आम आदमी पार्टी ने पंजाब में प्रचंड जीत दर्ज की है. और देश की गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी एकमात्र पार्टी है जो एकाधिक राज्यों में सत्ता में है. जाहिर है, मेरे कई मित्रो ने भाजपा के खिलाफ 2024 के संभावित गठबंधन की धुरी के रूप में आप को देखना शुरू कर दिया है.
1- गैर-भाजपा गठबंधन का कोई ढांचा तय नहीं है.
2- ममता और केसीआर विपक्ष की ओर से मुख्य खिलाड़ी बनने का दावा ठोंके हुए हैं.
3- विपक्षी खेमे में अभी भी एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है और वह अपना रुतबा यूं ही नहीं छोड़ देगी.
4- आम आदमी पार्टी राज्य के लिहाज से महज 20 लोकसभा सीटों पर असरदार होगी. ममता के पास 42 सीटों का असर होगा. यहां तक कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ (कांग्रेसनीत राज्य) में भी कुल मिलाकर 36 सीटें हैं.
5- आप अभी तक विधानसभा के प्रदर्शनों को लोकसभा जीतों में बदलने में नाकाम रही है. दिल्ली में अभी तक यह एक भी सीट नहीं जीत पाई है. पंजाब में भी 2014 के चार से गिरकर यह 2019 में एक पर आ गया.
6- गुजरात विधानसभा में प्रदर्शन पर निगाह रखनी होगी, वह भी तब अगर केजरीवाल गुजरात के दोतरफा मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएं. इस राज्य में दो दशकों से भाजपा एक भी विस या लोस चुनाव नहीं हारी है. कांग्रेस ने 2017 में मुकाबला कड़ा किया था पर 2019 में भाजपा कि किल में यह खरोंच तक नहीं लगा पाई थी.
7- 2024 के लोस चुनावों से पहले 10 राज्यों में विस चुनाव होने हैं—हिमाचल, कर्नाटक,...
आम आदमी पार्टी ने पंजाब में प्रचंड जीत दर्ज की है. और देश की गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी एकमात्र पार्टी है जो एकाधिक राज्यों में सत्ता में है. जाहिर है, मेरे कई मित्रो ने भाजपा के खिलाफ 2024 के संभावित गठबंधन की धुरी के रूप में आप को देखना शुरू कर दिया है.
1- गैर-भाजपा गठबंधन का कोई ढांचा तय नहीं है.
2- ममता और केसीआर विपक्ष की ओर से मुख्य खिलाड़ी बनने का दावा ठोंके हुए हैं.
3- विपक्षी खेमे में अभी भी एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है और वह अपना रुतबा यूं ही नहीं छोड़ देगी.
4- आम आदमी पार्टी राज्य के लिहाज से महज 20 लोकसभा सीटों पर असरदार होगी. ममता के पास 42 सीटों का असर होगा. यहां तक कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ (कांग्रेसनीत राज्य) में भी कुल मिलाकर 36 सीटें हैं.
5- आप अभी तक विधानसभा के प्रदर्शनों को लोकसभा जीतों में बदलने में नाकाम रही है. दिल्ली में अभी तक यह एक भी सीट नहीं जीत पाई है. पंजाब में भी 2014 के चार से गिरकर यह 2019 में एक पर आ गया.
6- गुजरात विधानसभा में प्रदर्शन पर निगाह रखनी होगी, वह भी तब अगर केजरीवाल गुजरात के दोतरफा मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएं. इस राज्य में दो दशकों से भाजपा एक भी विस या लोस चुनाव नहीं हारी है. कांग्रेस ने 2017 में मुकाबला कड़ा किया था पर 2019 में भाजपा कि किल में यह खरोंच तक नहीं लगा पाई थी.
7- 2024 के लोस चुनावों से पहले 10 राज्यों में विस चुनाव होने हैं—हिमाचल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम. इन ग्यारह राज्यों (गुजरात समेत) कुल 146 लोस सीटें हैं. इनमें से 121 पर भाजपा काबिज है. इन सभी राज्यों में भाजपा के मुकाबिल सिर्फ कांग्रेस है.
8- गुजरात, हिमाचल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 95 सीटें हैं. यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है.
9- कांग्रेस का चार राज्यों में शासन है—दो में यह सीधे सत्ता में है और दो में गठबंधन के जूनियर साझीदार के रूप में, लेकिन पार्टी 15 अन्य राज्यों में प्रमुख खिलाड़ी है. सात राज्यों—अरुणाचल, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड—में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, इन राज्यों में लोस की 102 सीटें हैं.
इन राज्यों मे अन्य क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी तकरीबन नगण्य है ऐसे में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब होगा तो भाजपा को नुक्सान पहुंचा सकने वाली अन्य ताकत दिखेगी भी नहीं. असल में इन राज्यों में कांग्रेस का बोदा प्रदर्शन ही भाजपा की शक्ति है.
10- पंजाब, असम, कर्नाटक, केरल, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में कांग्रेस निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है. इन राज्यों में लोस की 155 सीटें हैं. कांग्रेस से अलग कोई भी गठबंधन भाजपा विरोधी मतों के बिखराव का सबब बनेगा. याद रखिए, 2019 में कांग्रेस ने 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 196 पर सेकेंड आई थी. भले ही जीती 52 हो.
इसलिए, मोदी का विकल्प बनने की केजरीवाल की महत्वाकांक्षा, कम से कम 2024 के लिए दूर की कौड़ी लगती है. हो सकता है केजरीवाल कदम दर कदम आगे बढ़ाएं, पर इसमें वक्त लगेगा. 2024 में वह ऐसा तभी कर पाएंगे अगर कांग्रेस उनको आगे करे. और कांग्रेस ऐसा क्यों करेगी?
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