1965 की जंग में पाकिस्तानी एयरफोर्स के स्क्वॉड्रन लीडर अरशद सामी खान ने कई भारतीय जहाजों को मार गिराया था. उनकी इस वीरता के लिए उन्हें पाकिस्तान में नेशनल हीरो का दर्जा मिला और उन्हें पाकिस्तान में वीरता के तीसरे सबसे बड़े सम्मान सितारा-ए-जुरत से नवाजा गया. विडंबना देखिए युद्ध के मैदान में भारतीय फौज का खून बहाने वाले अरशद को भारत में बड़ा सम्मान दिया गया. 2008 में अरशद की किताब को दिल्ली में लॉन्च किया गया. हाल ही में गायक अदनान सामी को भारत की नागरिकता दी गई है. अदनान 1965 की जंग के पाकिस्तानी हीरो रहे उन्हीं अरशद सामी के बेटे हैं.
हिंदुस्तान ने सामी को अपनाया, हिंदुओं को नहीं:
दुनिया में भारत से ज्यादा दरियादिल शायद ही कोई देश हो. जो खुद को जख्म देने वालों को इस कदर सिर-आंखों पर बिठाता हो. लेकिन पड़ोसी मुल्क से आए हर शख्स के साथ हमारे यहां एक जैसा ही सलूक नहीं होता है. अदनान सामी को एक प्रसिद्ध कलाकार होने के कारण भारत की नागरिकता आसानी से मिल जाती है लेकिन पाकिस्तान में तेजी से विलुप्त होते और अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए हिंदुस्तान में शरण की आस लगाए सैकड़ों हिंदू परिवारों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाती है. पाकिस्तान से भागकर भारत आए सैकड़ों हिंदू परिवार यहां की नागरिकता मिलने के दशकों के इंतजार के पूरा न हो पाने के बाद पाकिस्तान वापस लौटने को विवश हैं. इन परिवारों में ज्यादातर सिंधी और कच्छ गुजराती हैं.
इनका दर्द तब और बढ़ जाता है जब 10-12 वर्ष से नागरिकता की गुहार लगाने के बाद भी यहां की सरकारें उन्हें नागरिकता देने की मांग अनसुनी कर देती हैं. पाकिस्तान में किराने की दुकान चलाने वाले मोइतराम खत्री 2009 में अहमदाबाद आए थे और 6 साल बाद भी भारत की नागरिकता न मिलने के बाद वे अब वह वापस सिंध जा रहे हैं. खत्री ने पांच लोगों के अपने परिवार का पेट पालने के लिए शहर के बाहरी इलाके में स्थित धेगम में एक मोबाइल की दुकान खोली थी. लेकिन पुलिस ने शहर की सीमा के बाहर जाने के कारण उनके खिलाफ वीजा नियमों के...
1965 की जंग में पाकिस्तानी एयरफोर्स के स्क्वॉड्रन लीडर अरशद सामी खान ने कई भारतीय जहाजों को मार गिराया था. उनकी इस वीरता के लिए उन्हें पाकिस्तान में नेशनल हीरो का दर्जा मिला और उन्हें पाकिस्तान में वीरता के तीसरे सबसे बड़े सम्मान सितारा-ए-जुरत से नवाजा गया. विडंबना देखिए युद्ध के मैदान में भारतीय फौज का खून बहाने वाले अरशद को भारत में बड़ा सम्मान दिया गया. 2008 में अरशद की किताब को दिल्ली में लॉन्च किया गया. हाल ही में गायक अदनान सामी को भारत की नागरिकता दी गई है. अदनान 1965 की जंग के पाकिस्तानी हीरो रहे उन्हीं अरशद सामी के बेटे हैं.
हिंदुस्तान ने सामी को अपनाया, हिंदुओं को नहीं:
दुनिया में भारत से ज्यादा दरियादिल शायद ही कोई देश हो. जो खुद को जख्म देने वालों को इस कदर सिर-आंखों पर बिठाता हो. लेकिन पड़ोसी मुल्क से आए हर शख्स के साथ हमारे यहां एक जैसा ही सलूक नहीं होता है. अदनान सामी को एक प्रसिद्ध कलाकार होने के कारण भारत की नागरिकता आसानी से मिल जाती है लेकिन पाकिस्तान में तेजी से विलुप्त होते और अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए हिंदुस्तान में शरण की आस लगाए सैकड़ों हिंदू परिवारों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाती है. पाकिस्तान से भागकर भारत आए सैकड़ों हिंदू परिवार यहां की नागरिकता मिलने के दशकों के इंतजार के पूरा न हो पाने के बाद पाकिस्तान वापस लौटने को विवश हैं. इन परिवारों में ज्यादातर सिंधी और कच्छ गुजराती हैं.
