भोलेपन की पराकाष्ठा क्या हो सकती है? यदि इसे समझना हो तो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर का रुख करना चाहिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चलते आए रोज चर्चा में रहने वाला उत्तर प्रदेश एक बार फिर सुर्खियों में है. यूपी के इस बार चर्चा में आने की वजह बना है हमीरपुर के मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र का टॉयलेट. टॉयलेट भगवा रंग में रंगा है. भगवा रंग देखकर यहां से गुजरने वाले लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं और रुककर टॉयलेट को प्रणाम कर लेते हैं. स्थानीय लोगों कि मानें तो यहां वास करने वाली आबादी का एक बड़ा हिस्सा अशिक्षित है जिसके कारण ये भारी भूल हो जाती है और लोग टॉयलेट को कोई प्रमुख धार्मिक स्थल समझकर उसके आगे नतमस्तक हो जाते हैं.
बताया जा रहा है कि हमीरपुर के मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र में टॉयलेट को प्रणाम करने का कल्चर अब आम हो गया है. टॉयलेट को क्यों प्रणाम किया जा रहा है? इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ भारी भीड़ और चहल पहल को माना जा रहा है. तो वहीं दूसरों की देखा देखी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो टॉयलेट को प्रणाम करने की क्रिया दोहरा रहे हैं. ध्यान रहे कि पीएम मोदी ने साफ सफाई के मद्देनजर देश भर में शौचालय बनाने का अभियान छेड़ा है. इसी के तहत मौदहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर भी शौचालय बनाया गया है.
क्या है मामला
साफ सफाई की दृष्टि से देश के अन्य स्थानों की ही तरह मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में शौचालय का निर्माण कराया गया है. बताया जा रहा है कि सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र के मेन गेट पर भगवा रंग से रंगा ये शौचालय जिस दिन से बना है, लोगों की एक बड़ी संख्या का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. वर्तमान समय...
भोलेपन की पराकाष्ठा क्या हो सकती है? यदि इसे समझना हो तो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर का रुख करना चाहिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चलते आए रोज चर्चा में रहने वाला उत्तर प्रदेश एक बार फिर सुर्खियों में है. यूपी के इस बार चर्चा में आने की वजह बना है हमीरपुर के मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र का टॉयलेट. टॉयलेट भगवा रंग में रंगा है. भगवा रंग देखकर यहां से गुजरने वाले लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं और रुककर टॉयलेट को प्रणाम कर लेते हैं. स्थानीय लोगों कि मानें तो यहां वास करने वाली आबादी का एक बड़ा हिस्सा अशिक्षित है जिसके कारण ये भारी भूल हो जाती है और लोग टॉयलेट को कोई प्रमुख धार्मिक स्थल समझकर उसके आगे नतमस्तक हो जाते हैं.
बताया जा रहा है कि हमीरपुर के मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र में टॉयलेट को प्रणाम करने का कल्चर अब आम हो गया है. टॉयलेट को क्यों प्रणाम किया जा रहा है? इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ भारी भीड़ और चहल पहल को माना जा रहा है. तो वहीं दूसरों की देखा देखी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो टॉयलेट को प्रणाम करने की क्रिया दोहरा रहे हैं. ध्यान रहे कि पीएम मोदी ने साफ सफाई के मद्देनजर देश भर में शौचालय बनाने का अभियान छेड़ा है. इसी के तहत मौदहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर भी शौचालय बनाया गया है.
क्या है मामला
साफ सफाई की दृष्टि से देश के अन्य स्थानों की ही तरह मौदहा स्थित सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में शौचालय का निर्माण कराया गया है. बताया जा रहा है कि सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र के मेन गेट पर भगवा रंग से रंगा ये शौचालय जिस दिन से बना है, लोगों की एक बड़ी संख्या का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. वर्तमान समय में हालत ये है कि जो भी यहां से गुजरता है यहां पर कुछ देर ठहरकर इसे प्रणाम करता है. शुरू-शुरू में लोगों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया. मगर जब अलग-अलग लोगों द्वारा ये प्रक्रिया दिन में कई बार दोहराई जाने लगी तो इसने आस पास के लोगों का ध्यान खींचा.
