प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट का विस्तार कर दिया गया है. इसमें गुजरात के तीन राज्यसभा सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इनमें सांसद पुरुषोतम रुपाला, मनसुख मांडविया ओर जसंवत सिंह भाभोर शामिल हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि गुजरात के दो मंत्रियों मोहन कुडारिया और आदिवासी नेता मनसुख वसावा को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया है. मोहन कुंडारिया खुद एक पाटिदार नेता थे.
लेकिन कुंडारिया को बाहर करके मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में दो और पाटीदार नेताओ को शामिल किया है. इनमें पुरुषोत्तम रुपाला कडवा पटेल समाज से हैं जबकि मनसुख मांडविया लेउवा पटेल समाज से. यानी लेउवा ओर कड़वा दोनो पाटीदारो को मोदी सरकार में शामिल करके पाटीदारो को महत्व देने कि कोशिश की गयी है.
गौरतलब हे कि पाटीदारों के प्रतिनिधित्व को सरकार में बढ़ाया गया है, जोकि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है. साथ ही इसे पाटीदार आरक्षण आंदोलन को दबाने कि कोशिशों के तौर पर भी देखा जा रहा है.
मनसुख मांडविया ने गुजरात में पाटीदार आंदोलन को निष्क्रिय करने में अहम भूमिका निभाई |
राजनैतिक जानकारों कि मानें तो मनसुख मांडविया का ग्राफ पाटीदार आंदोलन के दौरान काफी बढ़ा है. मनसुख मांडविया ने गुजरात में पाटीदार आंदोलन को निष्क्रिय करने, पाटीदार नेताओ के साथ बैठकें करने और पाटीदारों को आनंदीबेन सरकार और बीजेपी के साथ जोड़े रखने में अहम भूमिका अदा की है. यही वजह है कि उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
तो वहीं पुरुषोत्तम रुपाला को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है. नरेन्द्र मोदी...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट का विस्तार कर दिया गया है. इसमें गुजरात के तीन राज्यसभा सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इनमें सांसद पुरुषोतम रुपाला, मनसुख मांडविया ओर जसंवत सिंह भाभोर शामिल हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि गुजरात के दो मंत्रियों मोहन कुडारिया और आदिवासी नेता मनसुख वसावा को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया है. मोहन कुंडारिया खुद एक पाटिदार नेता थे.
लेकिन कुंडारिया को बाहर करके मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में दो और पाटीदार नेताओ को शामिल किया है. इनमें पुरुषोत्तम रुपाला कडवा पटेल समाज से हैं जबकि मनसुख मांडविया लेउवा पटेल समाज से. यानी लेउवा ओर कड़वा दोनो पाटीदारो को मोदी सरकार में शामिल करके पाटीदारो को महत्व देने कि कोशिश की गयी है.
गौरतलब हे कि पाटीदारों के प्रतिनिधित्व को सरकार में बढ़ाया गया है, जोकि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है. साथ ही इसे पाटीदार आरक्षण आंदोलन को दबाने कि कोशिशों के तौर पर भी देखा जा रहा है.
मनसुख मांडविया ने गुजरात में पाटीदार आंदोलन को निष्क्रिय करने में अहम भूमिका निभाई |
राजनैतिक जानकारों कि मानें तो मनसुख मांडविया का ग्राफ पाटीदार आंदोलन के दौरान काफी बढ़ा है. मनसुख मांडविया ने गुजरात में पाटीदार आंदोलन को निष्क्रिय करने, पाटीदार नेताओ के साथ बैठकें करने और पाटीदारों को आनंदीबेन सरकार और बीजेपी के साथ जोड़े रखने में अहम भूमिका अदा की है. यही वजह है कि उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
तो वहीं पुरुषोत्तम रुपाला को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है. नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में पुरुषोत्तम रुपाला मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन जब सीएम की गद्दी आनंदीबेन को मिल गई तो इसकी कसर पुरुषोत्तम ने पाटीदार आंदोलन के दौरान निकाली. माना जाता है कि पाटीदार नेता पुरुषोत्तम रुपाला पूरे पाटीदार आंदोलन के दौरान निष्क्रिय हो गये थे, जिस के चलते ये आंदोलन और तेज हुआ.
मोदी सरकार में शामिल किए गए पाटीदार नेता पुरुषोत्तम रुपाला को अमित शाह का करीबी माना जाता है |
वहीं आनंदीबेन के खिलाफ बीजेपी में उठे अंदरूनी विद्रोह की एक बड़ी वजह भी पुरुषोत्तम रुपाला को ही माना जा रहा था. इसीलिए पुरुषोत्तम को आनंदीबेन सरकार के लिए परेशानी का सबब बनने से पहले ही उन्हें पहले राज्यसभा भेजा गया और अब मोदी सरकार में मंत्री बना दिया गया है.
मोदी सरकार में पुरुषोत्तम रुपाला ओर मनसुख मांडविया की एन्ट्री को 2017 में होने वाले गुजरात विधानसभा के चुनावों के मद्देनजर गुजरात में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत करने और पाटीदारों को साथ लेकर चलने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
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