मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे ने राहुल गांधी के खिलाफ बिलकुल वैसी ही टिप्पणी की है जैसी गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की थी.
कांग्रेस ने अय्यर से न सिर्फ माफी मंगवायी थी बल्कि तत्काल प्रभाव से सस्पेंड भी कर दिया था. सवाल ये है कि क्या अश्विनी चौबे के साथ भी वैसा ही सलूक होगा जैसा राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर के साथ किया था?
ये बीजेपी के मणिशंकर अय्यर हैं
राफेल विमान सौदे पर राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. राहुल गांधी हर मंच से मोदी को घेरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हो सकता है घोटालों के चलते 2014 में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष उसी मुद्दे के सहारे 2019 में वापसी का रास्ता तलाश रहे हों. राफेल सौदे को लेकर राहुल गांधी के हमले के जवाब में बीजेपी तमाम नेता मैदान में उतर कर मोर्चा संभालते रहते हैं. अरुण जेटली ने भी राहुल गांधी के अल्पज्ञान का मजाक उड़ाते हुए कई सवाल पूछे थे. जेटली के साथी मंत्री अश्विनी चौबे के मन में भी मोदी को निशाना बनाये जाने की वैसी ही पीड़ा रही होगी और वो कुछ ज्यादा ही बहक गये लगते हैं.
बिहार के सासाराम में केंद्रीय मंत्री अश्विनी ने कहा, "प्रधानमंत्री गगन के जैसे हैं और जो आज कांग्रेस अध्यक्ष हैं उनका आकार कैसा, नाली के कीड़े जैसा है." अश्विनी चौबे ने राहुल गांधी को मानसिक तौर पर बीमार बताते हुए इलाज कराने की सलाह भी दी है.
'नीच' और 'नाली का कीड़ा' में कितना फर्क?
2014 के आम चुनाव की तरह 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान भी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. 2014 में तो अय्यर ने मोदी को सिर्फ चाय वाला ही कहा था, प्रधानमंत्री बन जाने के तीन साल बाद तो 'नीच' ही कह डाला था. वैसे अय्यर ने तो अपने बयान को लेकर सजा झेली ही, कांग्रेस को भी गुजरात चुनाव में खासी कीमत चुकानी पड़ी थी.
क्या अश्विनी चौबे पर अय्यर जैसा एक्शन होगा?
एक सवाल के जवाब में मणिशंकर अय्यर ने कहा कि, "मुझको लगता है कि ये आदमी बहुत ही नीच किस्म का आदमी है. इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौकों पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?"
राहुल गांधी ने फौरी कदम उठाते हुए साफ किया कि कांग्रेस इस तरह की बातों में यकीन नहीं रखती. कांग्रेस प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ध्यान रखती है और सम्मान करती है. राहुल के सख्त रवैये के बाद मणिशंकर ने सार्वजनिक तौर पर खेद प्रकट किया और समझाने की कोशिश की कि ऐसा वो हिंदी के अल्प ज्ञान के कारण बोल गये और उनका उद्देश्य प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था.
वैसे अश्विनी चौबे के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है क्योंकि उनकी हिंदी अच्छी है. अश्विनी चौबे ने लोगों को दोनों में बुनियादी फर्क समझाने के लिए ही दो उपमाओं का इस्तेमाल किया है. अश्विनी चौबे की भाषा अलंकारिक है और उन्होंने इसमें उपमा अलंकार का इस्तेमाल किया है - हां, उनके इरादे को घटिया जरूर कहा जा सकता है.
हिसाब बराबर कब तक?
अश्विनी चौबे का ये बयान ऐसे दौर में आया है जब देश में मुक्त अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी पर बहस चल रही है. सुप्रीम कोर्ट इसे लोकतंत्र के लिए सेफ्टी वॉल्व मान रहा है तो विधि आयोग साफ तौर पर कह रहा है कि असहमति का देशद्रोह की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता. वैसे ये दोनों ही बातें शासन व्यवस्था के संदर्भ में कही गयी हैं. ये बराबरी के किन्हीं दो पक्षों के बीच की सहमति या असहमति को लेकर नहीं हैं.
व्यवस्था विरोध से इतर वैचारिक असहमति और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में इसकी छूट भी वहीं तक है जहां तक दूसरे पक्ष की आजादी प्रभावित न हो रही हो.
मालूम नहीं अश्विनी चौबे को राहुल गांधी पर बयान देते वक्त प्रधानमंत्री मोदी की उस टिप्पणी की ओर ध्यान गया या नहीं, जिसमें बीके हरिप्रसाद को घसीटा गया था. अगर अश्विनी चौबे भूल चुके हों तो उन्हें ठीक से याद कर लेना चाहिये कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी को संसद के रिकॉर्ड से डिलीट कर दिया गया था. राज्य सभा उपसभापति चुनाव में बीके हरिप्रसाद कांग्रेस के उम्मीदवार थे जिन्हें एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह ने हरा दिया था.
एक बात जरूर गौर करने लायक है कि राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर के खिलाफ प्रधानमंत्री पर टिप्पणी के लिए एक्शन लिया था. हो सकता है अय्यर ने ऐसा कुछ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कहा होता तो राहुल गांधी का रवैया अलग भी होता. इस लिहाज से देखें तो राहुल गांधी भी देश के सबसे बड़े विपक्षी दल के अध्यक्ष हैं, प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री नहीं.
वैसे मणिशंकर अय्यर की ही तरह अश्विनी चौबे ने दोबारा ऐसा विवादित बयान दिया है. 2015 में नवादा की एक सभा में अश्विनी चौबे ने राहुल गांधी को विदेशी 'तोता' और सोनिया गांधी को 'इटली की गुड़िया जहर की पुड़िया है' कहते हुए महाभारत काल की 'पूतना' करार दिया था.
मोदी पर मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद राहुल गांधी के एक्शन को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट के जरिये सवाल खड़ा किया था. अश्विनी चौबे के बयान के बाद ये सवाल फिर से प्रासंगिक हो गया है.
इन्हें भी पढ़ें :
Gujarat election : अय्यर कितने ही 'नीच' बयान दें, कांग्रेस में हमेशा 'उच्च' ही रहेंगे
'बिके हरि' और बिक गई प्रधानमंत्री पद की गरिमा
मोदी की हत्या की साजिश पर संजय निरूपम का बयान मणिशंकर अय्यर से ज्यादा घटिया है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.