गुड्डू मुस्लिम से जुडी मेन बात क्या थी? भले ही उसे बताने से पहले अशरफ और अतीक को पुलिस की मौजूदगी में हमलावरों ने ढेर कर दिया हो लेकिन कई ऐसी मेन बातें हैं जो अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद निकल कर बाहर आ रही हैं और लोगों को हैरत में डाल रही हैं. ऐसी ही एक मेन बात फिर निकल कर बाहर आई है. दरअसल माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद ने कथित तौर पर अपनी शक्ति और अधिकार बनाए रखने के उद्देश्य से उमेश पाल की हत्या करवाई थी. उमेश पाल जो कि 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड का गवाह था वो अपनी गतिविधियों से लगातार अतीक के भय और आतंक के साम्राज्य में सेंधमारी कर रहा था.
अतीक अपने वर्चस्व को लेकर किस हद तक गंभीर था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 अगस्त 2012 को अतीक ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गृह सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि उमेश पाल ने उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया है. गृह सचिव को लिखे पत्र में अतीक ने इस बात का भी जिक्र किया है कि, 'इस वजह से मेरी छवि खराब हो रही है और मेरा सम्मान कम हो रहा है.'
अतीक अहमद के मुताबिक उमेश पाल के अपहरण का मामला पूरी तरह से झूठा था. अपनी चिट्ठी में अतीक ने लिखा था कि, 'उमेश पाल ने इस मामले (अपहरण मामले) में मेरे और मेरे भाई समेत कई लोगों के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कराया है. इससे मेरी छवि खराब हो रही है और मेरा सम्मान घट रहा है. मैंने कई बार उमेश पाल से मिलने की कोशिश की लेकिन उसने मना कर दिया... केस जल्द खत्म करो. यह काफी समय से लंबित मामला है.'
दिलचस्प ये कि उस समय की सरकार ने इस मामले और अतीक अहमद दोनों को ही बहुत हलके में लिए अतीक की अर्जी को सिरे से नजरअंदाज कर दिया. उमेश पाल हत्याकांड...
गुड्डू मुस्लिम से जुडी मेन बात क्या थी? भले ही उसे बताने से पहले अशरफ और अतीक को पुलिस की मौजूदगी में हमलावरों ने ढेर कर दिया हो लेकिन कई ऐसी मेन बातें हैं जो अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद निकल कर बाहर आ रही हैं और लोगों को हैरत में डाल रही हैं. ऐसी ही एक मेन बात फिर निकल कर बाहर आई है. दरअसल माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद ने कथित तौर पर अपनी शक्ति और अधिकार बनाए रखने के उद्देश्य से उमेश पाल की हत्या करवाई थी. उमेश पाल जो कि 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड का गवाह था वो अपनी गतिविधियों से लगातार अतीक के भय और आतंक के साम्राज्य में सेंधमारी कर रहा था.
अतीक अपने वर्चस्व को लेकर किस हद तक गंभीर था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 अगस्त 2012 को अतीक ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गृह सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि उमेश पाल ने उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया है. गृह सचिव को लिखे पत्र में अतीक ने इस बात का भी जिक्र किया है कि, 'इस वजह से मेरी छवि खराब हो रही है और मेरा सम्मान कम हो रहा है.'
अतीक अहमद के मुताबिक उमेश पाल के अपहरण का मामला पूरी तरह से झूठा था. अपनी चिट्ठी में अतीक ने लिखा था कि, 'उमेश पाल ने इस मामले (अपहरण मामले) में मेरे और मेरे भाई समेत कई लोगों के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कराया है. इससे मेरी छवि खराब हो रही है और मेरा सम्मान घट रहा है. मैंने कई बार उमेश पाल से मिलने की कोशिश की लेकिन उसने मना कर दिया... केस जल्द खत्म करो. यह काफी समय से लंबित मामला है.'
दिलचस्प ये कि उस समय की सरकार ने इस मामले और अतीक अहमद दोनों को ही बहुत हलके में लिए अतीक की अर्जी को सिरे से नजरअंदाज कर दिया. उमेश पाल हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद, अतीक ने पुलिस को बताया था कि, उमेश पाल के कारण, उसका प्रभाव कम हो रहा था और उसने अपने 'साम्राज्य' को बचाने के लिए पाल को मरवा डाला. अतीक ने पुलिस को ये जानकारी भी दी कि उसने उमेश पाल से कई बार मिलने को कहा, लेकिन पाल ने इनकार कर दिया.
अतीक अहमद को उमेश पाल की ये हरकत नागवार गुजरी और उसी पल उसने उसे सबक सिखाने का इरादा किया और साबरमती जेल में रहकर ही उमेश पाल की हत्या की साजिश रची. उमेश पाल हत्याकांड के बाद एक एक कर अतीक और उसके गुर्गों का क्या हुआ? अंजाम दुनिया ने देख लिया है लेकिन इस पूरे मामले में जो बात हैरान करती है वो ये कि अतीक ने उमेश पाल को सिर्फ इसलिए मारा ताकि उसका डर और रुतबा दोनों ही लोगों के बीच बरक़रार रहे.
गौरतलब है कि प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद जहां गुड्डू मुस्लिम और अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश तेज हो गयी है. तो वहीं एक के बाद एक नयी जानकारियां सामने आ रही हैं जो इस बात की पुष्टि कर देती हैं कि अतीक को अपने रुतबे से बहुत प्रेम था और ये रुतबे को बरक़रार रखने की उसकी भूख ही थी जिसने उसके पूरे परिवार को मिटटी के धरे में मिला दिया.
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