नाथूराम गोडसे के लेकर भारत में लोगों की अलग-अलग विचारधारा रही है. किसी ने उसे अच्छा कहा तो किसी ने बुरा. लेकिन वो सच्चाई कभी नहीं बदल सकती कि वो महात्मा गांधी का हत्यारा था. नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा से होती आई है. और इसी बहस में किसी ने उसे आतंकवादी कहा, हिंदू आतंकवाद से जोड़ा, वहीं कुछ लोगों ने गांधी की हत्या को वध कहा, और नाथूराम गोडसे को महापुरुष.
फिलहाल लोकसभा चुनाव 2019 में नाथूराम गोडसे का मामला कई बार उठा. पहले वर्धा में रैली को संबोधित करते हुए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता' तब नाथूराम गोडसे का नाम लेकर उनकी खूब आलोचना की गई थी. चुनाव प्रचार के ही दौरान अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने कहा कि- आजाद भारत का पहला आतंकवादी एक हिंदू था और उसका नाम था नाथूराम गोडसे. अब उनको जवाब देते हुए भोपाल से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को 'देशभक्त' कह दिया. और तभी से नाथूराम को लेकर फिर से बहस की स्थिति बन गई.
साध्वी प्रज्ञा की इस बात का समर्थन केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने भी किया. उन्होंने कहा कि, 'अब माफी मांगने का नहीं, अड़े रहने का वक्त है. अभी नहीं तो कब?' कर्नाटक बीजेपी के सांसद नलिन कुमार कटील ने भी प्रज्ञा का समर्थन करते हुए गोडसे की तुलना राजीव गांधी से कर दी. नलिन ने कहा, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को मारा, राजीव गांधी ने 17 हजार को मारा.'
लेकिन भाजपा ने इन तीनों के विवादित बयानों पर भाजपा से...
नाथूराम गोडसे के लेकर भारत में लोगों की अलग-अलग विचारधारा रही है. किसी ने उसे अच्छा कहा तो किसी ने बुरा. लेकिन वो सच्चाई कभी नहीं बदल सकती कि वो महात्मा गांधी का हत्यारा था. नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा से होती आई है. और इसी बहस में किसी ने उसे आतंकवादी कहा, हिंदू आतंकवाद से जोड़ा, वहीं कुछ लोगों ने गांधी की हत्या को वध कहा, और नाथूराम गोडसे को महापुरुष.
फिलहाल लोकसभा चुनाव 2019 में नाथूराम गोडसे का मामला कई बार उठा. पहले वर्धा में रैली को संबोधित करते हुए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता' तब नाथूराम गोडसे का नाम लेकर उनकी खूब आलोचना की गई थी. चुनाव प्रचार के ही दौरान अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने कहा कि- आजाद भारत का पहला आतंकवादी एक हिंदू था और उसका नाम था नाथूराम गोडसे. अब उनको जवाब देते हुए भोपाल से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को 'देशभक्त' कह दिया. और तभी से नाथूराम को लेकर फिर से बहस की स्थिति बन गई.
साध्वी प्रज्ञा की इस बात का समर्थन केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने भी किया. उन्होंने कहा कि, 'अब माफी मांगने का नहीं, अड़े रहने का वक्त है. अभी नहीं तो कब?' कर्नाटक बीजेपी के सांसद नलिन कुमार कटील ने भी प्रज्ञा का समर्थन करते हुए गोडसे की तुलना राजीव गांधी से कर दी. नलिन ने कहा, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को मारा, राजीव गांधी ने 17 हजार को मारा.'
लेकिन भाजपा ने इन तीनों के विवादित बयानों पर भाजपा से परे बताया. इसके लिए माफी मांगने को भी कहा. प्रज्ञा ठाकुर ने ट्विटर पर माफी मांग ली है. हेगड़े ने कहा कि उनका ट्विटर अकाउंड हैक हो गया था. लेकिन अमित शाह ने नाथूराम गोडसे पर अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि भाजपा का इससे कोई संबंध नहीं है.
नाथूराम गोडसे को लेकर बीजेपी को हमेशा से ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. जबकि नाथूराम पर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कट्टर हिंदू संगठनों की अपनी अलग-अलग विचारधारा है. लेकिन कोई भी हिंदू संगठन अगर गोडसे का महिमामंडन करता है तो आरोप भाजपा पर लगता है.
