जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार कैटरीना कैफ को देश का राष्ट्रपति बनाने की सलाह दी थी. मार्च में शत्रुघ्न सिन्हा ने अमिताभ बच्चन को अगला राष्ट्रपति बनाने की चर्चा चलाई. अमर सिंह ने एक इंटरव्यू में ये कह कर हलचल ही मचा दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमिताभ बच्चन का नाम अगले राष्ट्रपति के लिए देश के सामने रखने वाले हैं.
जमाना बड़े शौक से ये किस्से सुन रहा था कि ऐन वक्त पर पनामा धमाका हुआ और बिग बी का नाम छटक कर हाशिये पर पहुंच गया. लेकिन क्या अब कोई गुंजाइश नहीं बची है, बच्चन के राष्ट्रपति भवन पहुंचने की राह में?
काटजू की पंसद
अमिताभ के फैन कहते हैं कि जब रोनॉल्ड रेगन अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं तो अमिताभ बच्चन भारत के क्यों नहीं?
लेकिन जस्टिस काटजू कैटरीना के नाम का सुझाव तब दिया जब क्रोएशिया में एक सुंदर महिला राष्ट्रपति बनीं. काटजू का तर्क था कि जब आर्थिक रूप से बीमार क्रोएशिया मिस ग्रैबर किटरोविक को अपना राष्ट्रपति बना सकता है, तो हम क्यों नहीं? साथ ही काटजू ने एक शर्त भी रखी - अपने शपथ ग्रहण के मौके पर कैटरीना को अपना मशहूर गीत 'शीला की जवानी' गाना होगा.
इसे भी पढ़ें: मेरी कश्ती वहां डूबी जहां चीनी नहीं, पानी कम था
जस्टिस काटजू ने अपनी पोस्ट के अंत में लिखा - 'हरि ओम!' तकरीबन उसी अंदाज में जैसे टीवी धारावाहिक 'चिड़िया घर' के मुखिया के मुहं से अक्सर सुनने को मिलता है.
अब सुनने में आ रहा है कि पनामा लीक्स ने अमिताभ बच्चन का नाम रेस से बाहर कर दिया है. तो क्या अमिताभ को निराशा ही हाथ लगेगी? शायद नहीं!
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार कैटरीना कैफ को देश का राष्ट्रपति बनाने की सलाह दी थी. मार्च में शत्रुघ्न सिन्हा ने अमिताभ बच्चन को अगला राष्ट्रपति बनाने की चर्चा चलाई. अमर सिंह ने एक इंटरव्यू में ये कह कर हलचल ही मचा दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमिताभ बच्चन का नाम अगले राष्ट्रपति के लिए देश के सामने रखने वाले हैं. जमाना बड़े शौक से ये किस्से सुन रहा था कि ऐन वक्त पर पनामा धमाका हुआ और बिग बी का नाम छटक कर हाशिये पर पहुंच गया. लेकिन क्या अब कोई गुंजाइश नहीं बची है, बच्चन के राष्ट्रपति भवन पहुंचने की राह में? काटजू की पंसद अमिताभ के फैन कहते हैं कि जब रोनॉल्ड रेगन अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं तो अमिताभ बच्चन भारत के क्यों नहीं? लेकिन जस्टिस काटजू कैटरीना के नाम का सुझाव तब दिया जब क्रोएशिया में एक सुंदर महिला राष्ट्रपति बनीं. काटजू का तर्क था कि जब आर्थिक रूप से बीमार क्रोएशिया मिस ग्रैबर किटरोविक को अपना राष्ट्रपति बना सकता है, तो हम क्यों नहीं? साथ ही काटजू ने एक शर्त भी रखी - अपने शपथ ग्रहण के मौके पर कैटरीना को अपना मशहूर गीत 'शीला की जवानी' गाना होगा. इसे भी पढ़ें: मेरी कश्ती वहां डूबी जहां चीनी नहीं, पानी कम था जस्टिस काटजू ने अपनी पोस्ट के अंत में लिखा - 'हरि ओम!' तकरीबन उसी अंदाज में जैसे टीवी धारावाहिक 'चिड़िया घर' के मुखिया के मुहं से अक्सर सुनने को मिलता है. अब सुनने में आ रहा है कि पनामा लीक्स ने अमिताभ बच्चन का नाम रेस से बाहर कर दिया है. तो क्या अमिताभ को निराशा ही हाथ लगेगी? शायद नहीं!
