मौजूदा मोदी सरकार के आखिरी संसद सत्र के अंतिम दिन मुलायम सिंह यादव ने तो पूरी महफिल ही लूट दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अपने बयान से पूरे विपक्ष को मुलायम सिंह ने हतप्रभ कर दिया.
नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने की शुभकामनाएं देकर मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव के लिए भी मुश्किलें बढ़ाई हैं. एक तरफ अखिलेश यादव विपक्षी नेताओं के साथ कदम से कदम मिला कर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहे हैं, दूसरी तरफ मुलायम सिंह बीजेपी के सत्ता में वापसी के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं.
मुलायम सिंह चाहते हैं मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें
16वीं लोक सभा का आखिरी दिन बेहद दिलचस्प रहा. सबसे दिलचस्प तो मुलायम सिंह यादव का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बयान रहा. मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं देकर मुलायम सिंह ने आखिरकार हथियार डाल ही दिये. वैसे तो हर सांसद प्रधानमंत्री की इच्छा लेकर सदन में दाखिल होता होगा. या फिर बैठे बैठे किसी दिन पीएम बनने का ख्वाब देखता होगा - लेकिन भारतीय राजनीति में दो शख्सियत ऐसी रहीं है जो प्रधानमंत्री की कुर्सी के बेहद करीब पहुंच कर चूक गयीं. ये वो कैटेगरी है जिसमें एक थे ज्योति बसु और दूसरे मुलायम सिंह यादव. मुलायम सिंह यादव तो 2015 तक तीसरे मोर्चे को खड़ा करने में जुटे रहे. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तक मुलायम सिंह को पूरी उम्मीद रही कि वो तीसरा मोर्चा खड़ा कर लेंगे और उसमें दबदबा समाजवादी पार्टी का ही रहेगा. चुनाव नजदीक आते देख तीसरे मोर्चे से सबका फोकस महागठबंधन की ओर शिफ्ट हो गया. महागठबंधन की प्रक्रिया पूरी होते ही मुलायम सिंह यादव ने पटना छोड़ दिया - और अतिवादिता यहां तक देखने को मिली कि नीतीश कुमार को हराने की अपील करने लगे. तब से अब तक मुलायम सिंह यादव ने देश तो देश यूपी की राजनीति में ही तमाम उठापटक देखे - और आखिरकार लगता है हार मान ली.
जब मुलायम सिंह का भाषण शुरू हुआ तो बगल में बैठी सोनिया गांधी के हाव भाव देखने लायक थे. खासकर तब जब मुलायम सिंह यादव ने...
मौजूदा मोदी सरकार के आखिरी संसद सत्र के अंतिम दिन मुलायम सिंह यादव ने तो पूरी महफिल ही लूट दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अपने बयान से पूरे विपक्ष को मुलायम सिंह ने हतप्रभ कर दिया.
नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने की शुभकामनाएं देकर मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव के लिए भी मुश्किलें बढ़ाई हैं. एक तरफ अखिलेश यादव विपक्षी नेताओं के साथ कदम से कदम मिला कर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहे हैं, दूसरी तरफ मुलायम सिंह बीजेपी के सत्ता में वापसी के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं.
मुलायम सिंह चाहते हैं मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें
16वीं लोक सभा का आखिरी दिन बेहद दिलचस्प रहा. सबसे दिलचस्प तो मुलायम सिंह यादव का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बयान रहा. मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं देकर मुलायम सिंह ने आखिरकार हथियार डाल ही दिये. वैसे तो हर सांसद प्रधानमंत्री की इच्छा लेकर सदन में दाखिल होता होगा. या फिर बैठे बैठे किसी दिन पीएम बनने का ख्वाब देखता होगा - लेकिन भारतीय राजनीति में दो शख्सियत ऐसी रहीं है जो प्रधानमंत्री की कुर्सी के बेहद करीब पहुंच कर चूक गयीं. ये वो कैटेगरी है जिसमें एक थे ज्योति बसु और दूसरे मुलायम सिंह यादव. मुलायम सिंह यादव तो 2015 तक तीसरे मोर्चे को खड़ा करने में जुटे रहे. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तक मुलायम सिंह को पूरी उम्मीद रही कि वो तीसरा मोर्चा खड़ा कर लेंगे और उसमें दबदबा समाजवादी पार्टी का ही रहेगा. चुनाव नजदीक आते देख तीसरे मोर्चे से सबका फोकस महागठबंधन की ओर शिफ्ट हो गया. महागठबंधन की प्रक्रिया पूरी होते ही मुलायम सिंह यादव ने पटना छोड़ दिया - और अतिवादिता यहां तक देखने को मिली कि नीतीश कुमार को हराने की अपील करने लगे. तब से अब तक मुलायम सिंह यादव ने देश तो देश यूपी की राजनीति में ही तमाम उठापटक देखे - और आखिरकार लगता है हार मान ली.
