बीते दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव 2022 में पार्टी की ओर से उनके मुख्यमंत्री का चेहरा होने की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया. प्रियंका गांधी ने ये जरूर कहा कि 'वह यूपी चुनाव 2022 के सियासी रण में उतर सकती हैं. लेकिन, सीएम का चेहरा वह नहीं होंगी.' वैसे, तीन दशकों से भी ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस के लिए ये चुनावी वैतरणी पार करना भी खासा मुश्किल नजर आ रहा है. हालांकि, संभावनाएं जताई जा रही हैं कि कांग्रेस के विधायकों की संख्या में कुछ इजाफा हो सकता है. लेकिन, ये इजाफा राज्य में सत्ता के 'जादुई आंकड़े' के लिए पर्याप्त नही है. तो, प्रियंका गांधी की ओर से अपना सम्मान दांव पर लगाया जाना पहले से ही मुश्किल नजर आ रहा था.
वैसे, बीते दिनों यूपी चुनाव 2022 के लिए भाजपा की ओर से जारी की गई स्टार प्रचारकों की लिस्ट से पीलीभीत सांसद वरुण गांधी को बाहर रखा गया है. इस लिस्ट से वरुण गांधी की मां और सुल्तानपुर से भाजपा सांसद मेनका गांधी का भी नाम नदारद है. एक समय तक भाजपा के महासचिव और स्टार प्रचारक कहे जाने वाले वरुण गांधी इन दिनों पार्टी में पूरी तरह से दरकिनार कर दिए गए लगते हैं. माना जा रहा है कि लंबे समय से केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे वरुण गांधी को राजनीतिक रूप से हाशिये पर डाल दिया गया है. कुछ दिनों पहले ही वरुण गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में बेरोजगारी को लेकर एक लेख में इसे राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बनाए जाने की वकालत की थी.
यूपी चुनाव से पहले जारी दलबदल को देखते हुए भाजपा सांसद वरुण गांधी को लेकर भी कई अटकलें लगाई जाने लगी हैं. दरअसल, बेरोजगारी से लेकर...
बीते दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव 2022 में पार्टी की ओर से उनके मुख्यमंत्री का चेहरा होने की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया. प्रियंका गांधी ने ये जरूर कहा कि 'वह यूपी चुनाव 2022 के सियासी रण में उतर सकती हैं. लेकिन, सीएम का चेहरा वह नहीं होंगी.' वैसे, तीन दशकों से भी ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस के लिए ये चुनावी वैतरणी पार करना भी खासा मुश्किल नजर आ रहा है. हालांकि, संभावनाएं जताई जा रही हैं कि कांग्रेस के विधायकों की संख्या में कुछ इजाफा हो सकता है. लेकिन, ये इजाफा राज्य में सत्ता के 'जादुई आंकड़े' के लिए पर्याप्त नही है. तो, प्रियंका गांधी की ओर से अपना सम्मान दांव पर लगाया जाना पहले से ही मुश्किल नजर आ रहा था.
वैसे, बीते दिनों यूपी चुनाव 2022 के लिए भाजपा की ओर से जारी की गई स्टार प्रचारकों की लिस्ट से पीलीभीत सांसद वरुण गांधी को बाहर रखा गया है. इस लिस्ट से वरुण गांधी की मां और सुल्तानपुर से भाजपा सांसद मेनका गांधी का भी नाम नदारद है. एक समय तक भाजपा के महासचिव और स्टार प्रचारक कहे जाने वाले वरुण गांधी इन दिनों पार्टी में पूरी तरह से दरकिनार कर दिए गए लगते हैं. माना जा रहा है कि लंबे समय से केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे वरुण गांधी को राजनीतिक रूप से हाशिये पर डाल दिया गया है. कुछ दिनों पहले ही वरुण गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में बेरोजगारी को लेकर एक लेख में इसे राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बनाए जाने की वकालत की थी.
यूपी चुनाव से पहले जारी दलबदल को देखते हुए भाजपा सांसद वरुण गांधी को लेकर भी कई अटकलें लगाई जाने लगी हैं. दरअसल, बेरोजगारी से लेकर उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्यों की सबसे कम वृद्धि तक तकरीबन हर मुद्दे पर वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखरता से सवाल उठाए हैं. 'देश बिक रहा है' जैसे बयान देने वाले वरुण गांधी ने इन सबके बीच दैनिक जागरण को दिए अपने एक इंटरव्यू में पाला बदलने के सवाल पर कहा है कि 'इस सवाल का कोई औचित्य नही है. मैं तो हमेशा से जनता के पाले में हूं.' इसी इंटरव्यू में उन्होंने ये भी कहा कि 'जो लोगों की बात करते हैं, उनके हक में काम करते हैं, वो सियासी दल सही हैं.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो वरुण गांधी का भाजपा से मोहभंग साफ नजर आता है. लेकिन, यहां सवाल ये है कि वरुण गांधी के इशारे को समझते हुए क्या प्रियंका गांधी कोई पहल करेंगी?
