कुछ नहीं मिलता ज़माने में मेहनत के बगैर
अपना साया भी मुझे धूप में आने से मिला.
किसी गुमनाम शायर का ये शेर है, और योगी 2.0 में मंत्री बने उत्तर प्रदेश में भाजपा के एकमात्र मुस्लिम चेहरे दानिश आजाद अंसारी हैं. दानिश ने पिछली सरकार में मंत्री रह चुके मोहसिन रजा को रिप्लेस किया है. भाजपा की नयी सरकार में जैसी कामयाबी दानिश को मिली है, हर वो शख्स हैरत में है जो अब तक यही सोचता रहा कि उत्तर प्रदेश जैसे सूबे में सक्रिय राजनीति उसी के बस की बात है जिसके पास या तो ढेर सारा पैसा है. या फिर जो वरिष्ठ नेताओं का पिछलग्गू है. गुजरे 6 सालों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता रहे दानिश उन लोगों में से हैं, जिन्हें पार्टी के लिए जमीन पर मेहनत की और जिन्होंने तमाम मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ा. बताते चलें कि स्टूडेंट पॉलिटिक्स से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले दानिश आजाद ने लखनऊ विश्विद्यालय से बीकॉम और फिर मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट व मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है.
दानिश आजाद अंसारी के विषय में माना यही जा रहा है कि उनका शुमार उन लोगों में है जिन्हें सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ खूब पसंद करते हैं
अब जबकि दानिश आज़ाद योगी कैबिनेट के सबसे युवा मंत्रियों में शामिल हो गए हैं. इनके विषय में बात इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि जैसी पिछली सरकारों में उत्तर प्रदेश की राजनीति रही. कोई अदना सा कार्यकर्ता मेहनत तो खूब करता, लेकिन दलों द्वारा कभी भी उस मेहनत की कद्र नहीं की गयी. लेकिन जैसा एक पार्टी के रूप में भाजपा का स्वाभाव रहा यहां हमेशा ही मेहनत करने वालों की कद्र हुई और उन्हें उचित सम्मान दिया गया.
दानिश के विषय में सबसे दिलचस्प तथ्य ये है कि भाजपा ने न केवल हमेशा ही इनके कामों की सराहना की बल्कि समय समय पर उन्हें मौके भी खूब दिए. इस बात को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और उस वक़्त को याद करना होगा जब उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा पर सूबे की जनता ने विश्वास दिखाया था और प्रदेश की कमान बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई थी.
तब उस वक़्त पार्टी के लिए जिस जिसने भी काम किया उसे कुछ न कुछ दिया गया. तब उस लिस्ट में भी दानिश का नाम था. मेहनत से प्रभावित होकर दानिश को 2018 में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के सदस्य के रूप में नामित किया गया. बाद में उन्हें सरकार द्वारा उर्दू भाषा समिति का सदस्य बनाया गया. ध्यान रहे कि यूपी में उर्दू भाषा समिति विभाग का सदस्य बनना इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि एक तरह से ये एक दर्जा प्राप्त मंत्री का पद होता है.
बात दानिश की चल रही है तो ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि इस बार चुनाव से पहले अक्टूबर 2021 में दानिश को पार्टी की तरफ से बड़ी जिम्मेदारी मिली और उन्हें भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री पद का भार दिया गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.
दानिश आज़ाद अंसारी के विषय में जैसा कि हम ऊपर ही इस बात की पुष्टि कर चुके हैं उन्होंने खुलकर एबीवीपी के साथ-साथ भाजपा और आरएसएस के लिए युवाओं के बीच माहौल बनाया जिसका बड़ा फायदा एक पार्टी के रूप में भाजपा को मिला.
योगी 2.0 में दानिश को मंत्री पद देने के बाद खबर ये भी है कि भाजपा ने ये सब पसमांदा मुसलमानों को रिझाने के लिए किया है. दानिश के जरिये भाजपा पसमांदा मुस्लिम समाज को खुश और संतुष्ट करने में कितना कामयाब होती है इसका फैसला तो समय करेगा? लेकिन जिस तरह मोहसिन रजा को आउट करके भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नयी कैबिनेट में दानिश को जगह दी है इससे उन मुस्लिम युवाओं को जरूर बल मिलेगा जिन्होंने हाल फ़िलहाल में भाजपा ज्वाइन की है और पार्टी में अपने स्वर्णिम भविष्य की तलाश कर रहे हैं.
बहरहाल बात क्योंकि दानिश के सन्दर्भ में मेहनत की हुई थी तो हम नजीर सिद्दीक़ी के उस शेर के साथ अपनी तमाम बातों को विराम देंगे जिसमें शायर ने कहा है कि
पसीना मेरी मेहनत का मेरे माथे पे रौशन था,
चमक लाल-ओ-जवाहर की मेरी ठोकर पे रखी थी.
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