P Election Results: यूपी चुनाव, नतीजे, समाजवादी पार्टी, भाजपा सब एक तरफ आज़म खान और उनका परिवार दूसरी तरफ. भले ही यूपी चुनावों के मद्देनजर मतगणना चल रही हो और जल्द ही नतीजे घोषित होने हों लेकिन जिन सीटों पर यूपी समेत पूरे देश की नजर है वो रामपुर और स्वार की सीट है. जहां आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान दोनों ही अपनी-अपनी सीट पर आगे चल रहे हैं. बात आगे बढ़ाने से पहले हमें इस बात को जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि आजम खान सीतापुर की जेल में हैं और वहीं से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बात स्वार से चुनावी रण में उतरे आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की हो तो वो भी अभी जल्द ही जमानत पर बाहर आए हैं. मतगणना में जैसे रुझान दिखाई पड़ रहे हैं, चाहे वो आज़म खान हों या अब्दुल्ला आजम खान दोनों की एकतरफा जीत का गवाह उत्तर प्रदेश बन रहा है. जैसी बढ़त है साफ़ पता चल रहा है कि वर्चस्व तो है ही लेकिन अगर पिता पुत्र को जनता का प्यार वोटों के रूप में मिला है तो उसकी एक बड़ी वजह 'सिम्पैथी' है जिसे किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता.
आगे तमाम पहुलओं पर चर्चा होगी लेकिन उससे पहले हमारे लिए ये जान लेना भी जरूरी है कि चाहे वो रामपुर विधानसभा सीट हो या फिर स्वार दोनों ही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं. जहां मुस्लिम आबादी 34.5 से 50 प्रतिशत के बीच है. वहीं यहां ब्राह्मण और वैश्य समुदाय भी चुनावों को खासा प्रभावित करते हैं. जिक्र जब जातियों का हुआ है तो यहां जाटों और दलितों का भी खासा प्रभाव है और माना यही जाता है कि चाहे वो दल हों या नेता जीत हार में इनकी अहम भूमिका है.
जिक्र जेल में बंद आजम खान और रामपुर सीट का हुआ है तो बताते चलें कि जैसे रुझान मतगणना में आए हैं...
P Election Results: यूपी चुनाव, नतीजे, समाजवादी पार्टी, भाजपा सब एक तरफ आज़म खान और उनका परिवार दूसरी तरफ. भले ही यूपी चुनावों के मद्देनजर मतगणना चल रही हो और जल्द ही नतीजे घोषित होने हों लेकिन जिन सीटों पर यूपी समेत पूरे देश की नजर है वो रामपुर और स्वार की सीट है. जहां आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान दोनों ही अपनी-अपनी सीट पर आगे चल रहे हैं. बात आगे बढ़ाने से पहले हमें इस बात को जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि आजम खान सीतापुर की जेल में हैं और वहीं से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बात स्वार से चुनावी रण में उतरे आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की हो तो वो भी अभी जल्द ही जमानत पर बाहर आए हैं. मतगणना में जैसे रुझान दिखाई पड़ रहे हैं, चाहे वो आज़म खान हों या अब्दुल्ला आजम खान दोनों की एकतरफा जीत का गवाह उत्तर प्रदेश बन रहा है. जैसी बढ़त है साफ़ पता चल रहा है कि वर्चस्व तो है ही लेकिन अगर पिता पुत्र को जनता का प्यार वोटों के रूप में मिला है तो उसकी एक बड़ी वजह 'सिम्पैथी' है जिसे किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता.
आगे तमाम पहुलओं पर चर्चा होगी लेकिन उससे पहले हमारे लिए ये जान लेना भी जरूरी है कि चाहे वो रामपुर विधानसभा सीट हो या फिर स्वार दोनों ही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं. जहां मुस्लिम आबादी 34.5 से 50 प्रतिशत के बीच है. वहीं यहां ब्राह्मण और वैश्य समुदाय भी चुनावों को खासा प्रभावित करते हैं. जिक्र जब जातियों का हुआ है तो यहां जाटों और दलितों का भी खासा प्रभाव है और माना यही जाता है कि चाहे वो दल हों या नेता जीत हार में इनकी अहम भूमिका है.
जिक्र जेल में बंद आजम खान और रामपुर सीट का हुआ है तो बताते चलें कि जैसे रुझान मतगणना में आए हैं आजम खान, बढ़त बनाए हुए हैं. इस लेख को लिखे जाने तक रामपुर में आजम खान को 84.9 प्रतिशत की हिसाब से वोट मिले हैं जिनकी संख्या 41608 हैं. रामपुर में आजम का मुकाबला भाजपा के आकाश सक्सेना से है जिन्होंने 10.27 प्रतिशत की दर से 5035 वोट हासिल किये हैं.
वहीं मैदान में कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान हैं जिन्हें 2.68 प्रतिशत की हिसाब से 1315 वोट मिले हैं. बात रामपुर से बसपा और पार्टी की हो तो यहां से बसपा ने सदाकत हुसैन और आम आदमी पार्टी ने फैसल खान पर दांव लगाया है. माना यही जा रहा है कि एक बार फिर आजम रामपुर में इतिहास रचेंगे.
रामपुर के बाद यहां की एक अन्य सीट स्वार को भी खान परिवार के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा था. स्वार में आजम के पुत्र अब्दुल्लाह आजम के मुकाबले में एनडीए में भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने हैदर अली खान उर्फ़ हम्ज़ा मियां को टिकट दिया है.
स्वार में अब्दुल्लाह के मुकाबले में बसपा के अध्यापक शंकर लाल और कांग्रेस के राजा ठाकुर भी हैं. बात वोटों की हो तो स्वार में अब्दुल्लाह आजम ने 60.4 प्रतिशत वोटों पर कब्ज़ा कर 39163 वोट हासिल किये हैं. वहीं अपना दल (एस) के हम्जा मियां को 31.87 वोटिंग पर्सेंटेज के साथ 20666 वोटों पर कब्ज़ा किया है.
चाहे वो आजम खान हों या फिर अब्दुल्लाह आजम 2022 का ये यूपी विधानसभा चुनाव दोनों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि जहां एक तरफ मान और प्रतिष्ठा मुद्दा थी तो वहीं दूसरी तरफ कई मौकों पर खान परिवार द्वारा इस बात को दोहराया गया था कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा द्वारा उनके साथ बदले की राजनीति की जा रही है.
बहरहाल अब जबकि स्वार और रामपुर दोनों के नतीजे हमारे सामने हैं ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इन्हें देखकर आज़म खान और अब्दुल्लाह आज़म को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी और शायद इस बात का एहसास हुआ होगा कि भाजपा और योगी कुछ भी कह लें लेकिन जनता और उसका पूरा समर्थन उनके साथ है.
चूंकि आजम खान का शुमार समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में रहा है और जैसा कि ज्ञात है वो जेल में हैं. ये चुनाव उनके लिए इसलिए भी जरूरी था क्योंकि इसी के बाद रामपुर के लिहाज से उनकी दशा और दिशा निर्धारित होगी. वहीं बात अगर अब्दुल्लाह की हो तो उन्हें अपने पिता की बदौलत अच्छा स्टार्ट मिला था जिसकी तस्दीख 22 के नतीजों ने कर दी है.
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