बीते कुछ महीनों से तमिलनाडु की आरके नगर विधानसभा सीट सियासी अखाड़ा बनी हुई थी, क्योंकि यह सीट वहां की ताक़तवर और चर्चित मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद खाली हुई थी. इस सीट को जयललिता और एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता था. इसलिए सबकी निगाहें इस सीट के उपचुनाव के नतीजों पर थीं. जैसा कि अंदाजा था इसमें निर्दलीय उम्मीदवार टीटीवी दिनाकरन ने बड़ी जीत हासिल की. उन्होंने अपने करीबी एआईएडीएमके के उम्मीदवार ई. मधुसूदनन को 40 हजार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया. अब यहां का यह नतीजा मुख्यमंत्री पलानीस्वामी तथा उप-मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम गुट के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यह सीट हर पार्टी के लिए साख का विषय बनी हुई थी और यहां जीतने वाले की राह आगे के लिए आसान मानी जाती है.
टीटीवी दिनाकरन की इस जीत से तमिलनाडु की राजनीति में उठापटक संभव: जयललिता के निधन के बाद खाली हुई इस सीट को उनकी राजनीतिक विरासत के रूप में देखा जा रहा था, इसलिए दिनाकरन की जीत के बाद अब तमिलनाडु के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. पलानीस्वामी तथा पन्नीरसेल्वम गुट का झगड़ा फिर से उभर सकता है तथा विपक्षी डीएमके भी हमलावर हो सकती है. लेकिन साथ ही साथ स्टालिन के नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लग सकता है.
शशिकला खेमा मज़बूत होगा: पिछले साल जब जयललिता कि मौत हुई थी तब से ही एआईएडीएमके में फूट पड़ गई थी और शशिकला खेमा एवं ओपीएस-ईपीएस खेमे में उत्तराधिकार को लेकर लड़ाई जारी थी. दोनों खेमे ही जयललिता की विरासत का दावा करते रहे हैं. ऐसे में अब चूंकि दिनाकरन इस सीट पर अपना परचम लहरा चुके हैं तो यहां शशिकला खेमा मज़बूत...
बीते कुछ महीनों से तमिलनाडु की आरके नगर विधानसभा सीट सियासी अखाड़ा बनी हुई थी, क्योंकि यह सीट वहां की ताक़तवर और चर्चित मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद खाली हुई थी. इस सीट को जयललिता और एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता था. इसलिए सबकी निगाहें इस सीट के उपचुनाव के नतीजों पर थीं. जैसा कि अंदाजा था इसमें निर्दलीय उम्मीदवार टीटीवी दिनाकरन ने बड़ी जीत हासिल की. उन्होंने अपने करीबी एआईएडीएमके के उम्मीदवार ई. मधुसूदनन को 40 हजार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया. अब यहां का यह नतीजा मुख्यमंत्री पलानीस्वामी तथा उप-मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम गुट के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यह सीट हर पार्टी के लिए साख का विषय बनी हुई थी और यहां जीतने वाले की राह आगे के लिए आसान मानी जाती है.
टीटीवी दिनाकरन की इस जीत से तमिलनाडु की राजनीति में उठापटक संभव: जयललिता के निधन के बाद खाली हुई इस सीट को उनकी राजनीतिक विरासत के रूप में देखा जा रहा था, इसलिए दिनाकरन की जीत के बाद अब तमिलनाडु के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. पलानीस्वामी तथा पन्नीरसेल्वम गुट का झगड़ा फिर से उभर सकता है तथा विपक्षी डीएमके भी हमलावर हो सकती है. लेकिन साथ ही साथ स्टालिन के नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लग सकता है.
शशिकला खेमा मज़बूत होगा: पिछले साल जब जयललिता कि मौत हुई थी तब से ही एआईएडीएमके में फूट पड़ गई थी और शशिकला खेमा एवं ओपीएस-ईपीएस खेमे में उत्तराधिकार को लेकर लड़ाई जारी थी. दोनों खेमे ही जयललिता की विरासत का दावा करते रहे हैं. ऐसे में अब चूंकि दिनाकरन इस सीट पर अपना परचम लहरा चुके हैं तो यहां शशिकला खेमा मज़बूत होगा और ओपीएस-ईपीएस खेमा बैकफुट पर नज़र आएगा.
शशिकला के परिवार के अन्य लोग राजनीति में आ सकते हैं : जब से शशिकला मुकदमों में फंसी हैं और जेल गई हैं तब से उसके परिवार के कई लोग खुलकर उनके समर्थन में आए और राजनीतिक बयानबाजी करते रहे हैं. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि उनके लिए राजनीति में आने का सुनहरा मौका है और वो इसका फायदा उठाएंगे.
सरकार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ सकता है: चूंकि आरके नगर सीट शुरू से ही एआईएडीएमके के गढ़ के रूप में देखी जाती रही है, इसलिए वहां पर 40 हजार से ज़्यादा वोटों से दिनाकरन का जीतना कहीं न कहीं पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता दिख रहा है और यह दिखाता है कि जनता इनसे खुश नहीं थी. यानि यह साफ़ दिखता है कि जयललिता के निधन के बाद वहां की जनता पलानीस्वामी को नहीं चाहती थी.
एआईएडीएमके टूट सकता है: इस नतीजे के बाद ओपीएस-ईपीएस खेमे में दरार पड़ सकती है और अगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसमें DMK अहम भूमिका निभा सकती है ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में उसे इसका फायदा मिल सके.
ज्ञात हो कि आरके नगर की सीट को सभी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दिनाकरन का इसे एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतना आने वाले समय में तमिलनाडु की राजनीति में यह तय करेगा कि जयललिता की विरासत किसे मिलेगी और वहां की सत्ता पर किसका कब्ज़ा होगा.
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