इनका दर्द तब और बढ़ जाता है जब 10-12 वर्ष से नागरिकता की गुहार लगाने के बाद भी यहां की सरकारें उन्हें नागरिकता देने की मांग अनसुनी कर देती हैं. पाकिस्तान में किराने की दुकान चलाने वाले मोइतराम खत्री 2009 में अहमदाबाद आए थे और 6 साल बाद भी भारत की नागरिकता न मिलने के बाद वे अब वह वापस सिंध जा रहे हैं. खत्री ने पांच लोगों के अपने परिवार का पेट पालने के लिए शहर के बाहरी इलाके में स्थित धेगम में एक मोबाइल की दुकान खोली थी. लेकिन पुलिस ने शहर की सीमा के बाहर जाने के कारण उनके खिलाफ वीजा नियमों के उल्लंघन का केस दर्ज कर दिया. निराश खत्री कहते हैं, 'मुझे अहमदाबाद में कोई जगह या दुकान किराए पर नहीं मिल सकी. ऐसे में अगर परिवार का पेट पालने के लिए मैं 15 किलोमीटर आगे चला आया तो क्या गुनाह कर दिया?' यह दर्द अकेले खत्री का ही नहीं है, बल्कि भारत में बसने की आस लिए आए सैकड़ों अन्य पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का भी है. भारत द्वारा न अपनाए जाने के बाद ये लोग निराश होकर उसी पाकिस्तान में लौटने के लिए विवश हैं जहां उनकी जिंदगी को नर्क बना दिया गया था.
पाकिस्तानी हिंदू जाएं तो जाएं कहां:
लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हिंदुओं का है. वर्तमान में पाकिस्तान की कुल आबादी में हिंदू करीब 1.6 फीसदी हैं और इनकी संख्या करीब 25 लाख से 40 लाख के बीच है. लेकिन पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण, बहुसंख्यकों द्वारा की जाने वाली हिंसा और हत्याओं और अपहरण की घटनाओं के कारण आजादी के बाद से इनकी आबादी तेजी से घटी है. पाकिस्तान में हिंदुओं की दयनीय स्थिति को पिछले वर्ष अक्टूबर में वहां के एक हिंदू सांसद ने बड़े ही मार्मिक अंदाज में बयां किया था.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य लाल मलही ने कहा था कि कैसे पाकिस्तानी सांसद भारत के खिलाफ अपनी नफरत को व्यक्त करने के लिए पाकिस्तानी हिंदुओं को निशाना बनाते हैं. ये लोग हिंदुओं द्वारा गाय की पूजा किए जाने का मजाक उड़ाते हैं. मलही ने कहा था कि इन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान चालीस लाख हिंदुओं का घर है और उनकी ऐसी बातें उन्हें चोट पहुंचाती हैं. उन्होंने कहा, 'हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरी बातें कहने वालों को यह समझाए जाने की जरूरत है कि हर हिंदू भारतीय नहीं है और न ही हर भारतीय हिंदू है. भारत 20 करोड़ मुस्लिमों सहित कई अन्य धर्मों को मानने वालों का भी घर है.'
हिंदुओं के प्रति पाकिस्तान में दिखाई जाने वाली नफरत और उन्हें दोयम नागरिक समझे जाने से निराश मलही ने कहा था कि हिंदुस्तान में मुस्लिमों के खिलाफ होने वाली किसी भी घटना के बदले में पाकिस्तानी हिंदुओं को निशाना बनाया जाना गलत है. एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मार्च 2015 में पाकिस्तानी सेना के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले अशोक कुमार को तमगा-ए-शुजात से नवाजा गया था लेकिन हैरानी की बात ये है कि उनके नाम के आगे 'शहीद' की जगह ‘स्वर्गीय’ लिखा गया था. पाकिस्तान में हिंदुओं के प्रति होने वाले भेदभाव को उजागर करने वाला सबसे बड़ा उदाहरण है.
पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए स्थिति बड़ी अजीब है. मलही के शब्दों में, 'पाकिस्तान में हमें हिंदुस्तानी और रॉ का एजेंट कहा जाता है और जब हम हिंदुस्तान जाते हैं तो हमें वहां ISI का एजेंट और पाकिस्तानी कहा जाता है. पाकिस्तानी हिंदू जाएं तो आखिर कहां?'
ये हालात तब पेंचीदा हैं, जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार है. वही भाजपा जिसने अपने चुनावी घोषणा पत्र में लिखा था कि भारत दुनिया में रह रहे हिंदुओं का स्वाभाविक घर है. यदि कोई हिंदू यहां शरण चाहेगा तो उसे बिना देर किए मिलेगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.