यूपी चुनाव में बंपर सीटें लाने के बाद बीजेपी में सीएम की कुर्सी का वारिस चुनने की माथा-पच्ची शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में भारत सरकार में गृहमंत्री और कद्दावर नेता राजनाथ सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए नाम सबसे आगे है. लेकिन राजनाथ को सीएम पद के लिए नहीं जाना चाहिए. जानें क्यों-
1. मेरा मत है कि P के मुख्यमंत्री के चुनाव में अगर BJP विधायक दल या आलाकमान राजनाथ सिंह के नाम पर आम सहमति कर भी दे तो उन्हें उस पद को लेने से इनकार कर देना चाहिए. उन्हें वो गलती नहीं करनी चाहिए जो कभी राजगोपालाचारी ने की थी.
2. राजाजी भारत के गवर्नर-जनरल रहे थे जो उस समय सर्वोच्च पद था. लेकिन बाद में उन्होंने मद्रास का मुख्यमंत्रित्व और बंगाल की गर्वनरी स्वीकार कर ली! कायदे से उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. सार्वजनिक जीवन में, भारत के संदर्भ में लोग इसे ठीक नहीं मानते. भले ही आप कहें कि ये सामंती मनोदशा है या कोई काम छोटा नहीं होता- लेकिन यहां तो काम करनेवालों की बहुतायत है.
4. भारत के गृहमंत्री को सरकार में नंबर दो माना जाता है जिसके जिम्मे आंतरिक सुरक्षा से लेकर कई कार्य होते हैं. राज्यपालों की नियुक्ति में उसकी अहम भूमिका होती है और कायदे से उसे अपने ही द्वारा नियुक्त राज्यपाल के अधीन काम नहीं करना चाहिए. ये नैतिक बात है. राजनाथ सिंह को इन बातों का ख्याल रखना...
यूपी चुनाव में बंपर सीटें लाने के बाद बीजेपी में सीएम की कुर्सी का वारिस चुनने की माथा-पच्ची शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में भारत सरकार में गृहमंत्री और कद्दावर नेता राजनाथ सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए नाम सबसे आगे है. लेकिन राजनाथ को सीएम पद के लिए नहीं जाना चाहिए. जानें क्यों-
1. मेरा मत है कि P के मुख्यमंत्री के चुनाव में अगर BJP विधायक दल या आलाकमान राजनाथ सिंह के नाम पर आम सहमति कर भी दे तो उन्हें उस पद को लेने से इनकार कर देना चाहिए. उन्हें वो गलती नहीं करनी चाहिए जो कभी राजगोपालाचारी ने की थी.
2. राजाजी भारत के गवर्नर-जनरल रहे थे जो उस समय सर्वोच्च पद था. लेकिन बाद में उन्होंने मद्रास का मुख्यमंत्रित्व और बंगाल की गर्वनरी स्वीकार कर ली! कायदे से उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. सार्वजनिक जीवन में, भारत के संदर्भ में लोग इसे ठीक नहीं मानते. भले ही आप कहें कि ये सामंती मनोदशा है या कोई काम छोटा नहीं होता- लेकिन यहां तो काम करनेवालों की बहुतायत है.
4. भारत के गृहमंत्री को सरकार में नंबर दो माना जाता है जिसके जिम्मे आंतरिक सुरक्षा से लेकर कई कार्य होते हैं. राज्यपालों की नियुक्ति में उसकी अहम भूमिका होती है और कायदे से उसे अपने ही द्वारा नियुक्त राज्यपाल के अधीन काम नहीं करना चाहिए. ये नैतिक बात है. राजनाथ सिंह को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
5. भारत सरकार में अन्य मंत्री बहुधा केंद्र से राज्य में जाते रहे हैं. फिलहाल तो मनोहर पर्रिकर ही गोआ जा रहे हैं. लेकिन रक्षा या अन्य मंत्रालय प्रोटोकॉल के हिसाब से उस दर्जे के नहीं जैसा गृह-मंत्रालय है. गृह मंत्रालय राज्यों से सीधे रिपोर्ट मांगता है, उसे एडवाजरी जारी करता है और राज्यपालों की नियुक्ति करता है.
6. कुछ लोगों का तर्क है कि यूपी को चलाना किसी नौसिखुआ नेता के वश की बात नहीं. हो सकता है कि राजनाथ सिंह का अनुभव बीजेपी के लिए जरूरी हो, लेकिन राजनीति दुस्साहस और नए प्रयोग का भी तो नाम है. बीजेपी आलाकमान को चाहिए कि यूपी में किसी नौजवान को ये मौका दे जिसकी उम्र 60 साल के कम हो.
ये भी पढ़ें-
जानिए, कौन बनेगा यूपी में बीजेपी का मुख्यमंत्री और क्यों...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.