हाल ही में हिमाचल में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी गई. मेरा ध्यान तब गया जब समाचार पत्रों में बड़े बड़े विज्ञापन देखें जिसमें हिमाचल के मुख्यमंत्री के बड़े से फ़ोटो के साथ ओल्ड पैंशन स्कीम की बहाली का विज्ञापन था. अगर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो कांग्रेस OPS के माध्यम से लोकसभा चुनाव को साधने की तैयारी में है. आंकड़ों की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश भर में NPS यानी कि न्यू पैंशन स्कीम के अंदर 60 लाख कर्मचारी आते हैं. हिमाचल चुनाव के बाद OPS की बहाली को देखते हुए कर्मचारियों का सीधा रुख कांग्रेस की तरफ़ हो सकता है. लेकिन आप हैरान रह जाएंगे जब आरबीआई यानि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की एक लेटेस्ट रिपोर्ट पढ़ेंगे तो.रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि 'राज्यों के इस कदम से राजकोषीय संसाधनों का वार्षिक बचत अल्पकालीन रह जाएगा. राज्य मौजूदा खर्चों को स्थगित कर ओल्ड पेंशन स्कीम की तरफ लौट रहे हैं, इससे वित्तीय बोझ बढ़ता जाएगा.
RBI के मुताबिक साल 2022-23 के बजट ऐस्टीमेट के मुताबिक राज्यों के पेंशन भुगतान पर खर्च करीब 16% बढ़ने की संभावना है. 2022-23 में यह 463,436 करोड़ तक पहुंच सकता है. इससे पिछले वित्तीय वर्ष में पेंशन भुगतान का खर्च 399,813 करोड़ था.हालांकि अब कांग्रेस शासित सरकारों ने इसे लागू करने के पीछे कितना रिसर्च किया है, यह तो वही अच्छे से बता सकते हैं. आपको बता दें OPS का कई अर्थशास्त्री विरोध कर चुके हैं.
भाजपा सांसद शुशील मोदी ने भी इसको लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारें आने वाली पीढ़ियों के लिए बोझ छोड़कर जाएं, यह कदापि उचित नहीं होगा.आज आपको कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन 2034 में जो सरकार आएगी, उसकी...
हाल ही में हिमाचल में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी गई. मेरा ध्यान तब गया जब समाचार पत्रों में बड़े बड़े विज्ञापन देखें जिसमें हिमाचल के मुख्यमंत्री के बड़े से फ़ोटो के साथ ओल्ड पैंशन स्कीम की बहाली का विज्ञापन था. अगर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो कांग्रेस OPS के माध्यम से लोकसभा चुनाव को साधने की तैयारी में है. आंकड़ों की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश भर में NPS यानी कि न्यू पैंशन स्कीम के अंदर 60 लाख कर्मचारी आते हैं. हिमाचल चुनाव के बाद OPS की बहाली को देखते हुए कर्मचारियों का सीधा रुख कांग्रेस की तरफ़ हो सकता है. लेकिन आप हैरान रह जाएंगे जब आरबीआई यानि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की एक लेटेस्ट रिपोर्ट पढ़ेंगे तो.रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि 'राज्यों के इस कदम से राजकोषीय संसाधनों का वार्षिक बचत अल्पकालीन रह जाएगा. राज्य मौजूदा खर्चों को स्थगित कर ओल्ड पेंशन स्कीम की तरफ लौट रहे हैं, इससे वित्तीय बोझ बढ़ता जाएगा.
RBI के मुताबिक साल 2022-23 के बजट ऐस्टीमेट के मुताबिक राज्यों के पेंशन भुगतान पर खर्च करीब 16% बढ़ने की संभावना है. 2022-23 में यह 463,436 करोड़ तक पहुंच सकता है. इससे पिछले वित्तीय वर्ष में पेंशन भुगतान का खर्च 399,813 करोड़ था.हालांकि अब कांग्रेस शासित सरकारों ने इसे लागू करने के पीछे कितना रिसर्च किया है, यह तो वही अच्छे से बता सकते हैं. आपको बता दें OPS का कई अर्थशास्त्री विरोध कर चुके हैं.
भाजपा सांसद शुशील मोदी ने भी इसको लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारें आने वाली पीढ़ियों के लिए बोझ छोड़कर जाएं, यह कदापि उचित नहीं होगा.आज आपको कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन 2034 में जो सरकार आएगी, उसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी.
और भारत के बहुत सारे ऐसे राज्य होंगे, जिनकी हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी. इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि पुरानी पेंशन योजना के भूत को मत जगाइए. यह बहुत बड़ा खतरा है. हम पूरे देश को संकट में डाल देंगे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रत्येक वर्ष केवल पेंशन(ops) के रूप में राज्यों और केंद्र को भुगतान करना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश अपने कुल राजस्व का 80 प्रतिशत केवल पेंशन पर व्यय करता है.
बिहार का 60 प्रतिशत और पंजाब का 34 प्रतिशत पेंशन पर व्यय होता है. अगर आय और ब्याज को जोड़ दिया जाए तो राज्यों के पास कुछ भी नहीं बचेगा. हालांकि कर्मचारियों के लिए ऑल्ड पैंशन स्कीम अच्छी है. इसके लिए समय समय पर कर्मचारियों द्वारा मांग और ज्ञापन भी दिए जाते हैं. लेकिन आरबीआई की चेतावनी को नज़र अंदाज़ करना खतरनाक साबित हो सकता है. आरबीआई ने साफ़ कहा है कि राज्य के पास वित्त नहीं होगा, यह राज्यों की वित्तीय सेहत पर खतरा है. कंग्रेस से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह न्यू पैंशन स्कीम यानि NPS के समर्थक रहे हैं.
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