ये सच है कि दिल्ली के शाहीन बाग़ (Shaheen Bagh) और लखनऊ के घंटाघर (CAA Protest in Shaheenbagh and Ghantaghar) के अलावा देश के तमाम ठिकानों पर विरोध प्रदर्शन (CAA-NRC Protest) करने वाली ज्यादातर महिलायें/पुरुष और बच्चों को डीपली इस बात की समझ नहीं होगी कि आखिर CAA और NRC है क्या? (What is CAA-NRC) या CAA-NRC full form क्या है? ये कोई नई बात नहीं है. जब भी कभी किसी भी मुद्दे को लेकर देश में कोई बड़ा आंदोलन हुआ, तो उस आंदोलन को आम नागरिकों की भागीदारी ने ही बड़ा बनाया. और हर जन आंदोलन के पीछे कुछ शक्तियां भी रहीं. आम आंदोलनकारियों में नब्बे प्रतिशत लोग उस मुद्दे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे जिस मुद्दे पर आंदोलन केंद्रित रहा हो. देश की आजादी के बाद के प्रमुख बड़े जन आन्दोलनों में अन्ना आंदोलन (India Against Corruption Movement) शामिल है. लोकपाल की मांग को लेकर हुए अन्ना आंदोलन में देश की जनता सड़कों पर उतर आई थी. दिलचस्प ये है कि तब भी आंदोलन में शिरकत करने आए 95 प्रतिशत लोग ये नहीं जानते थे कि लोकपाल आखिर है क्या? किसी भी जन आंदोलन में आंदोलनकारियों की ऐसी अनभिज्ञता अकसर देखने को मिलती है.
CAA और NRC के विरुद्ध आंदोलन में भी ऐसा ही है. CAA से क्यों, कैसे और किसको नुकसान है. इस तरह के प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर अधिकांश आंदोलनकारी नहीं दे पा रहे हैं. विरोध करने वाले बस इस बात को सुन-सुन कर विरोध कर रहे हैं कि इन फैसलों से देश के नागरिकों और भारतीय संविधान को नुकसान होगा. कह रहे हैं कि ख़ासकर मुसलमानों के लिए ये घातक होगा. लेकिन प्रदर्शनकारियों की इस तरह की नासमझी कोई नई बात नहीं है. इस नासमझी को गलत, भेड़चाल या बहकावे में आना भी नहीं...
ये सच है कि दिल्ली के शाहीन बाग़ (Shaheen Bagh) और लखनऊ के घंटाघर (CAA Protest in Shaheenbagh and Ghantaghar) के अलावा देश के तमाम ठिकानों पर विरोध प्रदर्शन (CAA-NRC Protest) करने वाली ज्यादातर महिलायें/पुरुष और बच्चों को डीपली इस बात की समझ नहीं होगी कि आखिर CAA और NRC है क्या? (What is CAA-NRC) या CAA-NRC full form क्या है? ये कोई नई बात नहीं है. जब भी कभी किसी भी मुद्दे को लेकर देश में कोई बड़ा आंदोलन हुआ, तो उस आंदोलन को आम नागरिकों की भागीदारी ने ही बड़ा बनाया. और हर जन आंदोलन के पीछे कुछ शक्तियां भी रहीं. आम आंदोलनकारियों में नब्बे प्रतिशत लोग उस मुद्दे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे जिस मुद्दे पर आंदोलन केंद्रित रहा हो. देश की आजादी के बाद के प्रमुख बड़े जन आन्दोलनों में अन्ना आंदोलन (India Against Corruption Movement) शामिल है. लोकपाल की मांग को लेकर हुए अन्ना आंदोलन में देश की जनता सड़कों पर उतर आई थी. दिलचस्प ये है कि तब भी आंदोलन में शिरकत करने आए 95 प्रतिशत लोग ये नहीं जानते थे कि लोकपाल आखिर है क्या? किसी भी जन आंदोलन में आंदोलनकारियों की ऐसी अनभिज्ञता अकसर देखने को मिलती है.
CAA और NRC के विरुद्ध आंदोलन में भी ऐसा ही है. CAA से क्यों, कैसे और किसको नुकसान है. इस तरह के प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर अधिकांश आंदोलनकारी नहीं दे पा रहे हैं. विरोध करने वाले बस इस बात को सुन-सुन कर विरोध कर रहे हैं कि इन फैसलों से देश के नागरिकों और भारतीय संविधान को नुकसान होगा. कह रहे हैं कि ख़ासकर मुसलमानों के लिए ये घातक होगा. लेकिन प्रदर्शनकारियों की इस तरह की नासमझी कोई नई बात नहीं है. इस नासमझी को गलत, भेड़चाल या बहकावे में आना भी नहीं कहेंगे. क्योंकि भले ही आम नागरिकों को इस मसले पर गहराई से समझ न हो पर एक सत्य और मूल बिंदू को लेकर सब की फिक्र किसी हद तक लाज़मी है.
इस फिक्र से पैदा हुए विरोध को खत्म करने के लिए यदि सरकार सिर्फ यही ऐलान कर दे कि भविष्य में कभी भी एनआरसी (NRC) नहीं लागू होगा. और यदि होगा भी तो ये आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड.. इत्यादि दस्तावेजों तक ही सीमित रहेगा. सरकार ये घोषणा कर दे कि भविष्य में एनआसी (NRC) लागू नहीं होना है, और इसी के स्थान पर एनपीआर लागू किया गया है. जो आम नागरिकों के लिए जटिल नहीं है. जनगणना की तरह ये देश की जरुरत की रूटीन प्रक्रिया है.
विरोध प्रदर्शन करने वालों की तमाम बातों में जो मुख्य बात सामने निकल कर आ रही है वो ये है कि मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान आम, कमजोर, आदिवासी, बंजारे, अशिक्षित और गरीब जनता के सामने एनआरसी जटिल और असंभव दस्तावेज पेश करने की बाध्यता पैदा करेगा. और जिन मुस्लिम नागरिकों के पास जटिल दस्तावेज नहीं होंगे वो CAA के तहत घुसपैठिया साबित कर दिया जायेगा.
इन सब बातों के बीच प्रदर्ननकारियों से बातचीत में एक बात जानकर आप चकित होंगे. कई मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने ये भी कहा कि हमारा प्रदर्शन सरकार को धन्यवाद व्यक्त करने और धन्यवाद प्रदर्शित करने के लिए भी है.
प्रदर्शनकारी CAA के तहत हिंदू, सिक्ख, ईसाई और जैन शरणार्थी को भारतीय नागरिकता दिये जाने का सरकार को धन्यवाद व्यक्त कर रहे हैं. स्वागत कर रहे हैं और प्रशंसा व्यक्त कर रहे हैं. ये फैसला गांधी के वादे को पूरा कर रहा है. इस कानून ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह जैसे देश के पूर्व गंभीर प्रधानमंत्रियों के इरादों को अमल में ला दिया. इसलिए इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार धन्यवाद, बधाई और सराहना की पात्र है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि CAA तब घातक होगा जब NRC लागू होगा. और सरकार ये नहीं कह रही कि हम NRC लागू नहीं करेंगे.
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