पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. भले ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा हो लेकिन सही मायनों में लड़ाई कांग्रेस वर्सेज कांग्रेस ही है. पंजाब के चुनावी रण में एक तरफ वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी हैं तो वहीं दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू हैं. जैसी दोनों की कोशिशें हैं कभी कोई उन्नीस साबित होता है कभी बीस. बात बीते दिनों ही है नावजूत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो डाला था. वीडियो को पटियाला का बताया जा रहा है. सिद्धू ने रोड एक्सीडेंट में घायल हुए एक रेहड़ी वाले की मदद की थी. सिद्धू समर्थकों ने सिद्धू के इस अंदाज को हाथों हाथ लिया और उनकी जमकर तारीफ की. घटना का जिक्र आज लगभग 20 दिन बाद क्यों हो रहा है वजह है राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जिन्होने चंडीगढ़ में सिद्धू के ही अंदाज में सड़क दुर्घटना में घायल एक व्यक्ति को मदद मुहैया कराई है. अब चूंकि एक्सीडेंट के परिदृश्य में सिद्धू और चन्नी दोनों के ही वीडियो सामने आ गए हैं तो सवाल ये उठ रहा है कि क्या पंजाब में मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए रोड एक्सीडेंट वाला सीन अनिवार्य है?
क्योंकि दोनों ही वीडियो हमारे सामने हैं और भले ही दोनों की स्क्रिप्ट एक जैसी हो. दुर्घटना में मदद को पहुंचे सिद्धू और चन्नी में ज्यादा स्वाभाविक किसका अंदाज लग रहा है? बेहतर है इस सवाल का जवाब जनता खुद दे.
जिक्र पहले सिद्धू का हुआ है तो बात उनके वीडियो पर. असल में अभी बीते दिनों ही सिद्धू का काफिला पटियाला-सरहिंद रोड से गुजर रहा था जहां सड़क पर एक रेहड़ी वाले का एक्सीडेंट हो गया और वो घायल हो गया. सिद्धू घायल की मदद के लिए आगे आए और उसे अपनी सुरक्षा में लगे सुरक्षा अधिकारियों की गाड़ी...
पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. भले ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा हो लेकिन सही मायनों में लड़ाई कांग्रेस वर्सेज कांग्रेस ही है. पंजाब के चुनावी रण में एक तरफ वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी हैं तो वहीं दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू हैं. जैसी दोनों की कोशिशें हैं कभी कोई उन्नीस साबित होता है कभी बीस. बात बीते दिनों ही है नावजूत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो डाला था. वीडियो को पटियाला का बताया जा रहा है. सिद्धू ने रोड एक्सीडेंट में घायल हुए एक रेहड़ी वाले की मदद की थी. सिद्धू समर्थकों ने सिद्धू के इस अंदाज को हाथों हाथ लिया और उनकी जमकर तारीफ की. घटना का जिक्र आज लगभग 20 दिन बाद क्यों हो रहा है वजह है राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जिन्होने चंडीगढ़ में सिद्धू के ही अंदाज में सड़क दुर्घटना में घायल एक व्यक्ति को मदद मुहैया कराई है. अब चूंकि एक्सीडेंट के परिदृश्य में सिद्धू और चन्नी दोनों के ही वीडियो सामने आ गए हैं तो सवाल ये उठ रहा है कि क्या पंजाब में मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए रोड एक्सीडेंट वाला सीन अनिवार्य है?
क्योंकि दोनों ही वीडियो हमारे सामने हैं और भले ही दोनों की स्क्रिप्ट एक जैसी हो. दुर्घटना में मदद को पहुंचे सिद्धू और चन्नी में ज्यादा स्वाभाविक किसका अंदाज लग रहा है? बेहतर है इस सवाल का जवाब जनता खुद दे.
जिक्र पहले सिद्धू का हुआ है तो बात उनके वीडियो पर. असल में अभी बीते दिनों ही सिद्धू का काफिला पटियाला-सरहिंद रोड से गुजर रहा था जहां सड़क पर एक रेहड़ी वाले का एक्सीडेंट हो गया और वो घायल हो गया. सिद्धू घायल की मदद के लिए आगे आए और उसे अपनी सुरक्षा में लगे सुरक्षा अधिकारियों की गाड़ी में बैठा के अस्पताल पहुंचाया.
बाद में सिद्धू ने खुद डॉक्टर्स को फोन कर सही और समय पर उपचार दें. वहीं सिद्धू ने ये भी कहा था कि घायल के इलाज का खर्च वो खुद उठाएंगे.चुनाव पूर्व सिद्धू की इस दरियादिली पर अभी बात हो ही रही थी कि सिद्धू की देखादेखी राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी मैदान में आ गए हैं.
असल में चन्नी अपने काफिले के साथ चंडीगढ़ थे जहां उनके सामने ही एक बाइक सवार का एक्सीडेंट हो गया. पीआर के लिए ऐसे मौकों की ताक प्रायः नेताओं को रहती है. ऐसे में चन्नी ने भी सिद्धू की तर्ज पर मौके का पूरा फायदा उठाया और घायल को 'मदद' मुहैया कराने के बाद हाथ हिला हिलाकर उन्होंने जमकर पीआर भी किया.
अब इसे संयोग कहें या इत्तेफ़ाक़ सिद्धू और चन्नी दोनों ही ने एक्सीडेंट में घायल हुए 'आम आदमी' की सुध लेकर अपने को आम दिखाने की भरसक कोशिश की है. दोनों के लिए उनकी ये दरियादिली कितनी फायदेमंद है इसका जवाब तो हमें कुछ समय बाद पता चल ही जाएगा लेकिन पंजाब में मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए ये जो नया ट्रेंड स्थापित हुआ है ये अपने आप में खासा दिलचस्प है.
बात क्योंकि घायलों को मदद मुहैया करने की हुई है. तो चाहे वो नवजोत सिंह सिद्धू का वीडियो हो. या फिर घायल बाइक सवार को उठाते पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का हालिया वीडियो. दोनों ही वीडियोज की स्क्रिप्ट इतनी और इस हद तक सामान हैं कि लगता है कि दोनों ही नेताओं के साथ संयोग नहीं हुआ है और ये एक नया पोलिटिकल पैंतरा है. और उद्देश्य बस अपने को महान दिखाना और चुनाव पूर्व जनता की नजरों में आना है.
बहरहाल क्या सच है और क्या झूठ इसका जवाब तो वक़्त की गर्त में छिपा है. लेकिन जिस बिंदु पर बात हो सकती हो वो है मदद के नाम पर वो अंदाज जो दो अलग अलग जगहों पर एक ही पार्टी के दो अलग नेताओं का था. जनता ही अब इस बात का फैसला करे कि दुर्घटना में मदद को पहुंचे सिद्धू और चन्नी में ज्यादा स्वाभाविक अंदाज किसका और क्यों है.
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