राहुल गांधी आज 48 साल के हो गए. 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा था. इसके बाद से ही राहुल गांधी ने खुद को राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में उभारा है. और हाल ही में प्रधान मंत्री पद के रुप में भी उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की.
हालांकि, बचपन और युवावस्था के अपने शुरुआती दिनों में वो सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहे. तो चलिए आपको बताते हैं कि गांधी परिवार की अपनी पारिवारिक विरासत को संभालने के पहले आखिर राहुल गांधी कौन थे?
1- पारिवारिक विरासत के उत्तराधिकारी:
पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के घर 19 जून 1970 को राहुल गांधी का जन्म हुआ था. वो नेहरू-गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी से हैं. उस वक्त उनकी दादी इंदिरा गांधी भारत प्रधान मंत्री थीं. वो भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के परपोते भी हैं.
2- शुरुआती पढ़ाई:
राहुल गांधी की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के संत कोलंबा स्कूल में हुई. इसके बाद 1981 से 1983 तक वो देहरादून के दून स्कूल में पढ़े. राहुल गांधी के पिता और भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पढ़ाई भी दून स्कूल से ही हुई...
राहुल गांधी आज 48 साल के हो गए. 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा था. इसके बाद से ही राहुल गांधी ने खुद को राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में उभारा है. और हाल ही में प्रधान मंत्री पद के रुप में भी उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की.
हालांकि, बचपन और युवावस्था के अपने शुरुआती दिनों में वो सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहे. तो चलिए आपको बताते हैं कि गांधी परिवार की अपनी पारिवारिक विरासत को संभालने के पहले आखिर राहुल गांधी कौन थे?
1- पारिवारिक विरासत के उत्तराधिकारी:
पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के घर 19 जून 1970 को राहुल गांधी का जन्म हुआ था. वो नेहरू-गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी से हैं. उस वक्त उनकी दादी इंदिरा गांधी भारत प्रधान मंत्री थीं. वो भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के परपोते भी हैं.
2- शुरुआती पढ़ाई:
राहुल गांधी की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के संत कोलंबा स्कूल में हुई. इसके बाद 1981 से 1983 तक वो देहरादून के दून स्कूल में पढ़े. राहुल गांधी के पिता और भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पढ़ाई भी दून स्कूल से ही हुई थी.
3- इंदिरा गांधी की हत्या:
राहुल गांधी की दादी और भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में हत्या कर दी गई. इसके बाद सुरक्षा कारणों से 1989 तक राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी की पढ़ाई घर पर ही हुई.
4- कॉलेज की शिक्षा:
1989 में स्नातक की पढ़ाई के लिए उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया. स्पोर्ट्स कोटा के तहत् यहां उन्हें एडमिशन मिला था, जहां से उन्होंने इतिहास (ऑनर्स) की पढ़ाई की. इसके बाद इकोनॉमिक्स की पढ़ाई के लिए 1990 में वो हार्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए.
5- राजीव गांधी की हत्या:
1991 में एक चुनाव रैली के दौरान एलटीटीई द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद सुरक्षा कारणों से उन्हें अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित रोलिन्स कॉलेज भेज दिया गया. जहां से 1994 में उन्होंने अपना बीए पूरा किया.
6- राहुल विंची:
1995 में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने डेवलपमेंट स्टडीज में एमफिल किया. उनकी सुरक्षा की चिंता की वजह से यहां पर उनका नाम राहुल विंची रखा गया था. जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी ने भी ट्रिनिटी से ही स्नातक किया था.
7- आम आदमी की तरह नौकरी:
ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद राहुल गांधी ने लंदन में तीन साल तक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मॉनिटर ग्रुप में काम किया. मॉनिटर ग्रुप की स्थापना मैनेजमेंट गुरु माइकल पोर्टर ने की थी. 2002 में वो मुंबई स्थित टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग फर्म बैकऑप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे.
8- राजनीति के क्षेत्र में आना:
मार्च 2004 में राहुल गांधी ने अपने राजनीति में आने की घोषणा की. उसी साल मई 2004 में होने वाले आम चुनाव में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की. इस चुनाव में वो अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में अमेठी से खड़े हुए. विदेशी मीडिया के साथ अपने पहले इंटरव्यू में राहुल गांधी ने खुद को देश को जोड़ने वाले व्यक्ति के रुप में पेश किया. और भारत में "विभाजनकारी" राजनीति की निंदा की. साथ ही ये भी कहा कि वह जातिय और धार्मिक आधार पर तनाव को कम करने की कोशिश करेंगे.
इसके बाद का इतिहास तो सभी को पता है.
ये भी पढ़ें-
तो क्या कांग्रेस मुक्त होगा विपक्ष का महागठबंधन
राहुल गांधी की 'चिट्ठियां' बीजेपी के 'संपर्क फॉर समर्थन' से बिलकुल अलग हैं
बीजेपी विरोधी मोर्चे में राहुल गांधी के मुकाबले ममता बनर्जी बीस पड़ रही हैं
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.