लोगों ने जब इस तरफ ध्यान दिया तो मिला कि भगवा रंग में रंगे होने के कारण शौचालय किसी धर्मिक स्थल सा प्रतीत होता है जिसके आगे लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार नतमस्तक होते हैं और प्रणाम करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा होने से अब ये स्थान मजाक का पर्याय बन गया है.
शौचालय भगवा कराकर नंबर बढ़ाना था ठेकेदार का उद्देश्य
यूपी के मुख्यमंत्री का भगवा प्रेम किसी से छुपा नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि शासन के आला अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान आकर्षित करने के लिए ठेकेदार द्वारा ये हरकत जानबूझ कर की गयी है. ज्ञात हो कि इस शौचालय का उद्घाटन स्वयं तत्कालीन उपजिलाधिकारी अजीत परेश और नगर पालिकाध्यक्ष रामकिशोर ने किया था. मगर उन्होंने भी इस शौचालय के रंग पर ध्यान नहीं दिया. स्थानीय लोगों के अनुसार ठेकेदार ने शासन तक अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में इस टॉयलेट को भगवा रंग में रंगवाया है.
श्रद्धा के चलते लोग झुकाते हैं सिर
चूंकि इस सीएचसी में आने वाले मरीजों की एक बड़ी संख्या निरक्षर है. अतः आस्था और श्रद्धा के कारणवश वो इसे कोई धार्मिक स्थल समझ लेती है और इसके आगे सिर झुका देती है. अब क्योंकि ये रोज की बात हो गयी है. तो स्थानीय लोगों द्वारा भी आगंतुकों को उनके द्वारा की जा रही भूल का एहसास कराया जाता है. जब उन्हें मालूम पड़ता है कि ये धार्मिक स्थल नहीं शौचालय है तो उन्हें काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौदहा के अधीक्षक ने इस शौचालय के निर्माण और इसपर पुते रंग का सारा ठीकरा जिला प्रशासन पर फोड़ते हुए कहा है कि शौचालय का निर्माण नगर पालिका द्वारा कराया गया है. जब नगरपालिका से इस शौचालय और इसके रंग के बारे में पूछा गया तो उनके होश फाख्ता हो गए और उन्होंने ये कहकर मामले से पल्ला झड़ने का प्रयास किया कि इसकी जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया गया उसपर जरूरी एक्शन लिया जाएगा.
खैर ये कोई पहले बार नहीं है कि हमने भगवा रंग में रंगे शौचालय के बारे में सुना हो. इससे पहले हम उत्तर प्रदेश के इटावा में भगवा रंग में रंगे टॉयलेट देख चुके हैं. बहरहाल हमीरपुर में जाने अनजाने एक बड़ी चूक हो गई है. ऐसे में हम बस इतना ही कहेंगे कि भले ही यूपी के मुख्यमंत्री को भगवा रंग पसंद हो. भले ही वो चुन चुनकर यूपी में सरकारी इमारतों से लेकर यातायात के साधनों को भगवा रंग में रंगवा रहे हों.
भले ही भगवा उनकी सम्पूर्ण राजनीति का केंद्र हो मगर उन्हें ये बात भली प्रकार समझनी होगी कि इस तरह भगवा रंग का संरक्षण, उसका कल्याण नहीं बल्कि अपमान हो रहा है. भगवा एक पवित्र रंग है, जिससे हमारी आस्था जुड़ी है. मगर जिस तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इसे अधिकारियों के अलावा आम लोगों पर थोपा जा रहा है. साफ बता रहा है कि, अब अति हो गयी है.
ध्यान रहे जब अति होती है तो आदमी अपनी बुद्धि, अपना विवेक खो देता है और वो कर देता है जो हमरीपुर के मौदहा के लोगों ने किया. आदमी शौचालय को भी धार्मिक स्थल समझ लेता है और उसके आगे सिर झुका के नतमस्तक हो जाता है.
ये भी पढ़ें -
भाजपा की कामयाबी में पलीता लगाते पार्टी के नेता...
'भगवा मेरा फेवरेट है, लेकिन सिर्फ मंदिर की ध्वजा में'
भगवा में क्या रखा है साहब? PSRTC का रंग नहीं, ढंग बदलिए
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.