पश्चिम बंगाल के चुनाव में अब गिनती के दिन रह गए हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है वैसे वैसे चुनावी रणभूमि में सियासत नया रंगरूप अपना रही है. भारतीय सियासत में यूं तो हमेशा से ही चलन रहा है खुद की अच्छाई और विपक्षी दलों की बुराई करना, साथ ही वादों और दावों की झड़ी लगा देना लेकिन पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव अपने नए रंग के साथ चर्चाओं में बना हुआ है. पश्चिम बंगाल की सियासत इन दिनों नारों और मीम्स के सहारे आगे बढ़ रही है. इसमें सबसे लोकप्रिय नारा बन चुका है 'खेला होबे' इस नारे का मतलब है कि खेल होगा. और इससे भी बढ़कर अहम बात ये है कि इस नारे को टीएमसी भी लगा रही है और भाजपा भी इस नारे का खूब इस्तेमाल कर रही है. किसी चुनाव में एक ही नारा दोनों धुर विरोधियों के मंचो से लगाया जाए ऐसा कम ही दिखता है या फिर कह दीजिए दिखता ही नहीं है. बंगाल के चुनाव में सबसे अधिक इसी नारे का इस्तेमाल अबतक किया गया है. अब एक बात और जानिए जो और दिलचस्प है. ये नारा न तो भाजपा का दिया हुआ नारा है और न ही टीएमसी का. ये नारा बांग्लादेश के नारायणगंज के सांसद शमीम उस्मान का दिया गया नारा है. जनवरी में इस नारे का इस्तेमाल टीएमसी के नेता ने किया लेकिन किसी पार्टी के मंच से नहीं बल्कि इसका गीत बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करने के लिए. इसका इस्तेमाल चुनाव में टीएमसी के नेता अनुब्रत मंडल ने किया और कहा भयंकर खेला होबे यानी भयंकर खेल होगा. अब ममता बनर्जी का ये सबसे पसंदीदा नारा बन चुका है, वह हर रैली में कहती हुई दिखती हैं क्या आप सब खेला होबे के लिए तैयार हैं.
अब भला ममता बनर्जी के इस पसंदीदा नारे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों खामोश रहते. उन्होंने अपनी रैली में इस...
पश्चिम बंगाल के चुनाव में अब गिनती के दिन रह गए हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है वैसे वैसे चुनावी रणभूमि में सियासत नया रंगरूप अपना रही है. भारतीय सियासत में यूं तो हमेशा से ही चलन रहा है खुद की अच्छाई और विपक्षी दलों की बुराई करना, साथ ही वादों और दावों की झड़ी लगा देना लेकिन पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव अपने नए रंग के साथ चर्चाओं में बना हुआ है. पश्चिम बंगाल की सियासत इन दिनों नारों और मीम्स के सहारे आगे बढ़ रही है. इसमें सबसे लोकप्रिय नारा बन चुका है 'खेला होबे' इस नारे का मतलब है कि खेल होगा. और इससे भी बढ़कर अहम बात ये है कि इस नारे को टीएमसी भी लगा रही है और भाजपा भी इस नारे का खूब इस्तेमाल कर रही है. किसी चुनाव में एक ही नारा दोनों धुर विरोधियों के मंचो से लगाया जाए ऐसा कम ही दिखता है या फिर कह दीजिए दिखता ही नहीं है. बंगाल के चुनाव में सबसे अधिक इसी नारे का इस्तेमाल अबतक किया गया है. अब एक बात और जानिए जो और दिलचस्प है. ये नारा न तो भाजपा का दिया हुआ नारा है और न ही टीएमसी का. ये नारा बांग्लादेश के नारायणगंज के सांसद शमीम उस्मान का दिया गया नारा है. जनवरी में इस नारे का इस्तेमाल टीएमसी के नेता ने किया लेकिन किसी पार्टी के मंच से नहीं बल्कि इसका गीत बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करने के लिए. इसका इस्तेमाल चुनाव में टीएमसी के नेता अनुब्रत मंडल ने किया और कहा भयंकर खेला होबे यानी भयंकर खेल होगा. अब ममता बनर्जी का ये सबसे पसंदीदा नारा बन चुका है, वह हर रैली में कहती हुई दिखती हैं क्या आप सब खेला होबे के लिए तैयार हैं.
अब भला ममता बनर्जी के इस पसंदीदा नारे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों खामोश रहते. उन्होंने अपनी रैली में इस नारे का तोड़ निकालते हुए कहा कि "खेला खत्म विकास शुरू" जिसपर पीएम मोदी ने खूब तारीफें भी बटोरी थी. खेला होबे के साथ साथ भाजपा "जय श्री-राम " के नारे को भी हर मंच से लगा रही है. वैसे तो हर राज्य के चुनाव में भाजपा इस नारे को अपने चुनावी रैली में इस्तेमाल करते हुए दिखाई दे ही जाती है लेकिन पश्चिम बंगाल में ये नारा बड़े स्तर पर लगाया जा रहा है जिससे भाजपा का हिंदुत्व चेहरा और मज़बूत दिखाई पड़ रहा है.
पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में नारों की बौछार हो रही है. इन्हीं नारों के बीच भाजपा ने एक और नारा दिया ‘एबार बांग्ला, पारले शामला’ यानी अब बंगाल, बचा सको तो बचा लो. इस नारे का पलटवार करते हुए टीएमसी ने एक और नया नारा दिया 'बांग्ला नीजेर मेय के ई चाए' यानी कि बंगाल अपनी बेटी को ही चाहता है. इस नारे के साथ बंगाल के चुनाव में बंगाल की बेटी व बाहरी की सियासी जंग छिड़ गई ऐसे में यह भी कहा गया कि बंगाल में भाजपा मुख्यमंत्री किसी बंगाल के ही रहने वाले को बनाएगी.
भाजपा और टीएमसी के बीच नारेबाजी का दौर हर दिन बढ़ता जा रहा है. टीएमसी ने एक नारा ‘बंगध्वनि’ भी लगाया जिसका मतलब होता है बंगाल की दहाड़. मां, माटी, मानुष का नारा लगाकर नारेबाजी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना लेने वाली ममता बनर्जी फिलहाल चोटिल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन वह जल्द ही व्हील चेयर के सहारे फिर से चुनावी मैदान में कूदने वाली हैं जिसके बाद वह बंगाल का चुनाव और तेवर के साथ लड़ती हुई नज़र आएंगी.
भाजपा ममता बनर्जी पर कतई भी रहमदिली दिखाने के मूड में नज़र नहीं आ रही है. ममता बनर्जी हर चुनाव में अपने नारों के ज़रिए ही पहचानी जाती हैं लेकिन इस दफा के चुनाव में भाजपा ममता से कड़ी टक्कर लेते हुए नारों के मामलों में लोहा लेती नज़र आ रही है. चुनावी घमासान का नतीजा क्या होगा इसके लिए इंतेज़ार कीजिए लेकिन अभी चुनाव में और तरह के नए नए नारों से चुनाव का आनंद भी ज़रूर लीजिएगा क्योंकि बंगाल में चुनावी नारों की बारिश अपने पूरे शबाब के साथ होना तय है.
ये भी पढ़ें -
कांग्रेस के बागी नेताओं G-23 के सवाल का जवाब है पीसी चाको का इस्तीफा!
घायल दीदी की बात पर भारी पड़ गए चश्मदीद!
ममता बनर्जी की चोट को नौटंकी के नजरिये से देखना बीजेपी ने उनसे ही सीखा है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.