गुजरात में इस साल के आखिर यानी नवंबर-दिसंबर में असेंबली चुनाव होने हैं. पिछले 27 साल से बीजेपी गुजरात में सत्ता पर काबिज है. गुजरात को बीजेपी का गढ़ और हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है. पिछले 27 साल से कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से हटाने की कोशिश कर रही है लेकिन पीएम मोदी के करिश्मे और बीजेपी के कुशल नेतृत्व की वजह से कांग्रेस की दाल नहीं गल पा रही है. ऐसे में आम आदमी पार्टी को वहां पर मौका दिख रहा है. पंजाब में जबरदस्त जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी अब गुजरात में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है. हॉल के दिनों में अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और मनीष सिसोदिया के गुजरात के दौरे से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस के बाद बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की आप की तैयारी तेज है.
गुजरात में आप के बढ़ते कदम
2013 में आम आदमी पार्टी की गुजरात इकाई का गठन हुआ. हालांकि 2020 में पार्टी के प्रदेश संगठन का पुनर्गठन हुआ था. 2021 में अरविंद केजरवाल की आप को पहली बार सफलता सूरत नगर निगम चुनाव में मिली. आप पार्टी को गुजरात नगर निकाय चुनाव में आप आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम की 120 में से 27 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को पछाड़कर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी.
वहीं, गांधीनगर निगम में भी आप के पास एक पार्षद है. आप को गांधीनगर में 21% और सूरत में भी 28% वोट मिले जब की राजकोट निकाय चुनावों में अपने पहले प्रदर्शन में 17 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था. 2021 नगर निकाय चुनाव के परिणाम से गुजरात में आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ गया है.
हाल की आप पार्टी ने 2017 विधानसभा चुनाव में 182 में से 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी खाता नहीं खोल पाई...
गुजरात में इस साल के आखिर यानी नवंबर-दिसंबर में असेंबली चुनाव होने हैं. पिछले 27 साल से बीजेपी गुजरात में सत्ता पर काबिज है. गुजरात को बीजेपी का गढ़ और हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है. पिछले 27 साल से कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से हटाने की कोशिश कर रही है लेकिन पीएम मोदी के करिश्मे और बीजेपी के कुशल नेतृत्व की वजह से कांग्रेस की दाल नहीं गल पा रही है. ऐसे में आम आदमी पार्टी को वहां पर मौका दिख रहा है. पंजाब में जबरदस्त जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी अब गुजरात में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है. हॉल के दिनों में अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और मनीष सिसोदिया के गुजरात के दौरे से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस के बाद बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की आप की तैयारी तेज है.
गुजरात में आप के बढ़ते कदम
2013 में आम आदमी पार्टी की गुजरात इकाई का गठन हुआ. हालांकि 2020 में पार्टी के प्रदेश संगठन का पुनर्गठन हुआ था. 2021 में अरविंद केजरवाल की आप को पहली बार सफलता सूरत नगर निगम चुनाव में मिली. आप पार्टी को गुजरात नगर निकाय चुनाव में आप आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम की 120 में से 27 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को पछाड़कर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी.
वहीं, गांधीनगर निगम में भी आप के पास एक पार्षद है. आप को गांधीनगर में 21% और सूरत में भी 28% वोट मिले जब की राजकोट निकाय चुनावों में अपने पहले प्रदर्शन में 17 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था. 2021 नगर निकाय चुनाव के परिणाम से गुजरात में आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ गया है.
हाल की आप पार्टी ने 2017 विधानसभा चुनाव में 182 में से 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी खाता नहीं खोल पाई थी.
क्यों गुजरात में बेहतर कर सकती है आप
गुजरात विधान सभा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव प्रदर्शन से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस देश के राजनीतिक नक्शे में लगातार सिकुड़ती जा रही है. हाल फिलहाल में कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ आप पार्टी का दमान थाम रहे है जिससे कांग्रेस, संगठन स्तर पर काफी कमजोर हो चुकी है.
182 सीटो वाले गुजरात में बीते 27 साल से बीजेपी का शासन है. विजय रूपाणी सीएम थे लेकिन उन्हें हटाकर भूपेंद्र पटेल को सत्ता सौंपी गई है. बीजेपी के लिए गुजरात जीतने की चुनौती लगातार बनी हुई है. आम आदमी पार्टी को लगता है कि पंजाब में जीत और उनके लोक लुभावन वादे लोगों को पसंद आ रहे हैं और कांग्रेस लम्बे समय से बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में असमर्थ हो रही है ऐसे में आम आदमी पार्टी करिश्मा कर सकती है.
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