गाय सदियों से भारत में एक सांस्कृतिक और उपयोगिता का पशु रहा है. यहां तक की इसे ऋगवेद के दिनों के में धन की एक इकाई के रूप में भी माना जाता था. जिसके पास जितनी गाएं होंगी समाज में उसकी स्थिति उतनी ही मजबूत होगी. लेकिन हाल के दिनों में गाय राजनीतिक पूंजी के रुप में उपयोगी हो गयी है. गाय के संरक्षण के नाम पर लोग मारे जा रहे हैं.
लेकिन हिंद महासागर के पार अलग महाद्वीप के एक देश में इस जानवर की अपनी एक अलग कहानी है. वह देश मध्य अफ्रीका में रवांडा है, जहां भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्थानीय लोगों को 200 गायों का उपहार दिया. ये उपहार रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे के कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए लोगों को दिया गया.
गाय को रवांडा में समान रूप से सम्मानित किया जाता है और इसे सबसे अच्छा उपहार माना जाता है. इसके लिए रवांडा सरकार महत्वाकांक्षी योजना भी चलाती है. इस योजना को गिरिंका प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है. इसे देश में गरीबी और बाल कुपोषण से लड़ने और लोगों के भोजन, पोषण और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 2006 में राष्ट्रपति कगामे ने लॉन्च किया था. गिरिंका का शाब्दिक अर्थ है "आपके पास गाय हो".
गिरिंका को समर्पित रवांडा सरकार की वेबसाइट के अनुसार, इस कार्यक्रम को बाल कुपोषण दर को कम करने और गरीब किसानों की घरेलू आय में वृद्धि के केंद्रीय उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था. रवांडा कृषि मंत्रालय गिरिंका कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बताता है, "इन लक्ष्यों को सीधे गरीबों को प्रदान करके और दूध की खपत बढ़ाकर हासिल किया जाता है."
गाय ही...
गाय सदियों से भारत में एक सांस्कृतिक और उपयोगिता का पशु रहा है. यहां तक की इसे ऋगवेद के दिनों के में धन की एक इकाई के रूप में भी माना जाता था. जिसके पास जितनी गाएं होंगी समाज में उसकी स्थिति उतनी ही मजबूत होगी. लेकिन हाल के दिनों में गाय राजनीतिक पूंजी के रुप में उपयोगी हो गयी है. गाय के संरक्षण के नाम पर लोग मारे जा रहे हैं.
लेकिन हिंद महासागर के पार अलग महाद्वीप के एक देश में इस जानवर की अपनी एक अलग कहानी है. वह देश मध्य अफ्रीका में रवांडा है, जहां भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्थानीय लोगों को 200 गायों का उपहार दिया. ये उपहार रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे के कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए लोगों को दिया गया.
गाय को रवांडा में समान रूप से सम्मानित किया जाता है और इसे सबसे अच्छा उपहार माना जाता है. इसके लिए रवांडा सरकार महत्वाकांक्षी योजना भी चलाती है. इस योजना को गिरिंका प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है. इसे देश में गरीबी और बाल कुपोषण से लड़ने और लोगों के भोजन, पोषण और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 2006 में राष्ट्रपति कगामे ने लॉन्च किया था. गिरिंका का शाब्दिक अर्थ है "आपके पास गाय हो".
गिरिंका को समर्पित रवांडा सरकार की वेबसाइट के अनुसार, इस कार्यक्रम को बाल कुपोषण दर को कम करने और गरीब किसानों की घरेलू आय में वृद्धि के केंद्रीय उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था. रवांडा कृषि मंत्रालय गिरिंका कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बताता है, "इन लक्ष्यों को सीधे गरीबों को प्रदान करके और दूध की खपत बढ़ाकर हासिल किया जाता है."
गाय ही क्यों?
