26/11 मुंबई हमले को 9 साल पूरे होने वाले हैं. इन 9 सालों में पूरे विश्व ने भारत की मजबूरी देखी है और अभी भी यह सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. बात ताकत की करें तो शक्ति के मामले में, हम किसी से कम नहीं हैं. यहां तक कि हमारे न्यूज चैनलों के ड्रामेबाज भी हर दूसरे रोज कहीं न कहीं वार करवाते हैं, और चीन को पटखनी दे देते हैं. पाकिस्तान को धूल चटाना भी तो जैसे इनके बाएं हाथ का खेल हो. फिर भी इतने ताकतवर देश में 10 आतंकवादी घुसकर 166 लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं. 18 जवान शहीद हो जाते हैं. बदले में हमारा देश पाकिस्तान पर बस दबाव बनाता है. और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे बेनकाब करता है. बेचारे और कर भी क्या सकते हैं. इतने ताकतवर देश जो है.
विश्व भर में शायद अपनी तरह का यह पहला मामला है, जब किसी देश के 166 नागरिकों का कातिल रोज सामने आकर अब तो पूरे देश को ही बर्बाद करने की बात करता है, और जवाब में बस दबाव बनाया जाता है. और इसका असर कितना होता है, यह तो समाचार के सौदागर आपको बता ही देते होंगे.
सुरक्षा को ध्यान में रखकर आइये दूसरे देशों की बात की जाए. इजराइल को ही ले लीजिए. इजराइल ने रूस जैसे देश में घुसकर आतंकियों का खात्मा ऑपरेशन 'बोनेट' के जरिये किया था. ध्यान रहे कि आतंकियों ने 1972 के ओलंपिक में भाग लेने गई इजराइल की ओलंपिक टीम के 11 सदस्यो की हत्या कर दी थी. बदले के लिए उस छोटे से देश ने ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया. 20 सालों तक ऑपरेशन चला. यूरोप से लेकर रूस तक इजराइली सेना ने सारे आतंकियो को चुन-चुन के मार गिराया. ऐसी कई घटनाएं और भी हैं जिसके जरिए इजराइल ने पूरे विश्व को अपनी ताकत का लोहा मनवाया था.
विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की भी बात कर लेते हैं. 9/11...
26/11 मुंबई हमले को 9 साल पूरे होने वाले हैं. इन 9 सालों में पूरे विश्व ने भारत की मजबूरी देखी है और अभी भी यह सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. बात ताकत की करें तो शक्ति के मामले में, हम किसी से कम नहीं हैं. यहां तक कि हमारे न्यूज चैनलों के ड्रामेबाज भी हर दूसरे रोज कहीं न कहीं वार करवाते हैं, और चीन को पटखनी दे देते हैं. पाकिस्तान को धूल चटाना भी तो जैसे इनके बाएं हाथ का खेल हो. फिर भी इतने ताकतवर देश में 10 आतंकवादी घुसकर 166 लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं. 18 जवान शहीद हो जाते हैं. बदले में हमारा देश पाकिस्तान पर बस दबाव बनाता है. और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे बेनकाब करता है. बेचारे और कर भी क्या सकते हैं. इतने ताकतवर देश जो है.
विश्व भर में शायद अपनी तरह का यह पहला मामला है, जब किसी देश के 166 नागरिकों का कातिल रोज सामने आकर अब तो पूरे देश को ही बर्बाद करने की बात करता है, और जवाब में बस दबाव बनाया जाता है. और इसका असर कितना होता है, यह तो समाचार के सौदागर आपको बता ही देते होंगे.
सुरक्षा को ध्यान में रखकर आइये दूसरे देशों की बात की जाए. इजराइल को ही ले लीजिए. इजराइल ने रूस जैसे देश में घुसकर आतंकियों का खात्मा ऑपरेशन 'बोनेट' के जरिये किया था. ध्यान रहे कि आतंकियों ने 1972 के ओलंपिक में भाग लेने गई इजराइल की ओलंपिक टीम के 11 सदस्यो की हत्या कर दी थी. बदले के लिए उस छोटे से देश ने ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया. 20 सालों तक ऑपरेशन चला. यूरोप से लेकर रूस तक इजराइली सेना ने सारे आतंकियो को चुन-चुन के मार गिराया. ऐसी कई घटनाएं और भी हैं जिसके जरिए इजराइल ने पूरे विश्व को अपनी ताकत का लोहा मनवाया था.
विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की भी बात कर लेते हैं. 9/11 को तो शायद ही कोई कभी भुला पाएगा. हमले के बाद से ही अमेरिका बदले की आग में जल रहा था. उस हमले का मास्टरमाइंड ओसामा-बिन-लादेन 9 सालों तक छुपता फिरा. लेकिन जैसे ही अमेरिका को उसके ठिकाने का पता चला. अमेरिका ने अपनी बहादुरी दिखाने में जरा भी देर नहीं की. एक उम्दा प्लानिंग करते हुए अमेरिका ने, ओसामा को मौत के घाट उतार दिया.
इन दोनों देशों को अपने गुनाहगारों को अंजाम तक पहुंचने में इतना वक्त सिर्फ इसलिए लगा, क्योंकि वो छुपते फिर रहे थे. उनके ठिकानों का पता लगते ही कार्रवाई कर के ढेर करने में ज्यादा देर नहीं की गई. इसके ठीक विपरीत हाफिज सईद हर दूसरे दिन भारत को खुलेआम धमकी देता, धूल चटाने की बात करता है. और हम उसके भाषण सुनते हैं.
न्यूज चैनलों पर हेडलाइन बनती है कि हाफिज सईद ने एक बार फिर भारत के खिलाफ ज़हर उगला है. यह बात और है कि हम ना तो उसका फन ही काट पा रहे हैं और ना ही उसके दांत से विष ही निकाल पा रहे हैं. बड़ी-बड़ी बातों का तो कोई जोर ही नहीं है. हम कभी भी, किसी को भी मात देने में सक्षम हैं. लेकिन मात देंगे? इसका जबाव हाफिज सईद की सांसों से जुड़ा है. करें भी क्या! ना तो हमारी उम्मीद खत्म होती है, ना ही उसकी सांसे.
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