प्रचार सबने किया. कोरोना सबकी रैली से बराबर ही फैला. लेकिन देश ममता बनर्जी से कोई उम्मीद नहीं कर रहा था. देश मोदी जी की तरफ़ देख रहा था. देश मोदी जी से उम्मीद कर रहा था कि वो अपनी दूरदर्शिता दिखा कर महामारी को रोकने की कोशिश करते. रैलियां होती रहतीं, हार-जीत भी होती रहती वो अटल जी के कहे के मुताबिक़ देश बचाने की कोशिश करते. करने देते बंगाल में उनको रैलियां जिनको किसी की जान की परवाह नहीं थी. जनता खुद फ़ैसला करती. उसके बाद अगर बंगाल में भाजपा हारती तब भी क़द मोदी जी का ही बढ़ता. महामारी जब फैल रही थी तब उन्हें दिल्ली में रह कर देश को सम्भालने के लिए डॉक्टर और राज्य के मुख्यमंत्री से संवाद स्थापित करके देश को बचाने में जुट जाना चाहिए था.
अब आज के रिज़ल्ट के बाद कम से कम उन्हें पब्लिक के सामने आ कर अपनी ख़ामियां और ग़लतियां स्वीकार करके, देश को बचाने में जुट जाना चाहिए. 2024 का उन्हें अभी से सोचना शुरू कारण देना चाहिए. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है. बचा लीजिए देश को. ठीक इसी तर्ज़ पर ममता दीदी से भी कुछ उम्मीदें जुड़ी हुई हैं. वो बंगाल को बंगाल ही रहने दें न कि इन अंदेशों को सच होने दें. लोग कह रहें हैं कि,
पश्चिम बंगाल में हिंदू मार दिए जाएंगे.
सभी भाजपा समर्थक फांसी पर टंगे मिलेंगे.
बंगाल दूसरा कश्मीर होने वाला है.
दुर्गा पूजा का पंडाल लगाने नहीं दिया जाएगा.
हिंदू बेटियों-बहनों का बलात्कार बढ़ जाएगा.
ममता दीदी का फ़र्ज़ बनता है कि वो इन अंदेशों को सच न होने दें. बंगाल को एक ऐसे राज्य...
प्रचार सबने किया. कोरोना सबकी रैली से बराबर ही फैला. लेकिन देश ममता बनर्जी से कोई उम्मीद नहीं कर रहा था. देश मोदी जी की तरफ़ देख रहा था. देश मोदी जी से उम्मीद कर रहा था कि वो अपनी दूरदर्शिता दिखा कर महामारी को रोकने की कोशिश करते. रैलियां होती रहतीं, हार-जीत भी होती रहती वो अटल जी के कहे के मुताबिक़ देश बचाने की कोशिश करते. करने देते बंगाल में उनको रैलियां जिनको किसी की जान की परवाह नहीं थी. जनता खुद फ़ैसला करती. उसके बाद अगर बंगाल में भाजपा हारती तब भी क़द मोदी जी का ही बढ़ता. महामारी जब फैल रही थी तब उन्हें दिल्ली में रह कर देश को सम्भालने के लिए डॉक्टर और राज्य के मुख्यमंत्री से संवाद स्थापित करके देश को बचाने में जुट जाना चाहिए था.
अब आज के रिज़ल्ट के बाद कम से कम उन्हें पब्लिक के सामने आ कर अपनी ख़ामियां और ग़लतियां स्वीकार करके, देश को बचाने में जुट जाना चाहिए. 2024 का उन्हें अभी से सोचना शुरू कारण देना चाहिए. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है. बचा लीजिए देश को. ठीक इसी तर्ज़ पर ममता दीदी से भी कुछ उम्मीदें जुड़ी हुई हैं. वो बंगाल को बंगाल ही रहने दें न कि इन अंदेशों को सच होने दें. लोग कह रहें हैं कि,
पश्चिम बंगाल में हिंदू मार दिए जाएंगे.
सभी भाजपा समर्थक फांसी पर टंगे मिलेंगे.
बंगाल दूसरा कश्मीर होने वाला है.
दुर्गा पूजा का पंडाल लगाने नहीं दिया जाएगा.
हिंदू बेटियों-बहनों का बलात्कार बढ़ जाएगा.
ममता दीदी का फ़र्ज़ बनता है कि वो इन अंदेशों को सच न होने दें. बंगाल को एक ऐसे राज्य में रूप में दिखाएं जहां हिंदू-मुस्लिम दोनों एक साथ मिलकर राज्य को आगे बढ़ाने का काम करेंगे न कि मुस्लिम हिंदुओं की हत्या करके राज्य को बदहाली के गर्त में ढकेलें. बाक़ी आने वाला वक़्त ही बताएगा कि वहां की जनता ने जो फ़ैसला लिया है वो सही है या ग़लत.
वैसे यहां मैं बिहार का उदाहरण दूंगी. जो लोग कह रहे थे कि तेजस्वी यादव की सरकार बनेगी तो गुंडागर्दी बढ़ जाएगी, अपहरण और हत्याएं खुले आम होने लगेंगी. तो आपको बता दूं कि बिहार में अब भी नीतीश बाबू के राज्य में वही हो रहा है. ज़रा गूगल कर लीजिए समझ आ जाएगा.
बाक़ी अगले पांच साल में ये तय होगा कि बंगाल की जनता ने जो फ़ैसला लिया है वो बंगाल को कहां से कहां तक ले जाएगी. ममता दीदी शायद अब अपने राज्य से बेरोज़गारी, ग़रीबी और हिंदुओं की हो रही हत्याओं को रोक कर एक नया बंगाल दुनिया के सामने लाएं.
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