रवांडा संस्कृति में गायों का महत्वपूर्ण स्थान है. रवांडा की परंपरा में किसी भी परिवार में गाय सबसे ज्यादा मूल्यवान संपत्ति है. गाएं धन, सामाजिक स्थिति, दूध का स्रोत, मांस और एक ऐसा उपहार है जो रवांडा का कोई नागरिक साथी देशवासियों को दे सकता है. रवांडा के परिवारों में पारंपरिक तौर पर आज भी दहेज में गाएं देने की प्रथा है. लेकिन यहां दुल्हन के परिवार को वर पक्ष द्वारा दहेज दिया जाता है. गिरिंका का उल्लेख 17 वीं शताब्दी में मिलता है जब रवांडा के राजा मिबाम्बवे गिसानुरा ने आदेश दिया कि "किसी भी बच्चे को रोजना दूध की कमी नहीं होगी." इसके साथ ही रवांडा में गायों को उपहार में देने की प्रथा की शुरूआत हुई. राष्ट्रपति कगामे ने 2006 में गिरिंका प्रथा को पुनर्जीवित किया.
अब क्यों?
अफ्रीका के कई देशों की तरह, रवांडा भी एक गरीब देश रहा है. रवांडा में कम कृषि उत्पादकता और औद्योगिक विकास की कमी सबसे बड़ी चुनौतियां रही हैं. ग्रामीण परिवारों की एक बड़ी संख्या, छोटे खेतों में कृषि निर्वाह पर निर्भर करती है. इसने किसानों में गरीबी और निम्न आय को जन्म दिया है.
राष्ट्रपति कगामे ने देश की मौलिक जरूरतों को संबोधित करने के लिए गिरिंका कार्यक्रम शुरू किया. खासकर ग्रामीण इलाकों में महत्वपूर्ण खाद्य असुरक्षा का सामना करना इस योजना के पीछे का मकसद है. गिरिंका ने रवांडा को डेयरी खेती और लोगों की आजीविका में सुधार करके गरीबी को कम करने में मदद की है. दूध की खपत में वृद्धि होने से लोगों की आय भी बढ़ी है.
गिरिंका योजना की वजह से रवांडा ने जैव-उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि देखी है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और क्षरण से लड़ने में मदद मिली है. गायों के लिए चारा की आवश्यकता के कारण घास और पेड़ लगाए जाने लगे जिससे पर्यावरण में सुधार हुआ है.
यह कैसे काम करता है?
एक गाय एक परिवार के गिरिंका कार्यक्रम के तहत, एक गरीब परिवार को गाय दी जाती है. जब पहली महिला बछड़ा, गाय से पैदा होती है, तो इसे पड़ोसी को भाईचारे और राष्ट्रीय एकजुटता के प्रतीक के रूप में उपहार दिया जाता है. रवांडा के हर जिले में गांव के स्तर पर लाभार्थियों का चयन किया जाता है. सरकार चारा, टीकाकरण, अन्य पशु चिकित्सा सेवाओं और कृत्रिम गर्भधारण के लिए बजट मुहैया कराती है.
रवांडा का लक्ष्य अगले दो वर्षों में गिरिंका कार्यक्रम के माध्यम से अपने विजन 2020 के तहत कम आय समूह के देश से मध्यम आय समूह में स्थापित होना है. 3,50,000 परिवारों को गाएं वितरित करने के लक्ष्य में जून 2016 तक रवांडा ने 2,50,000 परिवारों को दे चुके हैं. रवांडा सरकार के अनुसार, गिरिंका कार्यक्रम ने रवांडा के वासियों के बीच एकता और सुलह को बढ़ावा दिया है. और देश के सांस्कृतिक सिद्धांत को वापस ध्यान में लाया है.
यहीं पर गाएं भारत के साथ रवांडा को जोड़ती हैं. यह बताता है कि प्रधान मंत्री मोदी ने रवांडा के लोगों को 200 गायों का उपहार देने का फैसला क्यों किया.
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