प्रियंका का 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हो सकते हैं वरुण गांधी
यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी के हाथ में ही कांग्रेस की कमान है. 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के चुनावी कैंपेन से लेकर 40 फीसदी महिलाओं को कांग्रेस प्रत्याशी बनाने का दांव प्रियंका गांधी की सियासत को लेकर समझ को साफ जाहिर करता है. आधी आबादी यानी महिलाओं को लेकर केंद्रित घोषणा पत्र और शोषित वर्ग की महिलाओं को टिकट देकर प्रियंका ने अपने सियासी दांव को मजबूती से सबके सामने रखा है. हालांकि, यूपी चुनाव 2022 में कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है. लेकिन, अगर प्रियंका गांधी की ओर से वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल किए जाने को लेकर कोई प्रयास किए जाते हैं. तो, ये कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगा. हालांकि, इसके लिए गिले-शिकवों की लंबी फेहरिस्त से गुजरना होगा. लेकिन, राजनीति और क्रिकेट में अनिश्चितताओं की भरमार है. यूपी चुनाव 2022 की तारीखों से एक दिन पहले तक सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार की बड़ाई करते नजर आ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य समेत दलबदल करने वाले सारे नेता यूं ही समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं हुए थे.
वैसे, जिस तरह का माहौल यूपी चुनाव 2022 को लेकर तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा बताया जा रहा है. उसे देखते हुए कांग्रेस की ओर से वरुण गांधी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे के लिए सबसे मुफीद नेता कहे जा सकते हैं. भाजपा में रहते हुए भी वरुण गांधी ने किसान आंदोलन, कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट, बेरोजगारी, महंगाई जैसे तमाम मुद्दों के जरिये केंद्र और राज्य की सरकारों पर हमलावर रहे हैं. प्रियंका गांधी खुद भी इन मुद्दों पर लंबे समय से योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा को घेरती रही हैं. अगर विपक्षी दलों की राजनीतिक दूरदृष्टि पर विश्वास किया जाए, तो इस बार भाजपा के हाथ से सत्ता की पतवार छिनने वाली है. इस स्थिति में वो वर्ग जो भाजपा से नाराज है और समाजवादी पार्टी, बसपा का कार्यकाल भी पहले देख चुका है. उसको कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करने के लिए वरुण गांधी जैसा चेहरा प्रियंका को आसानी से नहीं मिलेगा. अगर प्रियंका गांधी की ओर से वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर कोई पहल की जाती है, तो ये पार्टी का 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हो सकता है.
वरुण गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा क्या है?
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक नाम वरुण गांधी का भी था. उस दौरान हिंदू युवा वाहिनी की तर्ज पर ही वरुण गांधी के नाम से भी एक यूथ ब्रिगेड काफी चर्चा में रही थी. हालांकि, भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया था. इसके बाद से ही वरुण गांधी की मुखरता भाजपा के खिलाफ कई बार सामने आ चुकी थी. हालात ऐसे बने थे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से पार्टी का टिकट मिलना मुश्किल हो गया था. लेकिन, मेनका गांधी ने संघ परिवार से जुड़े लोगों से बातचीत कर सीटों की अदला-बदली पर टिकट फाइनल करा लिया था. भाजपा में रहते हुए वरुण गांधी किसी भी हाल में उत्तर प्रदेश के मुखिया बनने की चाहत नहीं पाल सकते हैं. साथ ही ये भी बहुत मुश्किल है कि उन्हें केंद्र सरकार में कोई बड़ा मंत्रालय या जिम्मेदारी दी जाए. इस स्थिति में अगर वरुण गांधी दलबदल की सोचते भी हैं, तो उनके लिए सबसे मुफीद कांग्रेस ही कही जा सकती है.
क्योंकि, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के अलावा दूसरा कोई भी नेता यूपी चुनाव 2022 में खुद को सीएम के रूप में नहीं देख सकता है. दलित राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती के दल में भी वरुण गांधी को कोई खास तवज्जो नहीं मिलेगी. भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ वह खुद ही मुखरता के साथ झंडा बुलंद किए हुए हैं. इस स्थिति में उनके लिए केवल एक ही सियासी दल बचता है और, वो है कांग्रेस. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी भले ही एक्टिव नजर आ रही हों. लेकिन, वह एक राज्य में फंसना नहीं चाहेंगी. जैसा कि कांग्रेस नेता कह ही चुके हैं कि प्रियंका गांधी एक राष्ट्रीय नेता है. वहीं, इन सबसे इतर वरुण गांधी के पास अपने चेहरे के दम पर तमाम दलों को झटका देने की कुव्वत है ही. यूपी चुनाव 2022 से पहले अगर प्रियंका गांधी इस मामले में कोई पहल करती हैं, जैसी उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर की थी. तो, बहुत हद तक संभावना है कि यूपी चुनाव में मृतप्राय नजर आ रही कांग्रेस फिर से जी उठे.
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