख लोग किशनपाल सेंगर, जय सिंह शाक्य, कन्ही लाल, राजाराम, उमेश, राजीव कुमार, सतीश कुमार सहित 12 लोग गवाह बने हैं. यानी जहां एक तरह यूपी चुनाव के परिणाम अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के लिए अहम हैं तो वहीं शेर अली और विजय सिंह के लिहाज से ये महत्वूर्ण हैं.
बहरहाल बदायूं के बिरियाडांडी गांव में अगलेड एक साल तक किसके हिस्से में चार बीघे जमीन आती हैं? इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जिस तरह ये मामला सामने आया है कहना गलत नहीं हैं कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों और उसके नतीजों को नेताओं ने ही नहीं बल्कि आम आदमी जिसमें किसान और मजदूर सब हैं, ने दिल पर ले लिया है.
जाते जाते हम इतना जरूर कहेंगे कि चाहे वो योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव की राजनीतिक जमीन हो या फिर शेर अली और विजय सिंह की खेती होगा 4 बिगाह जमीन दांव पर बहुत कुछ है लेकिन अच्छी बात ये कि सारे रहस्यों से पर्दाफाश बस अगले कुछ ही घंटों में हो जाएगा.
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