The Kashmir Files: कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी द कश्मीर फाइल्स लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. द कश्मीर फाइल्स के एक सीन में आतंकी संगठन के मुखिया से मीडिया की बातचीत का एक हिस्सा दिखा गया है. जिसमें इंटरव्यू दे रहा आतंकी कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात कबूल करता दिखाई पड़ता है. और, उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती है. वैसे, ये कोई काल्पनिक दृश्य नहीं था. द कश्मीर फाइल्स में ये सीन फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे (Bitta Karate) नाम के एक आतंकी के इंटरव्यू से प्रेरित था. जिसने 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या को खुलेआम कबूल किया था. वहीं, द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद अब इंटरव्यू का असली वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पूर्व आतंकी बिट्टा कराटे यानी Farooq Ahmed Dar भी अलगाववादी नेता बन गया था. आइए जानते हैं कि कश्मीरी पंडितों की हत्या कबूल करने वाला बिट्टा कराटे कौन था?
ऑर्डर मिलता तो मां की भी हत्या कर देता
कश्मीर को आग में झोंकने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ (JKLF) का नेता बिट्टा कराटे का ये वीडियो देखकर किसी की भी रूह कांप जाएगा. दरअसल, इस वीडियो में फारुक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे के चेहरे पर पश्चाताप जैसा कोई भाव नजर नहीं आता है. इस इंटरव्यू में साफ पता चलता है कि मजहब के नाम पर अंधे हो चुके लोग किस हद तक चले जाते हैं और उसे लेकर थोड़ी सी भी शर्मिंदगी आंखों में नहीं दिखाई पड़ती है. दरअसल, 1991 में दिए गए इस इंटरव्यू में बिट्टा कराटे कहता नजर आता है कि अगर उसे अपनी मां या भाई को भी कत्ल करने का आदेश मिलता, तो वह उनकी हत्या कर देता. और, ऐसा करने से पहले बिल्कुल भी नहीं हिचकता. इतना ही नहीं, बिट्टा कराटे इसी इंटरव्यू में 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या कर घाटी में कत्लेआम की शुरुआत करने की बात कबूल करता है. फारुक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे से जब सवाल होता है...
The Kashmir Files: कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी द कश्मीर फाइल्स लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. द कश्मीर फाइल्स के एक सीन में आतंकी संगठन के मुखिया से मीडिया की बातचीत का एक हिस्सा दिखा गया है. जिसमें इंटरव्यू दे रहा आतंकी कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात कबूल करता दिखाई पड़ता है. और, उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती है. वैसे, ये कोई काल्पनिक दृश्य नहीं था. द कश्मीर फाइल्स में ये सीन फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे (Bitta Karate) नाम के एक आतंकी के इंटरव्यू से प्रेरित था. जिसने 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या को खुलेआम कबूल किया था. वहीं, द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद अब इंटरव्यू का असली वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पूर्व आतंकी बिट्टा कराटे यानी Farooq Ahmed Dar भी अलगाववादी नेता बन गया था. आइए जानते हैं कि कश्मीरी पंडितों की हत्या कबूल करने वाला बिट्टा कराटे कौन था?
ऑर्डर मिलता तो मां की भी हत्या कर देता
कश्मीर को आग में झोंकने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ (JKLF) का नेता बिट्टा कराटे का ये वीडियो देखकर किसी की भी रूह कांप जाएगा. दरअसल, इस वीडियो में फारुक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे के चेहरे पर पश्चाताप जैसा कोई भाव नजर नहीं आता है. इस इंटरव्यू में साफ पता चलता है कि मजहब के नाम पर अंधे हो चुके लोग किस हद तक चले जाते हैं और उसे लेकर थोड़ी सी भी शर्मिंदगी आंखों में नहीं दिखाई पड़ती है. दरअसल, 1991 में दिए गए इस इंटरव्यू में बिट्टा कराटे कहता नजर आता है कि अगर उसे अपनी मां या भाई को भी कत्ल करने का आदेश मिलता, तो वह उनकी हत्या कर देता. और, ऐसा करने से पहले बिल्कुल भी नहीं हिचकता. इतना ही नहीं, बिट्टा कराटे इसी इंटरव्यू में 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या कर घाटी में कत्लेआम की शुरुआत करने की बात कबूल करता है. फारुक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे से जब सवाल होता है कि सतीश कुमार टिक्कू को क्यों मारा? तो, जवाब में बिट्टा कहता है कि शायद वह आरएसएस (RSS) का आदमी था. इसलिए मार दिया. उसको मारने का ऑर्डर आया था. इसी वीडियो में बिट्टा कराटे ये ही कबूल करता नजर आता है कि उसने कश्मीरी पंडितों के सिर और दिल में गोली मारी थी. और, उसका निशाना कभी नहीं चूकता था.
कौन है बिट्टा कराटे?
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ (JKLF) का आतंकी बिट्टा कराटे बाद में अलगाववादी नेता के तौर पर मशहूर हुआ. यासीन मलिक की तरह ही उसने भी हिंसा का रास्ता छोड़कर बातचीत के जरिये कश्मीर समस्या का हल निकालने के नाम पर खुद को बचाया. फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने मार्शल आर्ट सीखी थी, जिसकी वजह से उसके नाम में कराटे जुड़ गया. बिट्टा कराटे की भी ट्रेनिंग सीमा पार पाकिस्तान के आतंकी कैंपों में हुई थी. वहां से हथियार और ट्रेनिंग लेकर कश्मीर में बिट्टा कराटे ने कश्मीरी पंडितों पर आतंक का जलजला ला दिया था. इस इंटरव्यू में उसने दावा किया था कि स्थानीय प्रशासन के जुल्म से तंग आकर उसने आतंकवाद की राह चुनी. जेकेएलएफ के नेतृत्व में बिट्टा कराटे ने जमकर कश्मीरी पंडितों की हत्या को अंजाम दिया. लेकिन, 1990 में बिट्टा को गिरफ्तार कर लिया गया था. और, बिट्टा अदालत में अपने इस कबूलनामे से भी पलट गया था.
कश्मीरी पंडितों की हत्या और आतंकवाद के मामले में बिट्टा को जेल भेजा गया. 2006 में बिट्टा को टाडा अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया. 2006 में टाडा अदालत के जस्टिस एनडी वानी ने बिट्टा को जमानत देने पर कहा था कि 'अदालत इस तथ्य से अवगत है कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं. जिसमें मौत या फिर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. लेकिन, एक तथ्य ये भी है कि अभियोजन पक्ष ने मामले में सही तरीके से अपना पक्ष नहीं रखा'. पूर्व आतंकी और अलगाववादी नेता बिट्टा कराटे ने इंडिया टुडे की एक विशेष जांच रिपोर्ट 'ऑपरेशन विलेन ऑफ द वैली' में पाकिस्तान से पैसे मिलने की बात स्वीकार की थी. इंडिया टुडे की इस रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर में कुछ अलगाववादी नेताओं पर जांच का शिकंजा कसा था.
जमानत पर रिहा होने के बाद फारुक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे फिर से जेकेएलएफ में शामिल हो गया था. 2019 में पुलवामा हमले के बाद बिट्टा कराटे को टेरर फंडिंग के आरोपों में एनआई ने गिरफ्तार किया था. वहीं, पुलवामा हमले के बाद ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जेकेएलएफ पर बैन लगा दिया था. तब से कई अलगाववादी नेता जेल की हवा खा रहे हैं.
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