मंदिर की छत पर लहराता भगवा ध्वज मन को काफी शांति देता है. वो देखकर बहुत अच्छा लगता है, बचपन में भगवा का अर्थ मैं सिर्फ मंदिर के उस ध्वज को देखकर ही समझती थी, वो बहुत ही पवित्र रंग होता था और उसे सिर्फ साधु-संत धारण करते थे या पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता था. अब भगवा का राष्ट्रीयकरण हो गया है. रोड, चौक, चौराहे, टोल से लेकर पुलिस स्टेशन और ट्रेन तक हर चीज़ भगवा होती जा रही है.
नई तेजस एक्सप्रेस के बारे में सुना आपने? नई दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस बनकर तैयार हो चुकी है. नए लुक के साथ तेजस दिल्ली पहुंची चुकी है. कपूरथला कोच फैक्ट्री में बनी तेजस एक्सप्रेस की दूसरी रैक पहली तेजस एक्सप्रेस की तुलना में ज्यादा आधुनिक है. नई तेजस एक्सप्रेस में कलर स्कीम को पूरी तरीके से बदल दिया गया है. इसे भगवा, पीला और हल्का भूरा रंग दिया गया है आसान शब्दों में तेजस एक्सप्रेस को भी भगवा बना दिया गया है. आपको याद दिला दूं कि ये मोदी की महत्वकांक्षी तेजस एक्सप्रेस वही ट्रेन है जिसके पहली बार चलने पर लोगों ने इसकी एलसीडी ट्रेन तोड़ दी थी, टॉयलेट खराब कर दिए थे, ट्रेन के शीशे तोड़े थे और हेडफोन चुरा कर ले गए थे. वो पहली तेजस थी जिसे नीले रंग में रंगा गया था. और उसे मुंबई से गोवा के लिए शुरू किया गया था.
अब दूसरी भी बनकर तैयार है. मोदी सरकार ने तीन रेलवे रूट्स पर तेजस एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की थी. मुंबई और गोवा के बीच में पिछले साल मई में पहली तेजस एक्सप्रेस चलनी शुरू हुई. दूसरी तेजस एक्सप्रेस नई दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच चलाई जानी है. और तीसरी तेजस एक्सप्रेस दिल्ली के आनंद विहार से लखनऊ के बीच चलनी है.
नई तेजस एक्सप्रेस में विनायल रैपिंग का उपयोग किया गया है. फायर से बचने के लिए सेंसर लगाए गए हैं. साथ ही साथ हर डिब्बे में सीसीटीवी लगाया गया है. इसके अलावा, जो फीचर्स पहले दिए गए थे वो तो हैं हीं. सीटों को और थोड़ा आरामदायक बना दिया गया है. ट्रेन में आन बोर्ड वाईफाई, मॉड्यूलर बॉयो टॉयलट भी हैं.
नई तेजस एक्सप्रेस में खिड़कियों पर ऑटोमेटिक तरीके से चलने वाले पर्दे लगाए गए हैं. इन पर्दों की खासियत यह है कि ये खिड़की में लगे दो शीशों के बीच में फिट किए गए हैं. एक बटन के जरिए इसे ऊपर नीचे किया जा सकता है. नई तेजस एक्सप्रेस में स्वचालित इंटर कनेक्टिंग दरवाजे हैं.इससे एक कोच से दूसरे कोच में जाना काफी सुविधाजनक हो गया है. खाने-पीने की टेबल भी बदल दी गई है और कलर स्कीम डब्बे के अंदर भी भगवा झलक लिए हुए हैं.
जहां बाकी बदलाव अच्छे और सुविधाजनक लगते हैं वहीं नई कलर स्कीम ने तेजस के सभी अच्छे बदलावों को पीछे छोड़ दिया है और सारा ध्यान सिर्फ कलर स्कीम की तरफ ही जा रहा है.
पर इस वक्त शायद यही ट्रेंड चल रहा है. हर चीज़, बिल्डिंग, गली, चौराहा भगवा हो चला है.
चलिए आगे बात करने से पहले कुछ उदाहरण देख लेते हैं...
1. पुलिस स्टेशन और पुलिस क्वार्टर का भगवाकरण..
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद से ही पूरे राज्य में भगवा रंग का असर दिख रहा है. पहले पुलिस स्टेशन को भगवा किया गया, फिर पुलिस क्वार्टर भी भगवा हो गए.
पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर की ये तस्वीर है. जहां पुलिसकर्मियों के लिए बनाए गए घरों पर भगवा रंग किया गया है.
2. पार्क और सड़कों का भगवाकरण..
सरकारी इमारतें ही नहीं बल्कि सरकारी सड़कें भी भगवाकरण पर उतर आई हैं.
लखनऊ के गोमतीनगर में ये नए रंग को देखिए.
3. हज हाउस का भी भगवाकरण..
उत्तर प्रदेश में लखनऊ हज हाउस को भी इस साल भगवा बना दिया गया.
कलर स्कीम बदलने का क्या सेंस था ये नहीं समझ आया.
4. सीएम ऑफिस पहले ही कर दिया गया था भगवा..
पिछले साल सीएम ऑफिस का भी भगवाकरण हो गया था.
इस ऑफिस का रंग योगी आदित्यनाथ के हिसाब से कर दिया गया था.
5. साइकल भी भगवा..
राजस्थान में छात्राओं को बांटी जाने वाली साइकलों को भी भगवा रंग दिया गया था.
ये साइकिलें बीजेपी सांसद राम चरण बोहरा ने जयपुर के सांगानेर के एक स्कूल की छात्राओं बांटी थीं.
6. और भी बहुत कुछ भगवा..
सरकार के 100 दिन पूरा होने के मौके पर योगी बनारस पहुंचे थे तो उनके लिए सर्किट हाउस भी केसरिया कर दिया गया था. शिक्षकों के विरोध के बावजूद पीलीभीत में 100 से ज्यादा स्कूलों को भगवा रंग में रंगा गया था. राज्य में बस और ई रिक्शा पर भी भगवा रंग चढ़कर बोल रहा है.
अब ये विषय चिंताजनक है कि आखिर हर गली, महोल्ले, घर, नुक्कड़ को क्यों भगवा किया जा रहा है? क्या इसे चुनाव से जोड़ा जाए या फिर ये सिर्फ इसलिए क्योंकि भाजपा को ये रंग पसंद है?
क्या ट्रेन के मेकओवर के लिए उसे भगवा बनाना जरूरी था?
ये वो सवाल है जो शायद अब पूछना जरूरी हो गया है. हर तरफ हर चीज़ को भगवा बनाना जरूरी है क्या? तेजस ट्रेन में जो भी बेहतर किया गया वो सब तो पानी में सिर्फ भगवा रंग की वजह से धुल गया. हर तरफ चर्चा सिर्फ तेजस के भगवाकरण की ही होने लगी.
तेजस ट्रेन ने एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है वो ये कि क्या हर नई चीज़ भगवा होकर रहेगी? क्या ये सरकार की रणनीति है या फिर ये सिर्फ कॉन्ट्रैक्टरों की सरकार को खुश करने की रणनीति है वजह चाहें जो भी हो अब भगवा एक तरह से बाजारीकरण पर उतर आया है. खुद ही सोचिए, वो पवित्रता कहां गई जो भगवा को देखकर आती थी. हर चीज़ अगर भगवा ही कर दी जाएगी तो फिर उसका महत्व कितना रह जाएगा? बात सोचने वाली है.
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