जब मुलायम सिंह का भाषण शुरू हुआ तो बगल में बैठी सोनिया गांधी के हाव भाव देखने लायक थे. खासकर तब जब मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं दीं.
पहले तो मुलायम सिंह ने सदन के सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दी, 'मैं कहना चाहता हूं... मेरी कामना है कि सारे सदस्य फिर से जीतकर आएं.' असल बात तो ये है कि मुलायम सिंह के भाषण में उनके मन की बात भी छिपी हुई थी. बाकी सदस्यों के साथ साथ वो खुद के लिए भी शुभकामनाएं दे रहे थे. मुलायम सिंह यादव फिलहाल आजमगढ़ से सांसद हैं और इस बार यूपी के मैनपुरी से चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा है. मुद्दे की बात ये है कि बीजेपी की उन सभी सीटों पर कड़ी नजर है जो या तो गांधी परिवार के पास हैं या मुलायम परिवार के पास और अरसे से वो रणनीति बनाकर जमीनी स्तर पर काम कर रही है.
ऐसा लग रहा था जैसे मुलायम सिंह के हर शब्द पर सोनिया गांधी न सिर्फ गौर फरमा रही हैं, वरन मन की बात चेहरे पर न आ सके ऐसी कोशिश भी कर रही हैं. मगर, बड़ा मुश्किल होता है भावों को हर वक्त रोक पाना. वैसे भी जो बात मुलायम सिंह यादव ने भरी सभा में कही उसकी सोनिया गांधी ने तो कल्पना नहीं ही की होगी.
मुलायम सिंह ने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि हम लोग तो इतना बहुमत नहीं ला सकते तो आप फिर से प्रधानमंत्री बनें.'
फिर क्या था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों हाथ जोड़ कर मुलायम सिंह का अभिवादन किया और सोनिया मुलायम सिंह की ओर देखती रह गयीं. अब इससे बड़ी बात क्या हो सकती थी कि मोदी को शुभकामनाएं देने से पहले मुलायम सिंह सोनिया गांधी की ओर घूमे और कह डाला, 'हम लोग तो इतना बहुमत ला नहीं सकते...'
प्रधानमंत्री मोदी के प्रति ये भाव मुलायम सिंह की ओर से कोई नयी बात नहीं है. महागठबंधन से नाता तोड़ कर लखनऊ लौटने के बाद मुलायम सिंह ने मोदी सरकार का खूब सपोर्ट किया. तब भी जब विपक्ष के नेता किसी न किसी मुद्दे पर सदन का बहिष्कार कर बाहर चले जाते मुलायम सिंह यादव पूरे परिवार के साथ बैठे रहते.
2016 में भी मुलायम सिंह के मुंह से मोदी के लिए तारीफ सुनने को मिली थी, 'प्रधानमंत्री मोदी को देखिये... वो मेहनत और लगन से प्रधानमंत्री बने हैं... वो गरीब परिवार से आते हैं और वो अपनी मां को भी नहीं छोड़ सकते हैं.' हो सकता है समाजवादी परिवार में चल रहे झगड़े की पीड़ा मुलायम सिंह ने इस रूप में साझा की हो. प्रधानमंत्री भी मुलायम सिंह के पोते की शादी में शामिल होने सैफई पहुंचे थे जहां उनकी एक और प्रशंसक पहले से थीं - अपर्णा यादव. मुलायम सिंह की छोटी बहू. प्रधानमंत्री के साथ अपर्णा की सेल्फी खासी चर्चित हुई थी.
दो साल पहले ही जब 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, मंच पर भी मोदी के कान में मुलायम सिंह को कुछ कहते देखा गया. मुलायम सिंह ने तब जो भी कहा हो, लेकिन अपनी बातों में उस वाकये की ओर भरी लोक सभा में इशारा तो कर ही दिया.
मुलायम सिंह ने बताया, "ये सही है कि हम जब-जब मिले... किसी काम के लिए कहा तो आपने उसी वक्त ऑर्डर किया. मैं आपका यहां पर आदर करता हूं, सम्मान करता हूं, प्रधानमंत्री जी ने सबको साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास किया.'
प्रधानमंत्री बनने के लिए बहुमत की सरकार चाहते हैं मोदी
जिस तरह नरेंद्र मोदी 2014 में संसद पहुंचे तो कहा था कि वो सबके प्रधानमंत्री हैं, उसी तरह बड़ा दिल दिखाया और बोले - 'मिच्छामी दुक्कड़म'. मिच्छामी दुक्कड़म जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्युषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस के अवसर पर लोग एक दूसरे से कुछ इसी अंदाज में माफी मांगते हैं. मोदी ने कहा कि सदस्य चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्षी खेमे के अगर किसी से कोई गलती हुई हो तो वो बतौर नेता सदन क्षमाप्रार्थी हैं.