नाथूराम गोडसे पर भाजपा, RSS और हिंदू संगठन की विचारधारा
नाथूराम गोडसे और हिंदू संगठन
सबसे पहले जानते हैं कि नाथूराम को लेकर हिंदू संगठन किस तरह से सोचते हैं. नाथूराम एक कट्टर हिन्दू समर्थक थे और इसलिए हिंदू महासभा नाथूराम गोडसे की बरसी को 'बलिदान दिवस' के रूप में मनाती है. 2015 में इन्होंने गोडसे के जीवन को समर्पित एक वेबसाइट भी शुरु की. गोडसे के आदर्शों पर किताब भी जारी की. ग्वालियर में तो हिंदू महासभा ने नाथूराम गोडसे का मंदिर तक बनवा दिया था. वहीं इसी साल बापू के 71वें बलिदान दिवस पर हिंदू महासभा ने बापू की हत्या को फिर से चित्रित किया था. गांधी जी के पुतले पर गोली चलाई गई थी और गोडसे का महिमामंडन किया था.
नाथूराम गोडसे और आरएसएस
पर ये भी सत्य है कि नाथूराम गोडसे आरएसएस से जुड़े हुए थे. और इसीलिए आरएसएस भी हमेशा इस मामले में आरोप सहती आई है. 2014 में राहुल गांधी ने तो ये भी कहा था कि आरएसएस ने महात्मा गांधी की हत्या की. जिसपर एक आरएसएस सदस्य ने उनपर मानहानी का मुकदमा भी किया था. लेकिन नाथूराम गोडसे के महिमामंडन पर RSS के वरिष्ठ विचारक एम जी वैद्य ने RSS की विचारधारा साफ कर दी थी. उन्होंने गेडसे को महात्मा गांधी का 'हत्यारा' कहा था. उन्होंने कहा था कि- गोडसे को ‘गौरवान्वित’ करने की किसी भी तरह की कोशिश को सही नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन साथ में ये भी कहा कि, 'गांधी ने अपने जीवनकाल में आजादी को लेकर जागरूकता फैलाई है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि ‘हम उनकी सभी नीतियों से सहमत होंगे.’ उन्होंने ये भी कहा कि- कुछ लोग कहते हैं कि गोडसे को महिमा मंडित करने से हिन्दुत्व का गौरव बढ़ेगा बल्कि इससे धर्म का नाम खराब होगा. उन्होंने यह भी माना कि गांधी की हत्या से हिन्दुत्व पर उलटा असर पड़ा है.
नाथूराम गोडसे और भाजपा
नाथूराम गोडसे पर भाजपा की विचारधारा आरएसएस से मिलती है. वो भी नाथूराम को गांधी जी का हत्यारा ही कहती है. लेकिन वो नाथूराम के देशभक्त कहने के भी बिलकुल खिलाफ है. भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है इसलिए भाजपा में शामिल होने वाले लोग अलग अलग पार्टी और विचारधारा से आते हैं. यहां आरएसएस से भी जुड़े लोग हैं और हिंदू महासभा और विश्व हिंदू परिषद से भी, और कई ऐसे भी हैं जो किसी से संबंधित नहीं. इसीलिए नाथूराम गोडसे को लेकर सबकी अपनी अपनी सोच रही है. और जब भी गोडसे को लेकर कोई बात आती है तो साध्वी प्रज्ञा जैसे लोग गोडसे का महिमामंडन करने से नहीं चूकते, जिसका खामियाजा हमेशा भाजपा को उठाना पड़ता है.
विवादित बयान देने वाले इन तीनों लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करके अमित शाह ने एक बार फिर भाजपा की विचारधारा को साबित किया है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी साध्वी प्रज्ञा के इस विवादित बयान पर काफी आहत हुए हैं. उन्होंने कहा है कि वो साध्वी को महात्मा गांधी के अपमान के लिए कभी माफ नहीं कर पाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी की इस बात से गोडसे पर उनकी विचारधारा भी साफ होती है.
यहां ये बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि यदि इस बार इन चुनावों में साध्वी प्रज्ञा जीत जाती हैं तो ये जरा भी न समझा जाए कि नाथूराम गोडसे को लेकर उनकी सोच को समर्थन मिला है. बीजेपी ने कभी महात्मा गांधी का अपमान नहीं किया और न ही कभी नाथूराम गोडसे को भगवान बना देने वालों का समर्थन. अलग-अलग विचारधारा की वजह से नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा होती ही रहेगी. और एक सत्य हमेशा अटल रहेगा कि गोडसे महात्मा गांधी का हत्यारा था.
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