पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से ज्यादा सुर्खियां इन दिनों महाराष्ट्र को मिल रही हैं. किसी थ्रिलर फिल्म की तरह एंटीलिया केस में हिरेन हत्याकांड के तार जुड़े फिर नाटकीय रूप से 'लेटर बम' गिरा और अब मामला पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के 'मलाईदार खेल' तक पहुंच चुका है. सचिन वाजे, परमबीर सिंह, अनिल देशमुख जैसे किरदारों के बीच अब एक नाम आईपीएस रश्मि शुक्ला का भी जुड़ गया है. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में आए इस सियासी भूचाल की सबसे बड़ी वजह रश्मि शुक्ला ही हैं. इनके द्वारा ही गई फोन रिकॉर्डिंग की वजह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार (एमवीए) के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मोर्चा खोला हुआ है. महाराष्ट्र में आए इस सियासी भूचाल में रश्मि शुक्ला नाम का एक विवाद और जुड़ गया है. उद्धव सरकार और विपक्ष के बीच जारी इस घमासान में महाराष्ट्र पुलिस के अफसरों की कार्यशैली पर लगातार प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं इस पूरे विवाद पर और जानते हैं इस मामले में रश्मि शुक्ला की क्या भूमिका है?
परमबीर की सुप्रीम कोर्ट याचिका में रश्मि शुक्ला
रश्मि शुक्ला वर्ष 1988 के आईपीएस बैच की अधिकारी है और परमबीर सिंह भी इसी बैच के हैं. मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने ट्रांसफर होने पर सुप्रीम कोर्ट में दी अपनी याचिका में आईपीएस रश्मि शुक्ला का जिक्र किया था. रश्मि शुक्ला द्वारा की गई कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर ही राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की धन उगाही का टार्गेट देने के आरोप लगाए गए थे. वर्तमान में रश्मि शुक्ला सीआरपीएफ में एडीजी की पोस्ट पर हैं. इससे पहले...
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से ज्यादा सुर्खियां इन दिनों महाराष्ट्र को मिल रही हैं. किसी थ्रिलर फिल्म की तरह एंटीलिया केस में हिरेन हत्याकांड के तार जुड़े फिर नाटकीय रूप से 'लेटर बम' गिरा और अब मामला पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के 'मलाईदार खेल' तक पहुंच चुका है. सचिन वाजे, परमबीर सिंह, अनिल देशमुख जैसे किरदारों के बीच अब एक नाम आईपीएस रश्मि शुक्ला का भी जुड़ गया है. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में आए इस सियासी भूचाल की सबसे बड़ी वजह रश्मि शुक्ला ही हैं. इनके द्वारा ही गई फोन रिकॉर्डिंग की वजह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार (एमवीए) के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मोर्चा खोला हुआ है. महाराष्ट्र में आए इस सियासी भूचाल में रश्मि शुक्ला नाम का एक विवाद और जुड़ गया है. उद्धव सरकार और विपक्ष के बीच जारी इस घमासान में महाराष्ट्र पुलिस के अफसरों की कार्यशैली पर लगातार प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं इस पूरे विवाद पर और जानते हैं इस मामले में रश्मि शुक्ला की क्या भूमिका है?
परमबीर की सुप्रीम कोर्ट याचिका में रश्मि शुक्ला
रश्मि शुक्ला वर्ष 1988 के आईपीएस बैच की अधिकारी है और परमबीर सिंह भी इसी बैच के हैं. मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने ट्रांसफर होने पर सुप्रीम कोर्ट में दी अपनी याचिका में आईपीएस रश्मि शुक्ला का जिक्र किया था. रश्मि शुक्ला द्वारा की गई कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर ही राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की धन उगाही का टार्गेट देने के आरोप लगाए गए थे. वर्तमान में रश्मि शुक्ला सीआरपीएफ में एडीजी की पोस्ट पर हैं. इससे पहले वे डीजी (सिविल डिफेंस) के पद पर थीं और पुणे पुलिस कमिश्नर का पद भी संभाल चुकी हैं. रश्मि शुक्ला ने स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (SID) की कमिश्नर रहने के दौरान आतंक से जुड़ी एक खुफिया सूचना के आधार पर तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सीताराम कुंटे से फोन रिकॉर्डिंग की इजाजत ली थी. इस कॉल रिकॉर्डिंग के जरिये तबादलों के खेल में अनिल देशमुख की भूमिका सामने आई थी. रश्मि शुक्ला ने इसकी जानकारी एसीएस और पुलिस महानिदेशक (DGP) को दी थी. अब उद्धव सरकार के नेता रश्मि शुक्ला पर बिना अनुमति के फोन रिकॉर्डिंग करने का आरोप लगा रहे हैं.
