हिंदू महासभा द्वारा 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे के बलिदान दिवस के रूप में मनाए जाने से ज्यादा चर्चा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के उस बयान की हुई है जिसमें उसने कहा है कि नाथूराम गोडसे का महिमामंडन से हिंदुत्व का नाम खराब होगा.
आरएसएस विचारक एमजी वैद्या ने कहा, 'मुझे नहीं पता कौन सी संस्था गोडसे का महिमामडंन कर रही है. लेकिन मुझे लगता है कि उनका बखान करना गलत है.' वैद्य ने गोडसे और महात्मा गांधी के संबंध में आरएसएस की सोच को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. पिछले साल बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही कई हिंदूवादी संगठन गोडसे की विरासत को सम्मान देने की कोशिशों में जुट गए थे. लेकिन आरएसएस ने इन सबसे पल्ला झाड़ते हुए गोडसे को हत्यारा कह दिया है.
नाथूराम गोडसे हत्यारा थाः
महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में वैद्य ने कहा कि वह कोई हीरो नहीं थे और उन्होंने कई हिंदू संगठनों द्वारा गोडसे के प्रति सम्मान दिखाने की आलोचना की. वैद्य ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि यह कौन सा संगठन है. लेकिन मैं नाथूराम गोडसे का सम्मान करने और उन्हें सम्मान देने के खिलाफ हूं. वह एक हत्यारा है.
हिंदुत्व का नाम खराब होगाः
वैद्य ने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि इससे (गोडसे के महिमामंडन) हिंदुत्व का गौरव बढ़ेगा. नहीं इससे हिंदुत्व का नाम खराब होगा...मैं तो यहां तक कहता हूं कि गांधी की हत्या से हिंदुत्व को नुकसान पहुंचा है.'
गांधी का वैचारिक विरोधः
वैद्य ने कहा, 'महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में आजादी के बारे में जागरूकता फैलाई. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम उनकी सभी नीतियों से सहमत हों. लेकिन विचारों की लड़ाई को विचार से लड़ा जाना चाहिए, इसके लिए खून की होली खेलने की इजाजत नहीं दी जा सकती.'
लॉन्च हुई नाथूराम गोडस के नाम पर वेबसाइटः
पिछले साल नाथूराम गोडसे के नाम पर मंदिर का ऐलान कर विवाद खड़ा कर चुके हिंदू महासभा ने 15 नवंबर को गोडसे के बलिदान दिवस के रूप में मनाया. इसी दिन 1949 में महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी. इस मौके पर महासभा ने नाथूराम गोडसे के जीवन के बारे...
हिंदू महासभा द्वारा 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे के बलिदान दिवस के रूप में मनाए जाने से ज्यादा चर्चा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के उस बयान की हुई है जिसमें उसने कहा है कि नाथूराम गोडसे का महिमामंडन से हिंदुत्व का नाम खराब होगा.
आरएसएस विचारक एमजी वैद्या ने कहा, 'मुझे नहीं पता कौन सी संस्था गोडसे का महिमामडंन कर रही है. लेकिन मुझे लगता है कि उनका बखान करना गलत है.' वैद्य ने गोडसे और महात्मा गांधी के संबंध में आरएसएस की सोच को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. पिछले साल बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही कई हिंदूवादी संगठन गोडसे की विरासत को सम्मान देने की कोशिशों में जुट गए थे. लेकिन आरएसएस ने इन सबसे पल्ला झाड़ते हुए गोडसे को हत्यारा कह दिया है.
नाथूराम गोडसे हत्यारा थाः
महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में वैद्य ने कहा कि वह कोई हीरो नहीं थे और उन्होंने कई हिंदू संगठनों द्वारा गोडसे के प्रति सम्मान दिखाने की आलोचना की. वैद्य ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि यह कौन सा संगठन है. लेकिन मैं नाथूराम गोडसे का सम्मान करने और उन्हें सम्मान देने के खिलाफ हूं. वह एक हत्यारा है.
हिंदुत्व का नाम खराब होगाः
वैद्य ने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि इससे (गोडसे के महिमामंडन) हिंदुत्व का गौरव बढ़ेगा. नहीं इससे हिंदुत्व का नाम खराब होगा...मैं तो यहां तक कहता हूं कि गांधी की हत्या से हिंदुत्व को नुकसान पहुंचा है.'
गांधी का वैचारिक विरोधः
वैद्य ने कहा, 'महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में आजादी के बारे में जागरूकता फैलाई. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम उनकी सभी नीतियों से सहमत हों. लेकिन विचारों की लड़ाई को विचार से लड़ा जाना चाहिए, इसके लिए खून की होली खेलने की इजाजत नहीं दी जा सकती.'
लॉन्च हुई नाथूराम गोडस के नाम पर वेबसाइटः
पिछले साल नाथूराम गोडसे के नाम पर मंदिर का ऐलान कर विवाद खड़ा कर चुके हिंदू महासभा ने 15 नवंबर को गोडसे के बलिदान दिवस के रूप में मनाया. इसी दिन 1949 में महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी. इस मौके पर महासभा ने नाथूराम गोडसे के जीवन के बारे में जानकारी देने वाली एक वेबसाइट (http://nathuramgodse.in/) लॉन्च की. हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने कहा, गोडसे ने गांधी की हत्या विभाजन में शामिल होने के कारण की. गोडसे को पता था कि अगर गांधी जीवित रहे तो देश के और टुकड़े होंगे. गोडसे के त्याग को याद करने के लिए हमने 15 नवंबर के दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया.
क्या है गोडसे और आरएसएस का रिश्ताः
महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे आरएसएस से जुड़ा था. हालांकि आरएसएस हमेशा से कहता आया है कि गांधी की हत्या के बहुत पहले ही गोडसे आरएसएस छोड़ चुका था. लेकिन आज तक आरएसएस अपनी बात की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं दे पाया है. गोडसे के बयानों से भी लगता है कि वह आरएसएस के हिंदू राष्ट्र की सोच से बहुत प्रभावित था और गांधी की हत्या के पीछे भी कहीं न कहीं उसकी कट्टर हिंदूवादी सोच ही थी, क्योंकि उसे लगता था कि गांधी ने हिंदुस्तान का बंटवारा कर पाकिस्तान बनवाया. ऐसा करके उन्होंने हिंदुओं के साथ अन्याय किया और वह मुस्लिमों के प्रति ज्यादा झुके हुए थे. अब इतने तीखे शब्दों में गोडसे की आलोचना से आरएसएस ने साबित किया है कि वह गोडसे के भूत से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना चाहता है. आरएसएस को इस बात का डर है कि युवा पीढ़ी गांधी के हत्यारे के समर्थक संगठन के रूप में उसे पूरी तरह से खारिज न कर दे.
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