खबर है कि पंचायत चुनाव के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में जबरदस्त हिंसा हुई है. बताया जा रहा है कि राज्य भर में हुई इस चुनावी हिंसा में जहां एक तरफ 14 लोगों की मौत हो गई तो वहीं इस हिंसा के चलते तकरीबन 50 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. पश्चिम बंगाल में जिस तरह कानून व्यवस्था का मखौल उड़ाया गया उस पर केंद्र सरकार ने गहरी चिंता जताई है और राज्य सरकार से इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय के सामने रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
पंचायत चुनावों के मद्देनजर राज्य भर में अफरा तफरी का माहौल रहा. जहां कहीं बैलेट बॉक्स लूटे गए और उन्हें आग के हवाले किया गया तो कहीं बमबारी और गोलीबारी हुई. इसके अलावा तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं ने आग में घी का काम किया. ध्यान रहे कि तमाम अव्यवस्था के बीच पश्चिम बंगाल में शाम पांच बजे तक 72.50 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.
बंगाल से आ रही ख़बरों पर यदि यकीन करें तो मिल रहा है कि पंचायत चुनावों के तहत राज्य के कूचबिहार में स्थानीय लोग जब वोट देने के लिए मतदान केंद्र गये तब उनपर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए. इसके अलावा 24 परगना जिले के साधनपुर में देसी बम फटने से कई लोगों के घायल होने की खबर भी सामने आ रही है. साथ ही कुछ ऐसी भी तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें 24 परगना जिले में सीपीएम कार्यकर्ता और उनकी पत्नी को घर में आग लगाकर जिंदा जला दिया गया है. अपने कार्यकर्ता की मौत पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सीपीएम ने टीएमसी की कड़े शब्दों में की है. सीपीएम ने ममता बनर्जी से प्रश्न किया है कि क्या राज्य की मुख्यमंत्री इस तरह के लोकतंत्र की हिमायती रही हैं.
खबर है कि पंचायत चुनाव के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में जबरदस्त हिंसा हुई है. बताया जा रहा है कि राज्य भर में हुई इस चुनावी हिंसा में जहां एक तरफ 14 लोगों की मौत हो गई तो वहीं इस हिंसा के चलते तकरीबन 50 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. पश्चिम बंगाल में जिस तरह कानून व्यवस्था का मखौल उड़ाया गया उस पर केंद्र सरकार ने गहरी चिंता जताई है और राज्य सरकार से इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय के सामने रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
पंचायत चुनावों के मद्देनजर राज्य भर में अफरा तफरी का माहौल रहा. जहां कहीं बैलेट बॉक्स लूटे गए और उन्हें आग के हवाले किया गया तो कहीं बमबारी और गोलीबारी हुई. इसके अलावा तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं ने आग में घी का काम किया. ध्यान रहे कि तमाम अव्यवस्था के बीच पश्चिम बंगाल में शाम पांच बजे तक 72.50 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.
बंगाल से आ रही ख़बरों पर यदि यकीन करें तो मिल रहा है कि पंचायत चुनावों के तहत राज्य के कूचबिहार में स्थानीय लोग जब वोट देने के लिए मतदान केंद्र गये तब उनपर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए. इसके अलावा 24 परगना जिले के साधनपुर में देसी बम फटने से कई लोगों के घायल होने की खबर भी सामने आ रही है. साथ ही कुछ ऐसी भी तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें 24 परगना जिले में सीपीएम कार्यकर्ता और उनकी पत्नी को घर में आग लगाकर जिंदा जला दिया गया है. अपने कार्यकर्ता की मौत पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सीपीएम ने टीएमसी की कड़े शब्दों में की है. सीपीएम ने ममता बनर्जी से प्रश्न किया है कि क्या राज्य की मुख्यमंत्री इस तरह के लोकतंत्र की हिमायती रही हैं.
यदि बंगाल से चुनावी हिंसा की इन ख़बरों का गहनता से अवलोकन करें तो मिल रहा है कि बंगाल में चुनाव के दौरान संघर्ष कोई बात नहीं है. शायद यही कारण है कि इस मुद्दे पर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक बड़ा बयान दिया है. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पंचायत चुनाव के दौरान हिंसक घटनाओं के इतिहास को याद दिलाते हुए आज की हिंसा को बहुत कम बताया है.
इस हिंसा पर डेरेक का तर्क है कि, 'जो बंगाल के पंचायत चुनाव के नवजात विशेषज्ञ हैं, उन्हें बता दूं कि राज्य के पंचायत चुनाव का अपना इतिहास रहा है. 1990 में सीपीआई (एम) के शासनकाल में 400 लोगों की हत्या हुई थी और 2003 में 40 लोगों की मौत हुई थी.'
टीएमसी सांसद ने हिंसा में मारे गए लोगों की मौत पर दुख जताते हुए हिंसक घटनाओं के लिए बीजेपी और सीपीआई (एम) को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने दोनों पार्टियों पर माओवादियों के साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मारने का भी आरोप लगाया. साथ ही ये भी कहा कि दोनों दल जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं.
इसके विपरीत हिंसा को लेकर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के अपने तर्क हैं. सुप्रियो ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा है कि,'सुबह से जो हो रहा है, उसे देखकर हम कतई आश्चर्यचकित नहीं हैं. बंगाल सरकार एक बेशर्म सरकार है. आप उनसे किसी भी तरह के नियमों के पालन की उम्मीद नहीं कर सकते. मैं मांग करता हूं कि राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी और सीपीएम का संघर्ष कोई नई बात नहीं है. पूर्व में भी कई ऐसे मौके आये हैं जब दोनों ही दलों के लोग खून के प्यासे एक दूसरे के सामने थे. अंत में हम ये कहकर अपनी बात खत्म करेंगे कि जिस राज्य में पंचायत के चुनाव का दृश्य ऐसा हो वहां उस क्षण की कल्पना करिए जब विधानसभा चुनाव चल रहे हों. बंगाल से सम्बंधित इन तस्वीरों और इन ट्वीट्स को देखकर वहां की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
साथ ही ये कहना भी गलत न होगा कि राज्य की मुख्यमंत्री सत्ता के नशे में चूर हैं जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके राज्य में लोग मर रहे हैं. हो सकता है कि मुख्यमंत्री के लिए लोगों का मतलब वोट हों और उन्हें लोगों की जान के मुकाबले अपनी सीटें ही प्यारी हों.
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