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल अगले साल जुलाई में खत्म हो रहा है. तब तक काफी समय है. बोफोर्स से उबरने में अमिताभ बच्चन को बरसों जरूर लग गये लेकिन पनाना में इतना वक्त कहां कि फैसला आने में इतना भी वक्त लगे. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता का मानना है, "हमने 35 साल पहले भी 'बोफोर्स' के रूप में यही सबकुछ देखा है... आज अगस्टा मामला भी बोफोर्स कांड की तरह एक ठंडे अंत की ओर बढ़ रहा है." दक्षिण और उत्तर का फर्क फिल्म कलाकारों को जितना तवज्जो दक्षिण भारत में मिलता है, उत्तर भारत में स्थिति वैसी नहीं है. तमिलनाडु में जे. जयललिता रिकॉर्ड कायम करते हुए दोबारा मुख्यमंत्री बनी हैं. 16 की उम्र में फिल्मों में आईं जयललिता से पहले उनके मेंटोर एमजी रामचंद्रन ने ही इस तरह सत्ता में वापसी की थी, वरना - वहां हर पांच साल बात सत्ता से बाहर होना पड़ता है. तमिलनाडु के दूसरे मजबूत नेता एम करुणानिधि भी फिल्मी बैकग्राउंड के हैं. एमजीआर, जया और करुणानिधि के अलावा भी दक्षिण भारत में फिल्मी पृष्ठभूमि वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है. दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी एनटी रामाराव के अलावा कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है. उत्तर भारत में स्थिति अलग है. सुनील दत्त से लेकर राज बब्बर, जया बच्चन, जया प्रदा और हेमामालिनी तक लिस्ट तो लंबी है लेकिन ये दक्षिण भारत के कलाकारों की तरह बड़े पद पर नहीं पहुंच पाये. मशहूर एक्टर रेखा जैसे नाम भी इस सूची में हैं लेकिन उनकी अहमियत कभी शो पीस से ज्यादा नहीं रही. अमिताभ क्यों नहीं? देश का पहला नागरिक, सुप्रीम कमांडर और संवैधानिक प्रमुख - भारत के राष्ट्रपति होने के ये तकनीकी पक्ष हैं, व्यावहारिक तौर पर राष्ट्रपति को रबर स्टांप से ज्यादा शायद ही समझा जाता हो, तब तक जब तक कि संवैधानिक संकट की स्थिति न बने. अब तक 13 राष्ट्रपति हुए हैं जिनमें उद्भट विद्वान से लेकर अनुभवी राजनेता शुमार हैं, लेकिन कुछ शो पीस भी रहे हैं जिन्होंने मौका मिलने पर भी दस्तखत और एहसान लौटाने के सिवा कुछ खास नहीं किया. जब भ्रष्टाचार के मामले में जेल से लौट कर जयललिता सीधे सीएम की कुर्सी पर बैठ सकती हैं, लालू प्रसाद यादव महागठबंधन के सबसे बड़े नेता बन सकते हैं, अमित शाह सत्ताधारी पार्टी के अगुवा बन सकते हैं, बीएस येद्दियुरप्पा फिर से मैदान में उतर सकते हैं गोधरा दंगों के मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकते हैं - तो अमिताभ बच्चन बोफोर्स की तरह पनामा से उबरने के बाद राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार क्यों नहीं बन सकते? इसे भी पढ़ें: दुनिया को झकझोरने वाले पनामा पेपर लीक्स से जुड़ी ये 10 जरूरी बातें अब सवाल ये उठता है कि क्या अमिताभ इस बात के लिए तैयार होंगे? अमिताभ बच्चन का राजनीति में बहुत बुरा अनुभव रहा है. इलाहाबाद में हेमवती नंदन बहुगुणा को हरा कर लोक सभा पहुंचने वाले अमिताभ ने राजनीति में फिर कभी न लौटने की बात करते रहे हैं. वैसे बच्चन का बचपन से ही सियासी गलियारों में मजबूत मौजूदगी दर्ज रही है. कभी गांधी परिवार के नजदीक रहे अमिताभ को इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है. फिलहाल अमिताभ की राह में पनाना केस से भी बड़ी अगर कोई बाधा नजर आ रही है तो वो है राजस्थान के एक नामी ज्योतिषी की भविष्यवाणी. ज्योतिषी की भविष्यवाणी है कि स्मृति ईरानी देश की राष्ट्रपति बनेंगी. अब देखना होगा कि ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच होती है या फिर अमिताभ का किस्मत कनेक्शन! इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |