क्रिकेट की पिच पर शानदार प्रदर्शन करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) अब सियासी मैदान में रनआउट होने के करीब पहुंच चुके हैं. इमरान खान के खिलाफ पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के बाद एक-एक कर उनके सहयोगी दल छिटक कर पाला बदलते दिखाई दे रहे हैं. पाकिस्तान में परोक्ष रूप से सरकार चलाने वाली पाकिस्तानी सेना ने भी इमरान खान के हालात मुश्किल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. वहीं, एक-दूसरे की घोर विरोधी विपक्षी पार्टियों ने इमरान खान की सरकार के खिलाफ पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (Pakistan Democratic Movement) नाम का गठबंधन बना लिया है. और, इन सबने विपक्ष के नेता रहे शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) को प्रधानमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया है. लेकिन, पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने वाले शहबाज भी उतने शरीफ नहीं हैं, जितना उन्हें बताया जा रहा है. आइए जानते हैं कि पाकिस्तान के होने वाले नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कौन हैं और उन पर क्या आरोप हैं?
शहबाज शरीफ तीन बार पंजाब प्रांत के सीएम रहे हैं.
'भगोड़े' नवाज शरीफ के छोटे भाई है शहबाज
शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) के छोटे भाई हैं. नवाज शरीफ फिलहाल लंदन में अपना इलाज करा रहे हैं. जिन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में साल साल की जेल हुई थी. लेकिन, 2019 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पाकिस्तान से बाहर गए नवाज शरीफ ने वापस पाकिस्तान लौटने से इनकार कर दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो नवाज शरीफ एक तरह से भगोड़े ही कहे जा सकते हैं. खैर, बात करते हैं शहबाज शरीफ की. तो, शहबाज पाकिस्तान नेशनल असेंबली में विपक्षी पार्टी के नेता हैं. शहबाज शरीफ का जन्म 23 सितंबर 1951 को पाकिस्तान में एक कश्मीरी परिवार में हुआ था. उनके पिता मोहम्मद शरीफ भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कश्मीर के अनंतनाग से अमृतसर आ गए थे. उच्च-मध्यम वर्ग के बिजनेसमैन मोहम्मद शरीफ बंटवारे के बाद पाकिस्तान के लाहौर चले गए.
पढ़ाई के बाद संभाला फैमिली बिजनेस और फिर राजनीति
शहबाज शरीफ ने लाहौर की एक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद इत्तेफाक ग्रुप के नाम से चलाए जाने वाली स्टील कंपनी के अपने फैमिली बिजनेस को संभाला. 1985 में शहबाज शरीफ को लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद शहबाज ने 1988 में पंजाब प्रांतीय विधानसभा से चुनाव जीता. हालांकि, 1990 में विधानसभा भंग होने के साथ ही उनकी सदस्यता चली गई. 1990 में शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली का चुनाव जीता. लेकिन, 1993 में ही नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया. हालांकि, 1993 में फिर शहबाज ने पंजाब विधानसभा से जीत हासिल की और विपक्ष के नेता बने. 1997 में पहली बार शहबाज शरीफ पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने. लेकिन, 1999 में सेना के तख्तापलट के बाद शहबाज शरीफ को परिवार समेत देश छोड़कर भागना पड़ा. उन्होंने सऊदी अरब में शरण ली.
पाकिस्तान छोड़ भागे क्यों थे?
शहबाज शरीफ के खिलाफ 1999 में एक मामला दर्ज हुआ था. जिसमें उन पर आरोप था कि शहबाज के कहने पर सब्जाजार पुलिस ने एक परिवार के दो लड़कों और तीन अन्य लोगों की फेक इनकाउंटर में हत्या कर दी थी. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि पंजाब के सीएम के तौर पर शहबाज शरीफ ने ही पुलिस को ऐसा करने के लिए कहा था. 2003 में इस मामले में कोर्ट ने शहबाद के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया था. लेकिन, देश से बाहर होने की वजह से शरीफ की गिरफ्तारी नहीं हो सकी. 2007 में पाकिस्तान आने के बाद शहबाज शरीफ को इस मामले में जमानत मिल गई. 2008 के चुनावों में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन की जीत के बाद शहबाज शरीफ फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बने. इस दौरान कोर्ट ने उन्हें सब्जाजार मामले से बरी कर दिया गया. और, 2013 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
पनामा पेपर्स से मिली पीएमएल-एन की कुर्सी
पनामा पेपर्स लीक मामले में नाम सामने आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के कहने पर 2017 में इस्तीफा देना पड़ा था. 2018 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित कर दिया. जिसके बाद शहबाद शरीफ को पीएमएल-एन (PML-N) का अध्यक्ष बनाया गया. 2018 में हुए चुनावों में शहबाज पीएमएल-एन की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार थे. लेकिन, इमरान खान की पीटीआई ने बाजी मार ली थी. और, विपक्षी पार्टियों ने शहबाज के विपक्ष का नेता चुना था.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी
सितंबर 2020 में नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के आरोप में शहबाज शरीफ को गिरफ्तार किया था. नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने शहबाज शरीफ, उनके बेटे हमजा शरीफ और परिवार के अन्य सदस्यों की कुल 23 संपत्तियों को जब्त किया था. शहबाज पर अपने करीबियों और परिवार के लोगों के साथ 7,328 मिलियन पाकिस्तानी रुपयों की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा था. नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने शहबाज पर विदेशी फंड लेने के लिए गलत तरीकों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था. जिसमें शहबाज के दामाद हारुन युसुफ की कंपनी भी शामिल थी. बीते साल अप्रैल में लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत पर रिहा किया था. लेकिन, ये केस अभी खत्म नहीं हुआ है.
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