सियासी भूचाल में 'ट्रांसफर-पोस्टिंग' का नया घमासान
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाविकास आघाड़ी सरकार पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई न करने को लेकर हमलावर हैं. फडणवीस का दावा है कि उनके पास रश्मि शुक्ला द्वारा की गई कॉल रिकॉर्डिंग का सारा डेटा मौजूद है. फडणवीस और अन्य भाजपा नेताओं ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से भी मुलाकात कर चुके हैं. भाजपा की ओर से उद्धव सरकार पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है. भाजपा का मानना है कि तत्कालीन खुफिया आयुक्त की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं समेत अन्य कई नामों का जिक्र है. दावों और सरकारी एजेंसियों द्वारा जांच के इस खेल में फडणवीस ने सीबीआई को भी जोड़ने की मांग कर दी है.
बीते कुछ समय से बचाव मुद्रा में नजर आ रही महाविकास आघाड़ी सरकार ने अब आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. एमवीए सरकार ने तत्कालीन इंटेलिजेंस कमिश्नर को भाजपा का एजेंट बता दिया है. हालांकि, सरकार मान रही है कि आरोप गंभीर हैं और इसकी जांच कर दोषी को सजा दी जाएगी. लेकिन, लगातार कह रही है कि अनिल देशमुख के इस्तीफे का सवाल ही नहीं पैदा होता है. गठबंधन सरकार की अपनी मजबूरियां होती हैं, इसमें कोई दो राय नही है. अनिल देशमुख समेत कई मंत्रियों ने इस बाबत सीएम उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की थी. कहा जा रहा है कि एमवीए सरकार रश्मि शुक्ला के खिलाफ भी कार्रवाई के मूड में आ गई है.
पुलिसिंग के अलावा औऱ चीजों में भी बिजी थी 'मपोसे'
महाराष्ट्र पुलिस अफसरों के चर्चा में आए कारनामे बता रहे हैं कि वो सिर्फ पुलिसिंग ही नहीं उसके अलावा भी काफी बिजी थे. हाल के दिनों में एंटीलिया केस में महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका संदिग्ध नजर आई थी. जांच के दायरे में आए कार मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद यह आशंका और गहरा गई. एनआईए के हाथ में जांच आई, तो महाराष्ट्र पुलिस पर ही सवाल उठने लगे. इसी बीच मुंबई पुलिस कमिश्नर का ट्रांसफर हुआ और उन्होंने राज्य सरकार के गृह मंत्री पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए. इन आरोपों में धन उगाही तो थी ही, साथ में पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर चल रहा 'खेल' भी सामने आ गया.
विवादित पुलिस वाले और उनकी 'करतूत'
निलंबित सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे
महाराष्ट्र पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर सचिन वाजे 1990 में फोर्स जॉइन की. 2004 में वाजे को मुंबई बम धमाके के एक संदिग्ध ख्वाजा यूनुस की पुलिस कस्टडी में मौत के चलते सस्पेंड किया गया था. 2007 में वाजे ने महाराष्ट्र पुलिस से इस्तीफा दे दिया था. अगले ही साल 2008 में वाजे ने शिवसेना जॉइन कर ली थी. जून 2020 में वाजे को फिर से महाराष्ट्र पुलिस में शामिल किया गया और सीधा क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का इंचार्ज बना दिया गया.
एनआईए ने एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन हत्याकांड में सचिन वाजे को गिरफ्तार कर लिया है. वाजे के खिलाफ यूएपीए (nlawful activities Prevention act) की धाराएं भी जोड़ी हैं. जांच में सामने आया है कि सचिन वाजे ने ही मनसुख हिरेन की कार का इस्तेमाल एंटीलिया केस में किया था. साथ ही हिरेन हत्याकांड में भी वाजे के खिलाफ सबूत सामने आए हैं. इस पूरे मामले में महाराष्ट्र पुलिस के विनायक शिंदे और रियाज काजी को भी हिरासत में लिया गया है.
पूर्व मुंबई कमिश्नर परमबीर सिंह
परमबीर सिंह ने मुंबई कमिश्नर पद से अपने ट्रांसफर के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. सिंह ने पत्र में सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का टार्गेट देने की बात कही थी. इसमें 50 करोड़ रुपये बार और रेस्त्रां आदि से और बाकी के रुपये अन्य स्त्रोतों से वसूलने की बात कही गई थी.
आईपीएस रश्मि शुक्ला
इंटेलिजेंस कमिश्नर रहते हुए रश्मि शुक्ला ने आतंक की गुप्त सूचना पर फोन रिकॉर्डिंग के लिए अनुमति ली थी. लेकिन, इस अनुमति के सहारे उन्होंने कई नेताओं और पुलिस अधिकारियों की कॉल रिकॉर्डिंग की. इस कॉल रिकॉर्डिंग में पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर मंत्री अनिल देशमुख की भूमिका सामने आई थी. उन्होंने इसकी शिकायत एसीएस और पुलिस महानिदेशक (DGP) से की थी. दावा किया जा रहा है कि इसे लेकर उन्होंने माफीनामा भी दिया था. जिसकी वजह से उन पर कार्रवाई नहीं की गई थी.
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