प्रधानमंत्री के भाषण में एक बात पर खासतौर पर जोर दिखा - पूर्ण बहुमत की सरकार को लेकर. मोदी ने कहा कि ऐसा तीस साल बाद पहली बार हुआ जब पूर्ण बहुमत की एक सरकार बनी और ढंग से पांच साल चली भी. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनती है तो पूरा वैश्विक परिवेश भारत को गंभीरता से सुनता भी है. मोदी ने कहा कि जब पूर्ण बहुमत का नेता किसी देश के नेता से मिलता है तो वो भी सोचता है कि इसके पास मैंडेट है - और इसका सारा श्रेय 2014 के जनता के निर्णय को जाता है. याद कीजिए 2014 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी लोगों से ऐसी ही अपील की थी और कहना पड़ेगा कि लोगों ने उनकी बात मानी भी.
प्रधानमंत्री मोदी लगे हाथ तंज भी कसते रहे. कहा आजादी के बाद पहली बार ऐसी पूर्ण बहुमत की सरकार पहली बार बनी जो कांग्रेस गोत्र की नहीं थी. प्रधानमंत्री का ये भाषण भी कटाक्ष से भरपूर रहा जिसमें कई बार तो तंज भरी तारीफें भी सुनने को खूब मिलीं. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की तुलना लालकृष्ण आडवाणी से करते हुए कहा कि वो पूरे वक्त बैठे रहे जिसका वो आदरपूर्वक अभिनंदन करते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो नये नये आये थे और पांच साल में उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला और पहली बार देखने को भी मिला. मोदी ने कहा कि सुनते थे कि भूकंप आएगा. मगर, पांच साल बीत गया कोई भूकंप नहीं आया. लोकतंत्र की मर्यादा देखिये कि भूकंप को भी पचा गया और हवाई जहाज भी. मोदी ने संसद में अट्टहास का जिक्र कर कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के ठहाकों की तो याद दिलायी ही, निशाने पर राहुल गांधी भी रहे, 'पहली बार पता चला कि गले मिलना और गले पड़ना क्या होता है. सदन में पहली बार मालूम हुआ कि आंखों की गुस्ताखियां क्या होती हैं.'
जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे तो कई बार मुलायम सिंह का नाम लिया, कहा भी - 'अब मुलायम सिंह जी का आशीर्वाद तो मिल ही गया है.' मुलायम सिंह यादव वैसे तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी नहीं रहे, लेकिन उनके बयान के से साफ है कि हथियार भी आखिरकार डाल ही दिया.
सवाल है कि आखिर मुलायम ने मोदी को ही खुलेआम शुभकामनाएं क्यों दी?
क्या पिछले पांच साल के किन्हीं एहसानों का कोई बदला चुकाया है?
ये तो मानना ही पड़ेगा कि मुलायम सिंह एहसानों को जिंदगी भर ढोने वाली शख्सियत हैं. जब समाजवादी पार्टी में अमर सिंह का विरोध चल रहा था तब भी वो डंके की चोट पर कहे कि अमर सिंह ने उन्हें सात साल की सजा होने से बचा लिया. क्या मोदी को शुभकामनाएं देकर भी वो किसी एहसान का बदला चुका रहे हैं. निःसंकोच कहा भी है कि जब भी जो कहा मोदी ने तुरंत ऑर्डर कर दिया.
मुलायम सिंह की बयान के बाद सुप्रिया सुले जी ने जो बात याद दिलायी है वो और भी काफी दिलचस्प है. एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने याद दिलाया है कि 2014 में मुलायम सिंह यादव ने ऐसी ही बातें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में भी कही थी.
2014 में तो मुलायम सिंह की शुभकामनाओं को असर देखा जा चुका है अब 2019 में देखना होगा क्या होता है.
कहीं मोदी के बहाने मुलायम सिंह ने मायावती के सपनों का गला घोंटने की कोई चाल तो नहीं चल दी है? उनके बेटे अखिलेश यादव मायावती का प्रधानमंत्री पद के लिए सपोर्ट कर रहे हैं. मुलायम सिंह कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्षधर कभी नहीं रहे हैं. ऐसा तो नहीं कि समाजवादी पार्टी के बीएसपी से हुआ गठबंधन भी उन्हें रास नहीं आ रहा हो - और वो अपने वोट बैंक से मोदी को वोट करने की अपील कर रहे हों? मुलायम के मन में ये तो होगा ही कि अगर मैं पीएम नहीं बना तो मायावती कैसे बन सकती हैं.
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