अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. आंदोलनकारी कहीं ट्रेनें फूंक दे रहे हैं. तो, कहीं पुलिस चौकियों से लेकर गाड़ियां और रोडवेज की बसें. आंदोलनकारियों के पथराव में कही बुजुर्ग फंसे दिखाई दे रहे हैं. तो, कहीं पथराव के बीच स्कूल बस में रोते-बिलखते बच्चे नजर आ रहे हैं. हालांकि, मोदी सरकार की ओर से अग्निपथ योजना को लेकर अब तक उम्र सीमा बढ़ाने से लेकर अन्य सुरक्षा बलों की भर्ती में अग्निवीरों को वरीयता देने की घोषणा भी हो चुकी है. इन सबके बावजूद विरोध प्रदर्शन थमता नजर नहीं आ रहा है. अग्निपथ योजना के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारियों में सबसे ज्यादा उग्रता नजर आ रही है. लेकिन, सेना में भर्ती होने का सपना पाल रहे युवाओं का कोई प्रदर्शन इस कदर हिंसक और अराजक हो सकता है क्या? अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है...
ऑर्गनाइज्ड तरीके से बवाल
अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई हिस्सों में हिंसक बवाल हो रहा है. लेकिन, आंदोलनकारियों का सबसे ज्यादा प्रदर्शन बिहार और उत्तर प्रदेश में हो रहा है. सोचने वाली बात है कि अग्निपथ योजना के लॉन्च होने के अगले ही दिन से बड़ी संख्या में इसका विरोध होने लगता है. जबकि, Agnipath Scheme के बारे में सभी बातें साफ कर दी गई थीं. अचानक से एक भीड़ आती है और ट्रेनें फूंक देती हैं. पथराव करने वाले मुंह पर कपड़ा बांध कर संगठित रूप से इन घटनाओं को अंजाम देते हैं. ये सभी किसी न किसी रूप में एक संगठित अपराध की ओर इशारा करते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अग्निपथ योजना के खिलाफ एक ऑर्गनाइज्ड तरीके से बवाल किया जा रहा है. जो बिहार से शुरू होकर देश के अन्य राज्यों में फैल गया.
अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. आंदोलनकारी कहीं ट्रेनें फूंक दे रहे हैं. तो, कहीं पुलिस चौकियों से लेकर गाड़ियां और रोडवेज की बसें. आंदोलनकारियों के पथराव में कही बुजुर्ग फंसे दिखाई दे रहे हैं. तो, कहीं पथराव के बीच स्कूल बस में रोते-बिलखते बच्चे नजर आ रहे हैं. हालांकि, मोदी सरकार की ओर से अग्निपथ योजना को लेकर अब तक उम्र सीमा बढ़ाने से लेकर अन्य सुरक्षा बलों की भर्ती में अग्निवीरों को वरीयता देने की घोषणा भी हो चुकी है. इन सबके बावजूद विरोध प्रदर्शन थमता नजर नहीं आ रहा है. अग्निपथ योजना के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारियों में सबसे ज्यादा उग्रता नजर आ रही है. लेकिन, सेना में भर्ती होने का सपना पाल रहे युवाओं का कोई प्रदर्शन इस कदर हिंसक और अराजक हो सकता है क्या? अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है...
ऑर्गनाइज्ड तरीके से बवाल
अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई हिस्सों में हिंसक बवाल हो रहा है. लेकिन, आंदोलनकारियों का सबसे ज्यादा प्रदर्शन बिहार और उत्तर प्रदेश में हो रहा है. सोचने वाली बात है कि अग्निपथ योजना के लॉन्च होने के अगले ही दिन से बड़ी संख्या में इसका विरोध होने लगता है. जबकि, Agnipath Scheme के बारे में सभी बातें साफ कर दी गई थीं. अचानक से एक भीड़ आती है और ट्रेनें फूंक देती हैं. पथराव करने वाले मुंह पर कपड़ा बांध कर संगठित रूप से इन घटनाओं को अंजाम देते हैं. ये सभी किसी न किसी रूप में एक संगठित अपराध की ओर इशारा करते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अग्निपथ योजना के खिलाफ एक ऑर्गनाइज्ड तरीके से बवाल किया जा रहा है. जो बिहार से शुरू होकर देश के अन्य राज्यों में फैल गया.
व्हाट्सएप चैट के जरिये हिंसा की साजिश
अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक और अराजक विरोध-प्रदर्शनों के पीछे व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म की एक बड़ी भूमिका सामने आने लगी है. बिहार के कुछ जिलों में गिरफ्तार किये गए आंदोलनकारियों के मोबाइल फोन की व्हाट्सएप चैट में कोचिंग सेंटर्स के मैसेज मिले हैं. जो हिंसा और आगजनी करने के लिए भड़काने में कोचिंग सेंटर्स की संदिग्ध भूमिका की ओर इशारा करते हैं. इतना ही नहीं, कानपुर में भी एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये पुलिस चौकी को आग लगाने की बात सामने आई है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं को भड़काने की एक बड़ी साजिश रची गई. जिसमें कई बड़े लोग शामिल हो सकते हैं.
विपक्षी राजनीतिक दलों का समर्थन
अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को विपक्षी राजनीतिक दलों का भी खुलकर समर्थन मिल रहा है. बिहार में लालू प्रसाद यादव की सियासी पार्टी आरजेडी ने अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं के प्रदर्शन को अपनी सहमति दी है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव आंदोलनकारियों के समर्थन में नजर आ रहे हैं. दिल्ली में वाम दलों और आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अग्निपथ योजना के खिलाफ भी शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शन जैसा एक मौका खोजा जा रहा है. क्योंकि, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी राजनीतिक दलों के पास कोई बड़ा सियासी मुद्दा नहीं है. और, वह इस तरह के प्रदर्शनों को भड़काकर ही अपनी राजनीतिक राह बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
सेना भर्ती के लिए अयोग्य भी आंदोलन में जुटे
सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के विरोध-प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में 'अयोग्य' लोग भी नजर आ रहे हैं. मोदी सरकार ने इस साल के लिए सेना भर्ती में उम्र सीमा को बढ़ाकर 23 साल कर दिया है. लेकिन, अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों में एक बड़ी संख्या 'अयोग्य' भी नजर आ रही है. विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों में बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग नजर आ रहे हैं, जिनकी उम्र सेना में भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता से कहीं ज्यादा ही नजर आ रही है. इतना ही नहीं भारतीय सेना में फिजिकल एफेसियंस टेस्ट (PET) में लंबाई, वजन जैसी कई चीजों की अर्हता जरूरी होती है. लेकिन, अग्निपथ योजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शन कर रहे बहुत से लोग इन अर्हताओं को ही पूरा करते हुए नजर नहीं आते हैं.
मेरी राय
माना जा सकता है कि अग्निपथ योजना से जुड़ी कुछ बातों पर आंदोलनकारियों की असहमति हो सकती है. लेकिन, इसके लिए किसी भी हाल में हिंसा और आगजनी को सही नहीं ठहराया जा सकता है. शायद ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का सपना पालने वाला कोई युवा देश की ही संपत्ति में आग लगाने या पथराव कर लोगों को घायल करने और लूटपाट जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करेगा. अग्निपथ योजना के खिलाफ किया जा रहा विरोध-प्रदर्शन किसी भी हाल में एक सामान्य विरोध-प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.