कई जवाबों से अच्छी है खामोशी मेरी
न जाने कितने सवालों की आबरू रखे.
एक 'गुमनाम' शायर का ये शेर अगर किसी नेता पर रखने को कहा जाए तो शायद राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एकमात्र ऐसे शख्स हैं जिनपर ये शेर पूरी तरह फिट बैठता नजर आ रहा है. राजस्थान में चल रहे गुर्जर आंदोलन को पांच दिन पूरे हो गए हैं. रेल यातायात बाधित है, सड़क पर चक्केजाम हैं.सरकारी नौकरी के अलावा शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में गुर्जर समुदाय का आंदोलन हिंसक हो गया है और राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट चुप हैं. उनका जिक्र इसलिए अहम है क्योंकि वे खुद इसी समुदाय से आते हैं. और पूर्व में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान खासे मुखर रहे हैं.
ज्ञात हो कि राजस्थान के धौलपुर में धारा 144 लागू है. यहां प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पुलिस पर पथराव किया. बल्कि उनके द्वारा फायरिंग भी की गई जिसके चलते 15 लोग घायल हुए हैं. बताया जा रहा है कि आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित भरतपुर और अजमेर संभाग हैं.
स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा है. धौलपुर के एसपी अजय सिंह के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ हाईवे को ब्लॉक किया बल्कि फंसे हुए यात्रियों पर हमला किया और महिलाओं के साथ बदसलूकी की. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि जब पुलिस ने आंदोलनकारियों को चेतावनी दी तो उन्होंने पुलिस पर पत्थाव बरसाने शुरू कर दिए. इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस की तीन गाड़ियों को आग के हवाले भी कर दिया.
वहीं जब इस पूरे...
कई जवाबों से अच्छी है खामोशी मेरी
न जाने कितने सवालों की आबरू रखे.
एक 'गुमनाम' शायर का ये शेर अगर किसी नेता पर रखने को कहा जाए तो शायद राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एकमात्र ऐसे शख्स हैं जिनपर ये शेर पूरी तरह फिट बैठता नजर आ रहा है. राजस्थान में चल रहे गुर्जर आंदोलन को पांच दिन पूरे हो गए हैं. रेल यातायात बाधित है, सड़क पर चक्केजाम हैं.सरकारी नौकरी के अलावा शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में गुर्जर समुदाय का आंदोलन हिंसक हो गया है और राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट चुप हैं. उनका जिक्र इसलिए अहम है क्योंकि वे खुद इसी समुदाय से आते हैं. और पूर्व में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान खासे मुखर रहे हैं.
ज्ञात हो कि राजस्थान के धौलपुर में धारा 144 लागू है. यहां प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पुलिस पर पथराव किया. बल्कि उनके द्वारा फायरिंग भी की गई जिसके चलते 15 लोग घायल हुए हैं. बताया जा रहा है कि आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित भरतपुर और अजमेर संभाग हैं.
स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा है. धौलपुर के एसपी अजय सिंह के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ हाईवे को ब्लॉक किया बल्कि फंसे हुए यात्रियों पर हमला किया और महिलाओं के साथ बदसलूकी की. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि जब पुलिस ने आंदोलनकारियों को चेतावनी दी तो उन्होंने पुलिस पर पत्थाव बरसाने शुरू कर दिए. इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस की तीन गाड़ियों को आग के हवाले भी कर दिया.
वहीं जब इस पूरे मामले पर गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला से बात की गई तो उन्होंने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा किधौलपुर में प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने उकसाया था. इसके अलावा गुर्जर नेताओं ने इस बात को भी सिरे से खारिज किया है कि प्रदर्शनकारियों ने गोली चलाई है.
गौरतलब है कि गुर्जर नेता बैंसला के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने सवाई माधोपुर जिले में रेल पटरियों को ब्लॉक कर दिया है जिसके चलते 20 ट्रेनें रद्द कर दी गईं और कई ट्रेनों के मार्ग परिवर्तित किये गए हैं. मामला दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है. राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने और धरना खत्म करने की अपील की है.
वहीं जब हमने इस अहम मसले पर राय जानने के लिए राज्य के उपमुख्यमंत्री और खुद गुर्जरों के बड़े नेताओं में शुमार सचिन पायलट की ट्विटर प्रोफाइल का रुख किया तो परिणाम चौकाने वाले थे. हर अहम मुद्दे पर ट्वीट करने वाले सचिन इस मुद्दे पर बचते दिखे. सचिन पायलट ने फ़िलहाल इस मुद्दे पर अपने ट्विटर पर कुछ नहीं कहा है. उनका ताजा ट्वीट दिल्ली के करोल बाग में हुई आगजनी की घटना पर है. जहां वे मृतक के परिजनों को ढांढस बंधा रहे हैं. जबकि अपने राज्य में असुविधा झेल रहे लोगों पर उनकी कोई राय नहीं है. न तो उपमुख्यमंत्री के नाते, और न ही गुर्जर नेता के नाते.
इस लड़ाई को आर पार की लड़ाई मानने वाले गुर्जर नेताओं के अनुसार समुदाय कांग्रेस से बहुत नाराज है जिसने गुर्जर समुदाय के लोगों के साथ बड़ा छल किया है. गुर्जर नेता बैंसला के अनुसार इस बार ये लड़ाई हमेशा के लिए खत्म तभी होगी जब मांगें मान ली जाएंगी. वहीं जब उनसे इस आंदोलन के चलते होने वाली दुश्वारियों के सन्दर्भ में सवाल किया गया तो उन्होंने ये कहकर हैरत में डाल दिया कि, हमें आम लोगों की दिक्कतों से कोई मतलब नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि उस परेशानी का क्या जो हमारा समुदाय आरक्षण न मिलने के चलते बरसों से झेल रहा है.
बहरहाल, गुर्जरों को आरक्षण मिलता है या नहीं इसका जवाब वक़्त देगा मगर जिस तरह राज्य के उपमुख्यमंत्री इस मामले को हल्के में लिए हुए हैं कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा आसानी ससे लगाया जा सकता है कि राज्य में कुछ ठीक नहीं है.
सचिन पायलट की ये चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है और बेहतर यही होगा कि वो सामने आएं और खुल कर इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करें. सारा देश जानना चाहता है कि इस अहम मुद्दे पर उनका स्टैंड क्या है.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.